जेल जाने से बचने के लिए रूसी सेना में शामिल हुआ भारतीय, अब यूक्रेनी सेना के आगे किया सरेंडर
Ukrainian army news: यूक्रेनी सेना के सामने एक भारतीय नागरिक, मजोती साहिल हुसैन, ने रूस की सेना से आत्मसमर्पण किया. वह जेल से बचने के लिए रूसी सेना में शामिल हुआ था. भारत ने रूस से सभी भारतीय नागरिकों की रिहाई की मांग की है. रूसी सेना में 150 से अधिक भारतीय भर्ती हैं, जिनमें कुछ मारे गए और कुछ लापता हैं.

Ukrainian army news: यूक्रेनी सेना ने मंगलवार को जानकारी दी कि रूसी सेना में शामिल एक भारतीय नागरिक ने यूक्रेनी सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. यूक्रेनी सेना की 63वीं मैकेनाइज्ड ब्रिगेड ने अपने टेलीग्राम चैनल पर एक वीडियो जारी किया, जिसमें भारतीय नागरिक ने खुद को गुजरात निवासी 22 वर्षीय मजोती साहिल मोहम्मद हुसैन बताया. भारतीय अधिकारियों ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है. कीव स्थित भारतीय दूतावास इस रिपोर्ट की प्रामाणिकता की जांच कर रहा है. सूत्रों के अनुसार, यूक्रेनी अधिकारियों से अभी तक कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है.
छात्र से सैनिक तक का सफर
रिपोर्ट के अनुसार, हुसैन पहले रूस विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे थे. वीडियो में हुसैन ने बताया कि उन्हें रूस में नशीली दवाओं से जुड़े आरोप में सात साल की जेल की सजा सुनाई गई थी. जेल से बचने के लिए उन्हें रूसी सेना के साथ अनुबंध करने का अवसर मिला. हुसैन ने कहा कि मैं जेल में नहीं रहना चाहता था, इसलिए मैंने विशेष सैन्य अभियान के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. केवल 16 दिन के प्रशिक्षण के बाद, मुझे 1 अक्टूबर को पहले लड़ाकू मिशन पर भेजा गया, जो तीन दिन तक चला.
कमांडर से विवाद
हुसैन ने बताया कि कमांडर के साथ विवाद के बाद उन्होंने आत्मसमर्पण करने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि मैं लगभग दो-तीन किलोमीटर यूक्रेनी खाई में गया. मैंने तुरंत अपनी राइफल नीचे रख दी और कहा कि मैं लड़ना नहीं चाहता. मुझे मदद चाहिए. मैं रूस वापस नहीं जाना चाहता. यूक्रेनी ब्रिगेड ने अपने पोस्ट में कहा कि हुसैन को शुरुआत में ड्रग्स के साथ पकड़ा गया था और वह जेल से बचने के लिए सेना में शामिल हुआ.
भारत की रिहाई की मांग
पिछले महीने, भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने रूस से अनुरोध किया था कि रूसी सेना में शामिल 27 भारतीय नागरिकों को रिहा किया जाए और स्वदेश भेजा जाए. रिपोर्ट्स के अनुसार, कुछ छात्र और वीज़ा पर आए भारतीयों को यूक्रेन के युद्ध मोर्चों पर तैनात रूसी इकाइयों में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया. भारत लगातार रूस पर दबाव डाल रहा है कि वह अपनी सेना में रसोइयों, सहायक कर्मचारियों और अन्य भारतीय नागरिकों को रिहा करे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी पिछले साल की रूस यात्रा में यह मुद्दा उठाया था.
रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की स्थिति
अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 150 से अधिक भारतीय नागरिक को रूस की सेना में भर्ती किया गया. इनमें से कम से कम 12 युद्ध में मारे गए, 96 को छुट्टी दी गई, जबकि अन्य 16 का अभी तक कोई पता नहीं चला है.


