Women’s Day Poetry: पढ़िए महिलाओं की हालत बयान करने वाले शानदार शेर

Women's Day Poetry In Hindi: महिला दिवस पर लोग महिलाओं के लिए कुछ खास पैगाम लिखते हैं. साथ ही मुबारकबाद भी पेश करते हैं. ऐसे में हम आपको कुछ शेर दे रहे हैं. जो आपको मुबारकबाद देने के काम आ सकते हैं. पढ़िए

Tahir Kamran
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Women’s Day Poetry: हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है. इस दिन का मकसद महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना है. इस दिन महिलाओं का जागरूक करने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं. इसके अलावा महिलाओं को सम्मान भी दिया जाता है. हर साल महिला दिवस का अलग थीम होता है. 2024 के थीम की बात करें तो इंस्पायर इंक्लूजन (Inspire Inclusion) थीम के तहत महिला दिवस मनाया जाएगा. महिला दिवस के मौके पर लोग उन्हें मुबारकबाद भी पेश करते हैं. आज हम आपको साहित्य से कुछ ऐसे शेर पेश करने जा रहे हैं जो ‘औरत’ के मौजू पर लिखे हुए हैं. इनमें से कुछ शेर आपको महिला दिवस की मुबारकबाद पेश करने के काम आ सकते हैं. पढ़िए.

तिरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन 
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था 
असरार-उल-हक मजाज़

औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया 
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया 
साहिर लुधियानवी

शहर का तब्दील होना शाद रहना और उदास 
रौनक़ें जितनी यहाँ हैं औरतों के दम से हैं 
मुनीर नियाजी

औरत के ख़ुदा दो हैं हक़ीक़ी ओ मजाज़ी 
पर उस के लिए कोई भी अच्छा नहीं होता 
ज़ेहरा निगाह

कौन बदन से आगे देखे औरत को 
सब की आँखें गिरवी हैं इस नगरी में 
हमीदा शाहीन

औरत को समझता था जो मर्दों का खिलौना 
उस शख़्स को दामाद भी वैसा ही मिला है 
तनवीर सिप्रा

तू आग में ऐ औरत ज़िंदा भी जली बरसों 
साँचे में हर इक ग़म के चुप-चाप ढली बरसों 
हबीब जालिब

ये औरतों में तवाइफ़ तो ढूँड लेती हैं 
तवाइफ़ों में इन्हें औरतें नहीं मिलतीं 
मीना नकवी

औरत अपना आप बचाए तब भी मुजरिम होती है 
औरत अपना आप गँवाए तब भी मुजरिम होती है 
नीलमा नाहीद दुर्रानी

अभी रौशन हुआ जाता है रस्ता 
वो देखो एक औरत आ रही है 
शकील जमाली

औरतें काम पे निकली थीं बदन घर रख कर 
जिस्म ख़ाली जो नज़र आए तो मर्द आ बैठे 
फरहत एहसास

यहाँ की औरतों को इल्म की परवा नहीं बे-शक 
मगर ये शौहरों से अपने बे-परवा नहीं होतीं 
अकबर इलाहाबादी

औरत हो तुम तो तुम पे मुनासिब है चुप रहो 
ये बोल ख़ानदान की इज़्ज़त पे हर्फ़ है 
सय्यदा अरशिया हक़

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07 March 2024, 01:10 PM IST

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