कभी भी बलास्ट हो सकता है 70 हजार टन बारूद...युद्धविराम के बाद भी खतरे में गाजा में मुसलमानों की जिंदगी
Israel Gaza conflict 2025 : गाजा में युद्धविराम के बावजूद हालात बेहद गंभीर हैं. हमास और अन्य कबिलाई गुटों के बीच संघर्ष जारी है, जिससे आंतरिक हिंसा बढ़ गई है. प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है और मिस्र द्वारा भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. गाजा में 70,000 टन विस्फोटकों में से 7,000 टन अभी भी सक्रिय हैं, जो वहां रह रहे लोगों के लिए निरंतर खतरा बने हुए हैं.

Israel Gaza conflict 2025 : हाल ही में इजराइल और हमास के बीच युद्धविराम घोषित किया गया है, लेकिन इसके बावजूद गाजा पट्टी में रह रहे लाखों मुसलमानों की जिंदगी अब भी गंभीर संकट में है. भूमध्य सागर के किनारे स्थित यह क्षेत्र लगभग 365 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जहां करीब 23 लाख की आबादी निवास करती है. यहां रहने वाले अधिकतर लोग सुन्नी मुसलमान हैं. लेकिन बीते दो वर्षों से जारी युद्ध ने इस धरती को बारूद और खून से भर दिया है. अब तक इस संघर्ष में करीब 65,000 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1,70,000 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं.
हमास के साथ अब आंतरिक संघर्ष भी गहरा रहा
गाजा में प्रशासनिक शून्यता और मलबे का जीवन
गाजा की स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि यहां अब कोई स्पष्ट प्रशासनिक ढांचा दिखाई नहीं देता. फिलहाल, लॉ एंड ऑर्डर की जिम्मेदारी मिस्र को दी गई है, लेकिन उसने अब तक अपनी सेना की तैनाती नहीं की है. ऐसे में वहां के नागरिक पूरी तरह से असुरक्षा के माहौल में जीवन व्यतीत कर रहे हैं. लगभग 90 प्रतिशत गाजा पूरी तरह से मलबे में तब्दील हो चुका है. जिन लोगों ने इस नरसंहार में अपनी जान बचाई है, वे या तो खुले आसमान के नीचे दिन बिता रहे हैं या फिर बंकरों में शरण लिए हुए हैं. पीने के पानी, खाने-पीने की चीज़ों और स्वास्थ्य सेवाओं का भी भारी अभाव है.
गाजा की जमीन पर बिखरा हुआ ‘मौत का जखीरा’
गाजा में एक और बड़ा खतरा है वह है जंग के दौरान गिराए गए बम और विस्फोटक. अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘हैंडीकैप इंटरनेशनल’ के अनुसार, अब तक गाजा पर करीब 70,000 टन विस्फोटक गिराए गए हैं, जिनमें से लगभग 10 प्रतिशत विस्फोटक यानी लगभग 7,000 टन अभी भी ब्लास्ट नहीं हो पाए हैं. यह विस्फोटक अब भी ज़मीन में दबे हुए हैं, और किसी भी वक्त जानलेवा धमाका कर सकते हैं. हवाई हमलों और लगातार हो रहे संघर्ष के कारण इन विस्फोटकों को निष्क्रिय करना बेहद मुश्किल हो गया है. जब तक इन्हें हटाया नहीं जाता, तब तक गाजा में जीवन पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं हो सकता.
युद्धविराम की घोषणा से शांति की उम्मीद जरूर जगी है, लेकिन गाजा पट्टी की ज़मीन पर मौजूद विस्फोटकों, आंतरिक संघर्ष, प्रशासनिक शून्यता और जीवन के मूलभूत संसाधनों की भारी कमी ने यहां के मुसलमानों की जिंदगी को अब भी एक भयावह युद्ध क्षेत्र में तब्दील कर रखा है. इस क्षेत्र को स्थाई शांति, पुनर्निर्माण और वैश्विक मानवीय सहयोग की अत्यधिक आवश्यकता है.


