विस्फोटक हमले में मुझे प्रताड़ित करके योगी आदित्यनाथ का नाम बुलवाया गया- लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित

Mumbai Blast: श्रीवास्तव पुलिस की कैद में उन पर हमला करने वाले पहले व्यक्ति थे. परम बीर सिंह ने भी उन पर हमला किया. जबकि पुरोहित को कुल 6 कांस्टेबलों ने बांध रखा था.

calender

Mumbai Blast: मालेगांव 2008 विस्फोट मुकदमे के आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने बड़ी कही है. उनका कहना है कि आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के बड़े अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित करते हुए उनका दाहिना घुटना तोड़ दिया था. वहीं बहुत अवैध तरीके से पूछताछ करते हुए उन्हें वरिष्ठ दक्षिणपंथी का नाम लेने के लिए कहा गया था. आरएसएस व वीएचपी के नेता सहित यूपी के तत्कालीन बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ के लिए पुरोहित ने कहा कि अगस्त 2008 में मालेगांव विस्फोट हमले होने से एक महीने पहले "अचानक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने अलीबाग में पार्टी कार्यकर्ताओं की एक रैली में कहा कि यह इस्लामिक आतंकवादी तो हैं ही, मगर हिंदू आतंकवादी भी हैं. यह पहली बार है कि हिंदू आतंक शब्द का प्रयोग 29 सितंबर 2008 में किया गया था.

मुझे 29 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था-पुरोहित 

पुरोहित ने बताया कि मुंबई में गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें खंडाला में एक अलग बंगले में ले जाकर रखा गया. जहां तत्कालीन एटीएस प्रमुख दिवंगत हेमंत करकरे व परम बीर सिंह सहित कई अन्य लोगों ने उनसे पूछताछ की. आगे कहते हैं कि "करकरे और परम बीर सिंह बार-बार मुझे अपने खुफिया नेटवर्क और मेरे स्रोतों और संपत्तियों की सूची देने के लिए प्रेरित कर रहे थे. जिन्होंने सिमी और आईएसआई और डॉ जाकिर नाइक की गतिविधियों की मैपिंग में मेरी सहायता की थी. मगर मैंने अपने स्रोत के बारे में कुछ भी कहने से साफ मना कर दिया था. पुरोहित ने कहा ये नेटवर्क खुफिया जानकारी के बुनियादी लोकाचार के खिलाफ है. वहीं एक सैन्य अधिकारी कर्नल पीके श्रीवास्तव ने उनके पीठ में छुरा घोंप दिया साथ ही उन्हें एटीएस को सौंप दिया.

आगे उनका कहना है कि मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया गया थो जो किसी जानवर के साथ भी नहीं किया जाता है. मेरे साथ दुश्मन देश के युद्धबंदी से भी बदतर व्यवहार किया गया था. करकरे, परम बीर सिंह और कर्नल श्रीवास्तव ने मुझपे दबाव बनाते हुए कहा कि मुझे मालेगांव बम विस्फोट की जिम्मेदारी अपने हाथ लेनी चाहिए. पुरोहित कहते हैं कि मुझे कहा गया कि आरएसएस और वीएचपी के वरिष्ठ दक्षिणपंथी नेताओं सहित उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम लेना चाहिए. यह अत्याचार 3 नवंबर 2008 तक जारी रहा, मुझे दी गई यातना की वजह से मेरा घुटना टूट गया था. जिसकी वजह से मेरा चलना मुश्किल था. वह दावा करते हुए कहते हैं कि उन्हें सूचित किया गया था कि मुझे गोली मारने की योजना बनाई गई थी. 

आखिर क्या था 29 सितंबर 2008 में मालेगांव का घटना  

आपको बता दें कि 5 नवंबर 2008 को पुरोहित को औपचारिक रूप से कानूनी हिरासत में ले लिया गया था. पुरोहित राजनीतिक आकाओं के निर्देशानुसार इस मामले के आसपास बनाया गया था. वहीं उन व्यक्तियों को निशाना बनाया गया जो अब आरोपी हैं. पुरोहित ने यह लिखित बयान अपने वकील विरल बाबर के माध्यम से विशेष अदालत को सौंपी है. जबकि कोर्ट ने उन सभी आरोपियों के बयान दर्ज कर रही है जिन पर विस्फोट में उनकी कथित भूमिका के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है. अदालत ने अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के खिलाफ पुरोहित सहित अन्य आरोपियों के बयान दर्ज किए गए हैं. 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक शहर के चौराहे पर एक मोटरसाइकिल पर रखे गए बम से विस्फोट हो गया था. जिसमें कुल 6 लोगों की जान गई थी साथ ही 100 लोग घायल हो गए थे.

First Updated : Friday, 10 May 2024