Mukhtar ansari: आखिर कौन था मुख्तार अंसारी का दुश्मन नंबर 1, अंडरवर्ल्ड डॉन से था कनेक्शन

Mukhtar ansari: पूर्वांचल का माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का गुरुवार 28 मार्च को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. आज 9 बजे उनके शव का पोस्टमार्टम किया जाएगा. इस बीच आज आपको उसके एक ऐसे दुश्मन के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके दुश्मनी के किस्से काफी मशहूर है तो चलिए जानते हैं.

JBT Desk
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Mukhtar ansari: उत्तर प्रदेश के माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की गुरुवार रात 8 बजकर 25 मिनट पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है. वह यूपी के बांदा जेल में बंद थे. मुख्तार अंसारी पूर्वांचल का माफिया डॉन था जिसके आतंक का कहर मऊ, गाजीपुर और जौनपुर से लेकर बलिया, बनारस तक था. इस बीच आज हम आपको माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के नंबर वन दुश्मन के दुश्मन के किस्से बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं.

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की दुश्मनी की कहानी बेहद फिल्मी है लेकिन इस कहानी में कोई हीरो नहीं बल्कि दो विलेन है. एक विलेन ऐसा जिसने गुंडई से साम्राज्य बनाया तो वहीं दूसरा ऐसा जो दुशमनों का दुशमन और अपने दौर का सबसे निजर और जिगरवाला बदमाश था.

कौन था मुख्तार अंसारी का दुश्मन

मुख्तार अंसारी का सबसे दुश्मन बृजेश सिंह था जो अपने दौर का बेखौफ बदमाश था. ये वहीं बृजेश सिंह जिसकी गोलियों से मुंबई का जेज अस्पताल हिल गया था. ये वहीं बृजेश सिंह है जिसने भारत में पहली बार एके-47 का इस्तेमाल किया था. इस शूटआउट को बृजेश सिंह ने अनर्डवल्ड दाऊद इब्राहिम के कहने पर अंजाम दिया था.  एक समय में बृजेश सिंह को पकड़ने के लिए उत्तर प्रदेश की पुलिस ने 5 लाख रुपये का इनाम रखा था. बृजेश सिंह ने पिता की हत्या का बदला लेकिन अपराध की दुनिया में कदम रखा और एक कुख्यात बदमाश के रूप में उभरा.

मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह की दुश्मनी की शुरुआत

9 अप्रैल 1986 के दिन सिकरौरा गांव में एक नरसंहार हुआ था जिसको बृजेश सिंह ने बदले के नियत से अंजाम दिया था. इस दिन बृजेश सिंह ने अपने पिता के कातिलों रघुनाथ यादव, लुल्लुर सिंह, पांचू और राजेश के साथ-साथ 7 लोगों की हत्या की थी. दरअसल, बृजेश के पिता की हत्या आपसी रंजिश के चलते हुआ था. पिता की मौत के बदले की आग में बृजेश ने 7 लोगों की हत्या की और पहली बार जेल गया. उस दौरान मुख्तार अंसारी छात्र राजनीति में अपना कदम रखे. मुख्तार अंसारी के दादा डॉ. अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेना थे और इंडियन नेशनल कांग्रेस और मुस्लिम ली के अध्यक्ष रह चुके थे.

एक दूसरे के खिलाफ गैंग्स में दोनों माफिया

जेल जाने के बाद बृजेश सिंह की दोस्ती गाजीपुर के पुराने हिस्ट्रीशीटर त्रिभुवन सिंह से हुई. ये दौरा था जब एक ही खानदान के बीच जमीन का एक प्लॉट गैंगवार की नींव डाली थी. एक तरफ साहिब सिंह का गैंग जिसके चहेते त्रिभुवन सिंह था जिसके पिता की हत्या जमीनी रंजिश के कारण हुई और इसका आरोप मकनू सिंह के गैंग पर लगा. मकनू सिंह के गैंग में साधु सिंह और मुख्तार अंसारी शार्प शूटर थे.  बृजेश सिंह की दोस्ती त्रिभुवन सिंह से होने के बाद वह उसके गैंग में शामिल हो गए. इसके बाद बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी शुरू हुई.

जब आमने सामने आए मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह

ये किस्सा उस दौरा का है जब पूर्वाचल में बृजेश सिंह की दहशत का खौफ फैल रहा था. साल 1990 में बृजेश सिंह ने फिल्मी अंदाज में पुलिस की वर्दी पहनकर गाजीपुर के जिला अस्पताल में साधू सिंह की हत्या कर देता और फरार हो जाता है. साधू सिंह की हत्या के बाद गैंग की कमान मुख्तार अंसारी हाथों में आ जाती है. इसके बाद मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह का आमना सामना होता है. दोनों के बीच कोयला और रेलवे के ठेके को लेकर जंग शुरू हुई जो 4 दशक तक चली. इसी दौरान बृजेश  सिंह ने दाऊद इब्राहिम की मदद की थी.

दोनों की दुश्मनी में गई कई जानें

मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह की दुशमनी में कई जानें गई, कई कारोबार मारे गए. यहां तक की गुंडे बदमाशों के साथ खाकी भी निशाने पर आ गए. साल 1996 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर मऊ विधानसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद मुख्तार अंसारी के हाथ में पावर आ गया. इसके बाद बृजेश सिंह के ऊपर कई मुकदमे दर्ज होते चले गए लेकिन ऐसा नहीं था कि वह दबता जा रहा था. इस दौरान बृजेश ने अपना बिजनेस बिहार, यूपी से लेकर झारखंड और महाराष्ट्र तक फैला लिया था.

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29 March 2024, 07:26 AM IST

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