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तालिबान के कब्जे में पाकिस्तानी सैनिकों की पैंट, अफगान जनता ने जंग में साथ देने की खाई कसम

Afghanistan Pakistan Clashes : अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद अब गंभीर युद्ध में बदल गया है. पाकिस्तानी हवाई हमलों में कई अफगान नागरिक मारे गए, जबकि तालिबान ने कई पाकिस्तानी चौकियां जब्त कीं. ड्यूरंड लाइन को लेकर दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ा है. पाकिस्तान ने मध्यस्थता के लिए कतर और सऊदी अरब से मदद मांगी, लेकिन संघर्ष विराम अस्थायी है और विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Afghanistan Pakistan Clashes : पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच हालिया संघर्ष अब केवल सीमा विवाद नहीं रहा, यह एक ऐसा खुला युद्ध बन चुका है जिसे रोकने के लिए अंततः 48 घंटे के संघर्षविराम की आवश्यकता पड़ी. बुधवार को पाकिस्तानी वायुसेना द्वारा काबुल और कंधार में किए गए हवाई हमलों में कम से कम 15 अफगान नागरिक मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए. इस हिंसक कार्रवाई से पहले तालिबान ने सीमावर्ती जिले स्पिन बोल्दाक में पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा कर लिया था, जिसे स्थानीय लोग "पाकिस्तानी सैनिकों की खाली पतलून" के प्रतीक के रूप में देख रहे हैं वे पतलूनें जो सैनिक अपने पोस्ट छोड़कर भागते समय छोड़ गए.

"पाकिस्तानी फौज की पतलूनें छोड़ गईं बहस"

एक के अफगान पत्रकार ने पूर्वी नंगरहार प्रांत में तालिबान लड़ाकों द्वारा जब्त की गई पाकिस्तानी सेना की वर्दियों और हथियारों की तस्वीरें साझा कीं. उन्होंने लिखा, “ड्यूरंड रेखा के पास पाकिस्तानी चौकियों से जब्त की गई खाली पतलूनें अब अफगान प्रतिरोध का प्रतीक बन गई हैं.” तालिबान की जवाबी कार्रवाई और पाकिस्तानी सैनिकों की पीछे हटने की घटनाओं ने अफगानों के भीतर गुस्से की लहर पैदा कर दी है.

अफगान जनता तालिबान के साथ खड़ी हुई
कंधार के निवासी मोहिबुल्लाह ने टोलो न्यूज़ से बातचीत में कहा कि यदि आवश्यक हुआ, तो वह भी इस्लामी अमीरात की सेना और मुजाहिदीन के साथ युद्धभूमि में शामिल होंगे. पक्तिया के एक अन्य नागरिक बैतुल्लाह ने कहा कि पाकिस्तान को उचित जवाब दिया गया है और समस्त अफगान जनता तालिबान के साथ खड़ी है. इस सार्वजनिक समर्थन ने इस संघर्ष को केवल सरकारी सीमा विवाद से बदलकर व्यापक राष्ट्रीय भावना से जुड़ा युद्ध बना दिया है.


विवाद की जड़ ड्यूरंड रेखा
इस संघर्ष की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में ड्यूरंड रेखा है, जिसे ब्रिटिश राज के दौरान भारत और अफगानिस्तान के बीच सीमा के रूप में खींचा गया था. यह रेखा पारंपरिक पश्तून इलाकों को दो हिस्सों में बांटती है और आज तक इसे दोनों ओर के पश्तूनों द्वारा पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं किया गया है. यह सीमा आज भी तनाव का केंद्र बनी हुई है, और इसी के आसपास के क्षेत्रों में दोनों सेनाओं के बीच कई हिंसक मुठभेड़ें हो चुकी हैं.

दावे और प्रतिदावे, भारी नुकसान दोनों ओर
पाकिस्तान का दावा है कि उसने अफगान तालिबान और उनके सहयोगियों के 200 से अधिक लड़ाकों को मार गिराया है, जबकि अफगानिस्तान का कहना है कि उसके जवाबी हमलों में 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और 20 से अधिक पाकिस्तानी सुरक्षा चौकियां नष्ट की गई हैं. सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में तालिबान लड़ाके पाकिस्तानी T-55 टैंक पर कब्जा करते और पाकिस्तानी हथियारों को दिखाते नजर आए. इसके अलावा, पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा करने के बाद तालिबान द्वारा जब्त की गई वस्तुओं को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया.

PAK ने मांगी मध्यस्थता, लेकिन तनाव बना हुआ है
बुधवार की शाम पाकिस्तान ने कतर और सऊदी अरब से हस्तक्षेप करने और तालिबान को मनाने की अपील की. "खुदा के लिए, अफगानों को युद्ध से रोकिए," यह अपील पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा की गई थी. हालांकि 48 घंटे का एक अस्थायी संघर्षविराम लागू किया गया है, लेकिन हालात को देखकर यह स्पष्ट है कि यह युद्ध अभी समाप्त नहीं हुआ है. काबुल की निवासी फरेश्ता ने कहा, “हम अपने सुरक्षाबलों का आभार व्यक्त करते हैं जो हमेशा हमारी भूमि की रक्षा करते हैं. हम उनके साथ हमेशा खड़े रहेंगे.”

अस्थायी शांति, स्थायी खतरा
इस समय एक नाजुक संघर्षविराम लागू है, लेकिन जमीनी हालात इस ओर संकेत नहीं करते कि यह तनाव जल्दी समाप्त होगा. पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच यह विवाद एक लंबे और खतरनाक संघर्ष का रूप ले सकता है, खासकर तब जब सीमाएं इतिहास, अस्मिता और वर्तमान राजनीतिक समीकरणों से जटिल रूप से जुड़ी हुई हों. इस क्षेत्र में स्थाई समाधान केवल सैन्य उपायों से नहीं, बल्कि राजनयिक समझ और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप से ही संभव हो सकता है.

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15 October 2025, 09:14 PM IST

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