ॐलोक आश्रम: जीवन में कैसे आगे बढ़ना चाहिए?

भगवदगीता हमें जीवन में सफल होने के तरीके बतलाती है कि हमें किस तरह का काम करना चाहिए। जीवन में कैसे आगे बढ़ना चाहिए। भगवान कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति के गुणों और कर्मों के हिसाब से मैंने वर्णों की रचना की है।

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

भगवदगीता हमें जीवन में सफल होने के तरीके बतलाती है कि हमें किस तरह का काम करना चाहिए। जीवन में कैसे आगे बढ़ना चाहिए। भगवान कृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति के गुणों और कर्मों के हिसाब से मैंने वर्णों की रचना की है। प्रत्येक व्यक्ति को यह स्वतंत्रता है कि वह अपना कर्म चुने, अपना कर्तव्य चुने उसे जीवन में क्या बनना है यह चुनना है। आज हमारे जीवन में हजारों करियर हैं हम किसी भी करियर को चुन सकते हैं यह हमारे ऊपर है। हमें अपनी प्रकृति को देखना चाहिए, अपनी रूचि को देखना चाहिए। अपने सामर्थ्य को देखना चाहिए उसके बाद हमें वह कर्म चुनना चाहिए। हमें वह दायित्व चुनना चाहिए, हमें वह ड्यूटी चुननी चाहिए। हमें पता होना चाहिए कि हम किस लिए बने हुए हैं। हम क्या काम अच्छे से कर सकते हैं। उस काम को चुनने से पहले हमारे पास पूरी स्वतंत्रता है हम दोस्तों से पूछें हम परिवारवालों से पूछें हम मां-बाप से पूछें हम बाहर खोजें हम अपने अंदर सोच-विचार कर के करें। लेकिन जो बात हमने एक बार सोच लिया, विचार कर लिया, निश्चय कर लिया और जिस रास्ते पर हम आगे बढ़ गए। बार-बार हमें अपने रास्ते नहीं बदलने चाहिए। भगवान कृष्ण कहते हैं कि हमने जो ड्यूटी चुनी है जो कर्तव्य चुना है जो धर्म चुना है। मुझे लगता है कि हमारा कर्तव्य अल्प गुणों वाला है। कुछ हमने छोटा काम चुन लिया है।

भगवान कृष्ण कह रहे हैं कि जो भी काम आपने चुना है वह न तो छोटा है और ना बड़ा है। आपको अगर लग रहा है कि छोटे गुण वाला है तो भी आपके लिए श्रेष्ठ वही है क्योंकि आपने उसे चुना है। अगर आप उस काम को कर लो और उसको करते हुए अगर आपकी मृत्यु भी हो जाए तो भी आप वीरगति को प्राप्त करोगे। सैनिक ने अगर युद्ध लड़ने का काम चुना है और जब युद्ध वास्तव में आ गया तो उसे लग रहा है कि मैंने तो गलत फील्ड चुन लिया, युद्ध करना तो मेरे वश की बात ही नहीं है तो उस समय उसके लिए यह बात ठीक नहीं है। या तो युद्ध का क्षेत्र चुनने से पहले, सैनिक बनने से पहले उसे चुनना था कि वह युद्ध कर सकता है या नहीं लेकिन अगर उसने चुन लिया तो उसे युद्ध करना ही है। वह जिए या मरे वह सफल हो या असफल हो उसके लिए वही मार्ग है क्योंकि युद्ध छोड़कर अगर वो भाग जाएगा तो उसके लिए जीवन नर्क हो जाएगा।

लोग उसे भगोड़ा कहेंगे वो जीवन जीने लायक नहीं बचेगा। इसी तरह जो व्यक्ति आने वाली समस्याओं को देखकर अपने करियर को बदल लेता है अपने करियर को छोटा मानने लगता है या अपने करियर को बदलने की बात सोचता है। वह कहीं भी सफल नहीं हो सकता। क्योंकि अगर आप किसी भी क्षेत्र में जाओगे तो पहली, दूसरी, तीसरी, चौथी सीढ़ियां तो सरल होती हैं लेकिन उसके बाद कठिन सीढ़ियां आती हैं और जब कठिन सीढ़ियां आती हैं तब आप अपने करियर को बदलने की सोचने लगते हो। उस समय लगता है कि ये फील्ड बड़ा कठिन है वो सरल है। फिर उस फील्ड में जाएंगे वहां कठिनाई मिलेगी फिर आप उसे छोड़कर भागोगे। इस तरह से आप जीवन में भागते ही रहोगे आपको कुछ नहीं मिलेगा। इसलिए भगवान कृष्ण कह रहे हैं कि आपको दूसरे पक्ष की घास हमेशा हरी दिखती है, दूसरे की थाली का खाना हमेशा सुंदर दिखता है, स्वादिष्ट लगता है लेकिन वो बड़ा भयानक है। वह भयकारी है। वह आपको बर्बाद करने वाला है। क्योंकि इतनी मेहनत करके तो आप अपने फील्ड में आगे बढ़े हो और जब उस फील्ड को छोड़कर भागोगे तो पहली असफलता तो लोग कहेंगे। उससे भी बड़ी असफलता आपकी चेतना में अंकित हो जाएगी। दुनिया को पता न हो आपको तो पता है आप वह फील्ड छोड़कर भाग चुके हो। आप असफल हो चुके हो अगर दुनिया असफल आपको माने और आप अपने आप को सफल मानो आप अपने को असफल न मानो तो कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अगर आप अपने आप को असफल मान लिए, आपकी चेतना को पता लग गया कि आप असफल हो आप भगोड़े हो आप भाग गए तो बहुत बड़ी समस्या है तो आप दूसरी जगह एक असफल व्यक्ति के रूप में प्रवेश करते हो और एक असफल व्यक्ति की तरह नए क्षेत्र में प्रवेश करने वाला व्यक्ति सफल होने के लिए बहुत जान लगानी पड़ती है और आपने जान लगाने से पहले ही मना कर दिया था।

इसलिए भगवान कृष्ण गीता में कह रहे हैं कि गुण-कर्म के विभाग से भगवान कृष्ण ने व्यक्तियों को बनाया है। कोई व्यक्ति भावुक होता है कोई व्यक्ति बुद्धिजीवी होता है, ज्ञानवान होता है, कोई व्यक्ति कर्तव्यनिष्ठ होता है कर्म प्रधान होता है। तीन तरह के व्यक्ति होते हैं। ज्ञान प्रधान, कर्म प्रधान, भावना प्रधान। आपको अपनी प्रवृति के अनुरूप अपने कर्म चुनने चाहिए, अपने कर्तव्य चुनने चाहिए। जब आपने कर्तव्य चुन लिया तो पीछे जाने का कोई मौका नहीं है। पीछे जाने का कोई मार्ग ही नहीं है। आप पीछे जाने वाले मार्ग को बंद करो और अपनी शत-प्रतिशत शक्ति को लगाकर जीवन में आगे बढ़ो। क्योंकि कोई कर्म ऐसा है नहीं जिसे मनुष्य नहीं कर सकता। कोई ऐसा कर्म नहीं है जिसे आप नहीं कर सकते। उन कर्मों के परिणामों को प्रभु के ऊपर अर्पित कर दो और देखोगे कि एक नई शक्ति का संचार आपने अंदर हो गया है और उस शक्ति के संचार से आप जीवन में आगे बढ़ सकते हो और आपको जीवन में आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। क्योंकि आपको आगे बढ़ने से रोकने वाला जीवन में अगर कोई है तो वह आप खुद हो।

जब आप जीवन में इस तरह के विचार करते हैं कि नहीं हो पाएगा, नहीं कर पाऊंगा, मैंने गलत रास्ता चुन लिया है। इस तरह के विचार आपकी शक्ति को कुंठित कर देते हैं। आपकी शक्ति को आपकी क्षमता को बहुत कम कर देते हैं। आप आगे नहीं बढ़ पाते हैं। बहुत सारे मनोवैज्ञानिक शोध हुए हैं इस क्षेत्र में जो यह दिखाते हैं कि आशा यदि व्यक्ति के अंदर हैं, व्यक्ति के अंदर यदि संकल्प है तो व्यक्ति असीमित कार्य कर सकता है। जो स्वयं न सोचा होगा इतनी शक्ति उसके अंदर आ जाती है और वह कार्य कर जाता है। लेकिन जब व्यक्ति निराश हो जाता है, हतोत्साहित हो जाता है तब अपनी शक्ति का 5 या 10 फीसदी भी उपयोग नहीं कर पाता है। इसलिए आपने जो भी चुना है उसके साथ बहते जाओ, उसके आगे बहते जाओ और जीवन में आप निश्चित ही सफलता को प्राप्त करोगे।

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09 September 2022, 04:11 PM IST

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