ॐलोक आश्रम: हम इस दुनिया में क्यों आए हैं? भाग 2
यह उसके दुख का बड़ा कारण बन जाता है उसकी असफलता का बड़ा कारण बन जाता है। भगवान कृष्ण कहते हैं मैंने जो पहले कहा उस तरह से अगर व्यक्ति कार्य
यह उसके दुख का बड़ा कारण बन जाता है उसकी असफलता का बड़ा कारण बन जाता है। भगवान कृष्ण कहते हैं मैंने जो पहले कहा उस तरह से अगर व्यक्ति कार्य करते हैं तो ऐसे कार्य करने वाले व्यक्ति इस संसार में तो सफल होते हैं और चूंकि वो बिना ईष्या और द्वेष के कोई कार्य करते हैं, वो बिना लाभ की इच्छा के कोई कार्य करते हैं, सुख और दुख दोनों की इच्छा के बिना कार्य करते हैं। इसके कारण उसके परिणाम से वो बच जाते हैं। हमें किसी कर्म का परिणाम तभी लगता है जब हम उसके फल की इच्छा करते हैं। इरादा तय करता है कि कोई काम अच्छा है या फिर बुरा है। कोई काम अपराध है या नहीं इसका निर्णय लेने से पहले इरादा जानना बहुत जरूरी है। इसी तरह से भगवान कृष्ण गीता में कहते हैं और धर्म का भी यही मूल्य है कि आपका इरादा ही किसी काम अच्छा बनाता है या बुरा बनाता है।
अच्छे इरादे से किया गया काम पुण्य है बुरे इरादे से किया गया कर्म पाप है। उसके परिणाम चाहे कुछ भी हों। अगर इरादा अच्छा है और परिणाम बुरे हैं तो भी कर्म अच्छा है। इरादा खराब है परिणाम अच्छे हैं तो भी कर्म बुरा है। इरादा रहित होना बड़ा मुश्किल है। इरादा रहित तभी हो सकते हैं जब आप परिणामों से असंयुक्त हो जाओ, परिणामों से हट जाओ। परिणामों को प्रभु के अंदर समर्पित कर दो और अपने कर्म को करते हुए चले जाओ। यह जीवन का मुख्य उद्देश्य है। भगवान कृष्ण ने अलग-अलग तरह से गीता में इसी बात को बतलाया है और यहां वो कह रहे हैं कि आपको वर्तमान में जीना है। भविष्योन्मुखी होना है लेकिन भविष्य में जीना नहीं है। जीना वर्तमान में है। वर्तमान में जीवन जी कर ही आप काम कर सकते हो।
अर्जुन सोच रहा है कि अगर मैं युद्ध लड़ूंगा तो मेरे परिवार के लोग मारे जाएंगे, मेरे भाई के लोग मारे जाएंगे। ऐसा हो जाएगा वैसा हो जाएगा। भगवान कृष्ण कह रहे हैं कि ये सब भविष्योन्मुखी बाते हैं ऐसा होगा और ऐसा नहीं होगा। अभी तुम जिस बिंदु पर खड़े हो तुम्हारा काम युद्ध करना है। इसी तरह जीवन में हम भी किसी न किसी बिंदु पर खड़े होते हैं। हमारा काम होता है जिस काम को हमने हाथ में लिया है उस काम को हम अच्छे से करें न कि हम उसके परिणामों पर व्यर्थ में चिंता करते रहें। अगर हम अपने कार्यों को अच्छे से करते रहेंगे उसके फलों को भगवान को समर्पित करते रहेंगे और प्रभु में आस्था रखेंगे तो हमारा जीवन शांत सुंदर और स्थिर बना रहेगा।