जब नादिर शाह के कहर से दिल्ली की आंखों से बहे थे खून के आंसू, रात भर मचा था कत्लेआम, पढ़िए पूरा किस्सा
22 March History: भारत के इतिहास में 22 मार्च का दिन बेहद मनहूस दिन रहा है. आज से करीब 255 साल पहले आज ही के दिन राजधानी दिल्ली की जनता खून की आंसू रोई थी. ये वही दिन है जब दिल्ली में पूरी रात कत्लेआम मचा था.
22 March History: 22 मार्च 1739 का दिन भारतीय इतिहास के पन्नों पर अहम कारणों के वजह से दर्ज किया गया है. आज वही तारीख है जब नादिर शाह के कहर से दिल्ली की आंखों से खून के आंसू बहे थे. दरअसल, मार्च 1739 में ईरानी शासक नादिर शाह ने भारत पर हमला कर किया था. उस दौरान नादिर ने मुगलिया सेना को बुरी तरह से हराया था और उसके बाद दिल्ली पर कब्जा किया था. हालांकि जब नादिर शाह अपने लाव-लश्करों के साथ किले पर पहुंचा तो दंगे भड़क गए और लोगों ने उसकी सेना के कई सैनिकों को मार गिराया. अपने सैनिकों को मरता देख नादिर शाह बेहद गुस्सा हो गया और फिर उसने दिल्ली में कत्लेआम का हुक्म दे दिया.
नादिर शाह के हुक्म के बाद पुरानी दिल्ली के कई इलाकों में उसकी फौज ने आम लोगों की निर्मम हत्या कर उसे मौत के घाट उतार दिया. इस घटना को इतिहास के पन्नों में कत्लेआम के तौर पर जाना जाता है. तो चलिए इस पूरी घटना का किस्सा जानते हैं.
जब दिल्ली में फैली नादिर शाह की मौत की अफवाह
अगले दिन ईद-उल-जुहा थी. दिल्ली की मस्जिदों में नादिर शाह के नाम का खुतबा पढ़ा गया और टकसालों में उसके नाम के सिक्के ढाले जाने लगे। अभी चंद ही दिन गुज़रे थे कि शहर में अफवाह फैल गई कि एक तवायफ़ ने नादिर शाह को क़त्ल कर दिया है. दिल्ली के लोगों ने इससे सह पाकर शहर में तैनात ईरानी सैनिकों को क़त्ल करना शुरू कर दिया. इसके बाद जो हुआ वो इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो गया.
जब मयान से तलवार निकाल कर नादिर शाह ने दिया कत्लेआम का इशारा
22 मार्च 1739 का दिन था, सूरज की किरणें अभी अभी मशरिक़ी आसमान से फूटी ही थीं कि नादिर शाह दुर्रानी अपने घोड़े पर सवार होकर अपने कमांडर और जरनैल के साथ लाल क़िले से निकला और चांदनी चौक का रुख किया. वहां एक रोशन उद्दौला मस्जिद था जिसके बुलंद सहन में खड़े हो कर उसने तलवार म्यान से निकाल ली. उसके बाद उसके सिपाहियों ने घर-घर जाकर लोगों को मारना शुरू कर दिया.
9 बजे से शुरू हुआ कत्लेआम सुबह 3 बजे हुआ था समाप्त
सुबह 9 बजे से शुरू हुआ कत्लेआम अगली सुबह 3 बजे समाप्त हुआ. इस दौरान इतना खून बहा कि नालियां सुर्ख हो गयीं. लाहौरी दरवाज़ा, फ़ैज़ बाज़ार, काबुली दरवाजा, अजमेरी दरवाजा, हौज़ क़ाज़ी और जौहरी बाजार के घने इलाके लाशों से पट गए. हजारों औरतों का बलात्कार किया गया. सैकड़ों ने कुएं में कूद कूद कर के अपनी जान दे दी. कई लोगों ने ख़ुद अपनी बेटियों और बीवीयों को कत्ल कर दिया ताकि वो ईरानी सिपाहियों के हत्थे न चढ़ जाएं.