ॐलोक आश्रम:भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध क्यों होने दिया?

भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध क्यों होने दिया ये एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। प्रश्न इस बात का नहीं था कि लोग मरेंगे या नहीं मरेंगे, बात ये है कि हमें अपने विरुद्ध हुए अत्याचारों का प्रतिकार करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। हमें अन्याय का विरोध

Janbhawana Times
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भगवान कृष्ण ने महाभारत युद्ध क्यों होने दिया ये एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। प्रश्न इस बात का नहीं था कि लोग मरेंगे या नहीं मरेंगे, बात ये है कि हमें अपने विरुद्ध हुए अत्याचारों का प्रतिकार करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। हमें अन्याय का विरोध करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। अगर धर्म की मांग युद्ध हो तो हमें युद्ध करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। हमें अन्याय सहना चाहिए या नहीं सहना चाहिए, प्रश्न यह महत्वपूर्ण था। अगर हमारे शांत रह जाने से या भाग जाने से अन्याय जीत जाता है तो होगा क्या? आज अगर सौ लोगों पर अन्याय हुआ है तो कल वो अन्याय हजार लोगों पर हो जाएगा वो हजार भी सरेंडर कर देंगे तो लाख लोगों पर हो जाएगा, लाख भी सरेंडर कर देंगे तो करोड़ों पर हो जाएगा और उस अत्याचार और अन्याय की सीमा बढ़ती रहेगी। किसी न किसी लेवल पर उसको रोकना जरूरी है। उपाय क्या है जीवन को जीने का? जीवन को जीने का उपाय है कि वासनाएं हमेशा बुद्धि के नियंत्रण में रहे, वासनाओं की संतुष्टि जरूरी है लेकिन उसपर बुद्धि का नियंत्रण रहे।

खाना जरूरी है लेकिन कितना खाना है क्या खाना है ये बड़ा महत्वपूर्ण है। हमें चाहिए हमें हर चीज चाहिए लेकिन कितनी चाहिए कैसी चाहिए, साध्य तो हमें चाहिए लेकिन कैसे मिलेंगे ये भी बड़ा महत्वपूर्ण है। अगर हमें चोरी करके मिल रहे हैं तो वो सही नहीं है। तो बुद्धि का नियंत्रण होना चाहिए वासनाओं में। जब हमारी वासनाएं तर्क दे रही है कि युद्ध बेकार है भाग जाओ, मत लड़ो तो हमें निष्पक्ष होना चाहिए और हमें जज करना चाहिए कि ये हमारा डर है जो हमपर सवार है और ये हमारा डर ये सारे तर्क ला रहा है तो पहले तो आप डर को किनारे कर दो और आप निष्पक्ष रूप से विवेचना करो। भगवान कृष्ण अर्जुन से बता रहे हैं कि तुम डर गए हो तुम्हारे अंदर नपुंसकता आ गई है और इस वजह से तुम ऐसे-ऐसे तर्क दे रहे हो ऐसा सोच रहे हो। जो नहीं सोचना चाहिए वो तुम सोच रहे हो और उल्टे-पुल्टे तर्क दे रहे हो। भगवान कृष्ण कह रहे हैं कि अब तुम युद्ध के बीच में खड़े हो अब जो हो चुका और जो होगा उन दोनों को मत सोचो तुम्हें क्या करना है ये तुम सोचो। यही मैनेजमेंट की सबसे महत्वपूर्ण सीख है।

हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण सीख यही है कि हम वर्तमान में रहें और हमारी समस्या यही है कि हम वर्तमान में नहीं रहते क्योंकि वर्तमान में रहना कष्टकारी होता है। वर्तमान में रहने के लिए आपको मेहनत करनी पड़ती है और हमारी बुद्धि ऐसी है, हमारी वासनाएं ऐसी हैं कि या तो हमें ये पुराने जीवन में ले जाती हैं हमें पुरानी स्मृतियों के जंगल में घुमा देती हैं या हमें भविष्य की कल्पनाओं में उलझा देती हैं और दोनों ही परिस्थतियों में ऐसा होता है कि या तो हम अतिउत्साहित हो जाते हैं या फिर हम अवसाद की स्थिति में चले जाते हैं। हमारे लिए जरूरी है वर्तमान में रहना। जिस व्यक्ति ने वर्तमान में रहना सीख लिया वह व्यक्ति इन्द्रजीत हो जाता है, वह व्यक्ति अपने समस्त लक्ष्यों को प्राप्त कर लेता है। भगवान बुद्ध ने भी जीवन में यही बतलाया कि आप वर्तमान में रहो जो काम कर रहे हो उसे अच्छे से करो और इसमें सौ फीसदी तभी दे पाओगे जब आप वर्तमान में रहोगे।

सुखों में बड़ा विरोधाभास है अगर आप सुखों के बारे में सोचते रहोगे तो सुख आपको कभी नहीं मिलेगा। सुख घटना का आफ्टर प्रोडक्ट है। भगवान कृष्ण ने गीता में यही बतलाया है कि जो बीत गया है उसको छोड़ दो, जो होने वाला है उसको भी छोड़ दो और वर्तमान में रहो, वर्तमान में जीना सीखो, वर्तमान में जब जिओगे तो आप अपना सौ फीसदी दोगे और अगर आपने अपना सौ फीसदी दे दिया तो परिणाम आपको वो मिलेगा जिसके आप अधिकारी हो। परिणाम के बारे में सोचना भविष्य में सोचना है। परिणाम के बारे में सोचना ही नहीं है आपको वर्तमान में रहना है और अपना कर्म किए जाना है। हमारा कर्म ही ऐसा है जो अपने आप परिणाम को उत्पन्न करता है। इसी तरह से हम जीवन में कर्म करें और आगे बढ़ते रहें। भगवान कृष्ण गीता में यही कहते हैं।

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22 June 2022, 07:03 PM IST

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