ॐलोक आश्रम: जगत के स्वरूप का सिद्धांत क्या है?

भगवान कृष्ण गीता के माध्यम से अर्जुन को जगत के स्वरूप का और अपने आप के विकास का एक सिद्धांत समझा रहे हैं। यह एक ऐसा सिद्धांत है जो व्यक्ति की उसकी समग्रता में विकास करता है।

Janbhawana Times
Janbhawana Times

भगवान कृष्ण गीता के माध्यम से अर्जुन को जगत के स्वरूप का और अपने आप के विकास का एक सिद्धांत समझा रहे हैं। यह एक ऐसा सिद्धांत है जो व्यक्ति की उसकी समग्रता में विकास करता है। कोई आपको धन कमाने के रास्ते बतला देगा कोई आपको सफल होने का रास्ता बतला देगा लेकिन जीवन का समग्र विकास कैसे हो वो भगवान बतला रहे हैं और समग्रता का एक बिंदु है कि आप अपने कर्तव्य से च्यूत न हों। जो आपकी ड्यूटी है आप उससे भागो नहीं ये बड़ा महत्वपूर्ण है। जब हम जीवन में आगे चलते हैं तो बहुत सारी चुनौतियां आती हैं, बहुत सारे संघर्ष आते हैं और कभी कभी ऐसा होता है कि उन चुनौतियों से, उन संघर्षों से हम टूटने लगते हैं। हम अपने आप ही विचार करने लगते हैं और हमारा अपने आप पर ही विश्वास कम हो जाता है भरोसा कम हो जाता है।

हमें लगता है कि हमने रास्ता गलत चुन लिया। हमें लगता है कि हम शायद इसके लिए बने ही नहीं हैं और हम उसको छोड़ने लगते हैं। अर्जुन दुनिया के महान धनुर्धर थे, महान पराक्रमी योद्धा थे लेकिन जब युद्ध में उनका सामना कौरवों से हुआ तो एक ऐसी अवस्था आई कि उन्होंने कहा कि नहीं मैं ये युद्ध नहीं करूंगा ऐसा कहकर वो चुप हो गए। वही अवस्था हमारे साथ जीवन में आती है कि जब हम चरम पर होते हैं, ऐसी अवस्था में होते हैं जहां हमें अपनी समग्र शक्ति लगानी है तो हम पीछे हटने लगते हैं।

हम सोचते हैं कि अगर आत्मा अजर-अमर है तो क्यों इन चक्करों में पड़ना, क्यों मारना क्यों मरना। जब हमारे मारने से कोई मरता नहीं है तो फिर क्यों यह काम करना क्यों यह युद्ध करना। क्यों इतना संघर्ष करना, हम कोई दूसरा रास्ता चुन लेंगे। अर्जुन कहते हैं अच्छा तो ये है कि मैं भिक्षा मांगकर जीवन बिता लूं। मैं ऐसा क्यों करूं। भगवान कृष्ण कहते हैं अगर तुम यह मान लेते हो कि आत्मा नित्य पैदा होता है और नित्य मरता है तो भी तुमको युद्ध से डरना नहीं चाहिए। अगर आप क्षणभंगवादी हो, आप ये मानते हो कि सारा संसार परिवर्तनशील है और उस परिवर्तनशील संसार में हर क्षण नया सृजन होता है।

बुद्ध कहते हैं कि संसार क्षणभंगुर है जैसे नदी की धारा बहती रहती है एक पानी चला गया दूसरा पानी पीछे से आ जाता है हमें लगता है कि धारा है वस्तुत: ये धारा है ही नहीं ये पानी का सम्मिलन है। एक धारा गई और दूसरी धारा आ गई। एक पानी गया दूसरा पानी आ गया। इसी तरह संसार घटनाओं का समूह है। लगातार घटनाएं घट रही हैं और हमें ये संसार के रूप में दिखती हैं। उसी तरह चित्र को आपके सामने तेजी से लाया जाए तो वो आपको फिल्म की तरह नजर आएगा। चित्रों का समूह अगर तेजी से चलाया जाये तो आपको लगेगा कि कोई रील चल रही है कोई फिल्म चल रही है वस्तुत: वह चित्रों का समूह है।

बुद्ध कहते हैं कि संसार इसी तरह घटनाओं का एक समूह है। हर घटना अलग-अलग है एक घटना के बाद दूसरी घटना आती है। पुराना संसार समाप्त होता है और नया संसार उत्पन्न हो जाता है और यह संसार क्षण-क्षण परिवर्तनशील है, क्षणभंगवाद है। भगवान कृष्ण कहते हैं कि तुम इसको भी मान लेते हो तो भी तुम्हें शोक करने की दुख करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हर क्षण परिवर्तन तो हो ही रहा है। हर क्षण जो परिवर्तन हो रहा है उसके पीछे भी कुछ न कुछ नित्यता है।

जो व्यक्ति जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है और जो व्यक्ति मरता है उसका जन्म निश्चित है। ये लगातार एक क्रम है जो कि चलता रहता है। ऐसा नहीं है कि अगर हम कोई कर्म नहीं करेंगे तो कर्म नहीं होगा, हम किसी को नहीं मारेंगे तो वह नहीं मरेगा। इसलिए इस विषय में ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है आपको केवल अपना कर्म करने की आवश्कता है। आप कर्म करते जाओ बाकी जो कुछ भी है वो प्रभु के हाथ में छोड़ो, भगवान के हाथ में छोड़ो। आप अपने कर्म करते जाओ यही हमारे जीवन का लक्ष्य होना चाहिए यही सफलता का सूत्र है यही सफलता का रहस्य है।

calender
07 July 2022, 04:23 PM IST

जरुरी ख़बरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो