Mahakumbh 2025: कैसे हिंदुओं और उनके त्योहारों को निशाना बनाया जाता है? लंबी होती जा रही है फेहरिस्त

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ के आयोजन को लेकर पूरी दुनिया हैरान है. इस सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उत्सव में हिस्सा लेने विदेशों से श्रद्धालु महाकुंभ पहुंच रहे हैं. विश्व यह जानकर हैरान है कि पूरे ऑस्ट्रेलिया की आबादी से भी एक करोड़ ज्यादा श्रद्धालुओं ने पहले अमृत स्नान में कैसे प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा ली. लेकिन, हमारा पवित्र महाकुंभ भी देश-विरोधी और हिंदू-विरोधी लोगों के नजरों में खटक रहा है. 

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

Mahakumbh 2025: जिस महाकुंभ में दुनिया भर से 15 लाख से ज्यादा लोग धार्मिक पवित्रता की पराकाष्ठा को महसूस करने के लिए पहुंच रहे हैं, उसमें पहले शाही स्नान के लिए ट्रेनों से प्रयागराज की ओर रवाना होने वाले श्रद्धालुओं को अपने ही देश में निशाना बनाए जाने की रिपोर्ट सामने आ रही है, जिसमें कई सारे पैसेंजर बाल-बाल बच गए हैं.

गंगा ताप्ती एक्सप्रेस पर हमला

घटना गंगा ताप्ती एक्सप्रेस की है. 12 जनवरी को ट्रेन महाराष्ट्र के जलगांव से निकली ही थी कि दिन-दहाड़े एसी कोच के शीशों पर पत्थरों की बारिश शुरू कर दी गई. इस हमले में बाल-बाल बचे तीर्थयात्रियों का आरोप है कि हमलावरों को पता था कि पूरी ट्रेन कुंभ में स्नान के लिए जा रहे यात्रियों से भरी हुई है.

मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से सुरक्षा की गुहार

एक्स पर @MrSinha_नाम के सोशल मीडिया एक्स यूजर ने एक वीडियो भी अपने हैंडल पर शेयर किया है, यह वीडियो काफी वायरल भी हुआ. इसमें पीड़ित यात्रियों ने अपनी आपबीती सामने रखी है. एक पीड़ित तीर्थयात्री ने कहा, 'हम सूरत उधना से महाकुंभ में प्रयागराज जा रहे हैं. महाकुंभ में शाही स्नान के लिए यह पहली ट्रेन है. हमारा पूरा परिवार साथ में है. जलगांव से 20 मिनट चलने के बाद अचानक पत्थर मारा गया. अगर कांच अंदर गिरता तो हम लोगों को लग सकता था. हमें तत्काल सुरक्षा चाहिए. दिन-दहाड़े हमारी ये हालत हुई तो रात में क्या होता. थोड़ा विचार कीजिए. हम धार्मिक काम के लिए जा रहे हैं. महाकुंभ में स्नान के लिए. कुंभ में जाने वाली सभी ट्रेनों को सुरक्षा मिले.'

वहीं एक और पीड़ित ने कहा, 'हम रेल मंत्री से नम्र विनती करते हैं कि हमें सुरक्षा प्रदान की जाए. मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्रीजी से निवेदन है. आज हमलोग पत्थर के शिकार हुए हैं. रात में हमारी सुरक्षा के लिए कृप्या ध्यान दिया जाए. यही मैं प्रधानमंत्री से आह्वान करता हूं.'

सूरत-जलगांव रेलवे लाइन पर घटना

इससे पहले 13 जुलाई 2024 को महाराष्ट्र के ही भुसावल-नंदूरबार पैसेंजर ट्रेन को जलगांव जिले के अमलनेर हाल्ट के पास चेन खींचकर रोक लिया था और उसपर पत्थरबाजी की. जिस दौरान असमाजिक तत्वों ने इस वारदात को अंजाम दिया, पास की एक दरगाह पर उर्स का उत्सव चल रहा था.

श्रद्धालुओं पर पत्थरबाजी

12 फरवरी 224 को इसी तरह से महाराष्ट्र के नंदूरबार में एक बार फिर से सूरत-जलगांव रेलवे लाइन पर ही देश के दुश्मनों ने सूरत-अयोध्या आस्था एक्सप्रेस पर पत्थरबाजी की. इस ट्रेन में गुजरात के सूरत से बड़ी तादाद में श्रद्धालु अयोध्या में भगवान राम लला के दर्शन करने के लिए जा रहे थे. गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस से अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवकों को ट्रेन में आग लगाकर जिंदा जला दिया गया था. सूरत-छपरा गंगा ताप्ती एक्सप्रेस ट्रेन पर प्रयागराज महाकुंभ के लिए जा रहे तीर्थयात्रियों को निशाना बनाकर हुई पत्थरबाजी की ताजा घटना, इसलिए बहुत ही गंभीर है, क्योंकि देश आज भी 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती ट्रेन को आग के हवाले करने की घटना भूला नहीं है. 

स्लिम कट्टरपंथियों ने ट्रेन को कोच में अंदर से आग लगा दी थी, जिससे अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवक जिंदा जल गए थे. कोई भी कारसेवक जिंदा न बचने पाए इसके लिए जिहादियों ने आग लगाने से पहले ट्रेन के कोच के सभी दरवाजे बाहर से बंद कर दिए थे.

ताप्ती गंगा एक्सप्रेस पर हमला 

इसलिए ताप्ती गंगा एक्सप्रेस में महाकुंभ स्नान के लिए जा रहे तीर्थयात्रियों को निशाना बनाने की घटना एक सोची-समझी साजिश का हिस्सा लगती है और आस्थावान हिंदुओं को टारगेट करने के पैटर्न पर आधारित लग रहा है. लगता है कि हिंदुओं की धार्मिक आस्था और उनके सांस्कृतिक समारोह पर चोट पहुंचाने की मंशा से ये सब किया जा रहा है.

तुष्टिकरण की राजनीति 

इसके पीछे तुष्टिकरण की राजनीति सबसे बड़ी वजह हो सकती है, जिसे वोट बैंक की राजनीति के चक्कर में दशकों से पाल पोसकर आज इस स्थिति में ला दिया गया है,जिससे देश के लिए खतरा पैदा होने लगा है. इन घटनाओं से हिंदुओं की एकता और उसके सांस्कृतिक ताने-बाने को तोड़ने की कट्टरपंथी मुसलमानों का एजेंडा सामने आ रहा है.

रेलवे लाइन के किनारे का अतिक्रमण

एक बात और बहुत मायने रखती है कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण बहुत ही गंभीर समस्या बनकर खड़ा हुआ है और अतिक्रमण करने वालों में बहुत बड़ी तादाद मुस्लिम समुदाय के लोगों की है. यह वो इलाके हैं, जहां से हर तरह से समाज-विरोधी काम को अंजाम दिए जाने की खबरें आती रहती हैं. इस तरह से यह अतिक्रमण आज रेलवे की सुरक्षा और उसके प्रबंधन के लिए भी बहुत बड़ा खतरा बनकर खड़ा हो चुका है.

ऐसे में कानूनी तरीके से अवैध अतिक्रमणों को प्राथमिकता से हटाए जाने पर विचार का समय आ चुका है,ताकि यह आने वाले दिनों में यह देश की सुरक्षा के लिए ऐसा नासूर न बन जाए, जिसकी देशवासियों को कोई ऐतिहासिक कीमत चुकानी पड़ जाए.

हिंदुओं के त्योहारों पर हमले में बढ़ोतरी

वैसे सिर्फ आस्था से जुड़े किसी कार्यक्रम में जा रहे हिंदु तीर्थयात्रियों का ही मामला नहीं है. हाल के वर्षों में देश के कई राज्यों में हिंदुओं के उत्सवों और त्योहारों के दौरान निकलने वाले धार्मिक यात्राओं और प्रदर्शनों पर भी हमले की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं.

बहराइच में 22 साल के रामगोपाल की हत्या

पिछले साल अक्टूबर (2024) की बात है. यूपी के बहराइच में 22 साल के एक हिंदू युवक की सिर्फ इसलिए गोलियों से छलनी करके बेरहमी के साथ हत्या कर दी गई थी, क्योंकि वह एक धार्मिक जुलूस में शामिल था और उसपर कथित रूप से उस जुलूस को निशाना बनाने वाले उपद्रवियों से जुड़ी एक इमारत पर हरे रंग के झंडे की जगह भगवा ध्वज लहराने का आरोप लगाया गया था.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रामगोपाल के साथ मुस्लिम समुदाय के आरोपियों ने दरिंदगी की इंतेहा कर दी और उसके नाखून तक खींच लिए गए थे.

हरियाणा के नूंह में हुआ हमला

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 2023 के अगस्त में हरियाणा के नूंह में भी ब्रजमंडल यात्रा के दौरान इसी तरह से हमला हुआ था, जिसके बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई. धार्मिक यात्रा का आयोजन विश्व हिंदू परिषद की ओर से किया गया था. रामनवमी शोभा यात्रा, हनुमान जयंती शोभा यात्रा, दुर्गा प्रतिमा और सरस्वती प्रतिमा विसर्जन के दौरान बढ़े हमले बीते वर्षों में देश के कई हिस्सों में इसी तरह से रामनवमी, हनुमान जयंती और दुर्गा प्रतिमा और सरस्वती प्रतिमा के विसर्जन के दौरान धार्मिक जुलूस पर पत्थरबाजी की कई घटनाएं सामने आई हैं,जिसके चलते सांप्रदायिक तनाव पैदा हुए हैं.

अप्रैल 2023 में ऐसी ही घटनाएं पश्चिम बंगाल और बिहार में देखने को मिल चुकी हैं. 2022 में राजधानी दिल्ली में हनुमान जयंती जुलूस में भी कथित रूप से इसी तरह के हमलों की वजह से हिंसक झड़पों के हालात पैदा हुए. रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में यूपी में भी वार्षिक कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों को निशाना बनाने की कोशिश की गई.

राज्य सरकारों के प्रशासनिक फैसले 

हिंदुओं के त्योहारों को निशाना बनाए जाने के बढ़ते ट्रेंड के बीच कुछ राज्य सरकारों पर ऐसे फैसले लेने के भी आरोप लगे हैं, जिससे उपद्रवियों और समाज और देश-विरोधी ताकतों का मनोबल बढ़ने की आशंका है. मसलन, 2022 में पश्चिम बंगाल में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर प्रशासन ने कथित तौर पर दुर्गा पूजा के बाद प्रतिमा विसर्जन पर रोक लगा दी,ताकि मुहर्रम का जुलूस किसी तरह से बाधित न होने पाए.

calender
25 January 2025, 02:15 PM IST

जरूरी खबरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो