Explainer: ताइवान चुनाव पर चीन और अमेरिकी का टिकी निगाहें, जानें क्या है इसकी राजनीति के अंतर्राष्ट्रीय मायने!

Taiwan Election: लाई चिंग-ते के मुख्य रूप से डीपीपी के नेता और उप राष्ट्रपति पद पर विराजमान हैं, वह ताइवान में अहम पदों पर अपनी सेवा दे चुके हैं. साथ ही ताइवानी पहचान के समर्थक होने के साथ चीन मुखर विरोधी हैं.

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Taiwan Election: ताइवान में 13 जनवरी को चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में अमेरिका और चीन की नजरें इस पर टिकी हुई हैं. बताया जा रहा है कि स्वशासित द्वीप होने के कारण यह रणनीतिक रूप से काफी अहम है. ताइवान में नए राष्ट्रपति और नई संसद चुनने के लिए वोटिंग की जाएगी. आम चुनाव के साथ चीन के संबंधों पर भी नए सिरे के चुनाव होने की संभावना है. अगर कोई विरोधावास वाली पार्टी कोई सरकार ताइवान में आती है तो यह चीन के साथ टकराव की स्थिति पैदा कर सकता है और इसका दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है. 

वर्तमान राष्ट्रपति चीन की विरोधी है 

ताइवान में वर्तमान समय राष्ट्रपति साई इंग-वेन की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) सत्ता में है, वहां के संवैधानिक कानून के अनुसार एक शख्स दो बार ही राष्ट्रपति बन सकता है. लेकिन चीन इसे अलगाववादी पार्टी मानता है. डीपीपी इस बार भी सत्ता बहुमत पाने की उम्मीद कर रहा है. 113 सदस्यों वाली लेजिस्लेटिव युआन के पास बजट मंजूर करने, क़ानून बनाने, जंग का एलान और राज्य के अन्य मुद्दों को हल करने के अधिकार प्राप्त हैं. 

डीपीपी को चीन अलगाववादी मानता है

लाई चिंग-ते के मुख्य रूप से डीपीपी के नेता और उप राष्ट्रपति पद पर विराजमान हैं, वह ताइवान में अहम पदों पर अपनी सेवा दे चुके हैं. साथ ही ताइवानी पहचान के समर्थक होने के साथ चीन मुखर विरोधी हैं. वह चीन से ज्यादा अमेरिका से रिश्ते में सुधार करने की वकालत करते हैं. ऐसे में चीन उन्हें कट्टर अलगाववादी नेता मानता है. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे ही चीन भी इस बात को दोहराने लगा है कि ताइवान पहले से ही आजाद है उसे अब कितना आजाद करना है. उसे अब कुछ नया ऐलान करने की जरूरत नहीं है. 

राष्ट्रपति चुनाव में यह होंगे उम्मीदवार 

हू यू-यी कोमिंतांग पुलिसकर्मी के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं और केएमटी के नेता हैं. उन्होंने साल 2002 में न्यू ताइपे सिटी के मेयर चुनाव जीते थे, उनकी छवि उदारवादी के रूप में जानी जाती है. वह पैन-ब्लू गठबंधन के नेता हैं, जो चीन के साथ अच्छे संबंध और एकीकरण की वकालत करना चाहते हैं. हालांकि बीते कुछ समय वह एक नए मुद्दे की वकालत कर रहे हैं. जहां वह न तो ताइवान को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मानते हैं और न ही पूरी तरीके से एकीकरण के पक्ष में हैं. 

क्या चाहते हैं ताइवान के लोग! 

कई शोध अध्ययनों में पाया गया है कि ताइवान के ज्यादातर लोग आर्थिक विकास को अधिक तवज्जो देते हैं, इसलिए आम लोग चाहते हैं कि कोई भी नया राष्ट्रपति बने वह इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा के साथ हल भी करें. लेकिन चीन और ताइवान के रिश्ते को बहुत लोगों ने सराहा है. ताइवान के मजदूर और नौजवान लोग महंगी होती वस्तुएं, महंगे आवास के साथ आसमान छूती मंहगाई के देखते हुए काफी निराश हैं. साल 2015 के चुनावी अभियान में लाई इंग-वेन ने युवा पीढ़ी को बेहतर देश बनाने का वादा किया था लेकिन वह इस पर खरे नहीं उतर पाए. इसलिए युवा लोग उनसे काफी निराश हैं. 

चीन के लिए ताइवान काफी महत्वपूर्ण द्वीप

राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई बार ताइवान के साथ एकीकरण करने की बात कह चुके हैं, लेकिन उन्होंने पूरी तरीके से यह भी नहीं कहा कि यह एकता वह बिना सेना करेंगे. वहीं, ताइवान उन द्विपक्षीय देशों की श्रृंखला का पहला द्वीप है जिसमें जापान, दक्षिण कोरिया और फिलीपींस जैसे अमेरिका के सहयोगी देश हैं इसलिए रणनीतिक रूप से अमेरिका महत्वपूर्ण देश मानता है लेकिन चीन संप्रभु के साथ खिलवाड़ मानकर चलता है. कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि अगर चीन ताइवान पर कब्जा कर लेता है तो वह पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में पूरी तरीके से आजाद हो जाएगा. सात ही गुआम और हवाई क्षेत्र जैसे सुदूर अमेरिका सैन्य ठिकानों के लिए खतरा पैदा कर सकता है.

First Updated : Monday, 08 January 2024
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