प्राइवेट कॉलेज के अमीर MBBS छात्र गांव में नहीं देना चाहते सेवा, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने एमबीबीएस छात्र से अमीर होने और निजी कॉलेज में पढ़ाई को लेकर कई सवाल पूछे हैं.

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Supreme Court to MBBS Students: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की तरफ से एक अधिसूचना को चुनौती देने वाली रिट याचिका पर नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा है कि क्या कोई मेडिकल छात्र सिर्फ इस आधार पर  ग्रामीण सेवा से छूट मांग सकता है क्योंकि उसने निजी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है? दरअसल कर्नाटक के एक डीम्ड विश्वविद्यालय की निजी सीटों से एमबीबीएस डिग्री की पढ़ाई करने वाले पांच मेडिकल छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका पर जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय करोल की अवकाश पीठ सुनवाई कर रही है.

याचिका में क्या है 

मेडिकल छात्रों ने याचिका में इस चीज की  मांग की है कि वो निजी मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई की है तो उन्हें एक साल की अनिवार्य ग्रामीण सेवा से छूट मिलनी चाहिए. उनकी मांग है कि सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण सेवाओं के आयुक्त कार्यालय को ये निर्देश दे कि वे बिना अनिवार्य ग्रामीण सेवा का शपथ पत्र दिए बिना छात्रों को एनओसी जारी कर दे.  याचिकाकर्ताओं की वकील मीनाक्षी कालरा ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक मेडिकल काउंसिल को निर्देश दे कि वो याचिकाकर्ताओं को स्थायी पंजीकरण दे.

SC ने लगाई फटकार

याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कैसी छूट है? आप इसलिए ग्रामीश ईलोकों में जाकर 1 साल के लिए काम नहीं कर सकते क्योंकि कि आप अमीर हैं और निजी डिकल कॉलेज में पढ़ते हैं. क्या आप सोचते हैं कि निजी मेडिकल कॉलेजों को ग्रामीण इलाकों में काम करने के लिए मजबूर करने की जरूरत नहीं है? जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, सिर्फ इसलिए किसी को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने से छूट नहीं देंगे कि वो निजी कॉलेज में पढ़ता है.. क्या निजी संस्थाओं पर राष्ट्र निर्माण का कोई दायित्व नहीं  होता है? क्या इसलिए छूट दे दी जाए कि आप निजी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे हैं. 

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि बैंडविड्थ और भाषा का इश्यू था, तो जस्टिस नरसिम्हा ने कहा, तो क्या हुआ, ये बहुत अच्छी बात है कि आप कहीं और जाकर काम करें. आप देश में आते-जाते हैं और विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में काम करते हैं. ऐसा करना बहुत अच्छा काम है.

1 साल की ग्रामीण सेवा

साल 2012 में सरकारी वकील ने मेडिकल पाठक्रम अधिनियम 2012 का जिक्र किया था. इसमें हर MBBS , स्नातकोत्तर या सुपर स्पेशियलिटी छात्रों  को 1 साल के लिए ग्रामीण सेवा पूरा करना जरूरी है, जिन्होंने सरकारी विश्वविद्यालय या किसी निजी यूनिवर्सिटी में सरकारी सीट पर पाठ्यक्रम पूरा किया है. इसके बाद ही NOC जारी किया जाएगा और याचिकाकर्ता कर्नाटक मेडिकल काउंसिल के साथ स्थायी पंजीकरण के लिए पात्र हो सकेगा.
 

First Updated : Thursday, 23 May 2024