गुप्त नवरात्रि में इस तरह करें माँ दुर्गा को प्रसन्न
30 जून से आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि शुरू होगी। जिस तरह से अन्य दो नवरात्रि का महत्व होता है उसी तरह से गुप्त नवरात्रि का भी महत्व देवी पुराण में बताया गया है।
30 जून से आषाढ़ माह की गुप्त नवरात्रि शुरू होगी। जिस तरह से अन्य दो नवरात्रि का महत्व होता है उसी तरह से गुप्त नवरात्रि का भी महत्व देवी पुराण में बताया गया है। हालांकि गुप्त नवरात्रि में तंत्र व देवी साधक ही माता रानी की आराधना व साधना कर सकते है बावजूद इसके सामान्य रूप से भी माँ दुर्गा की आराधना व पूजा आदि कर प्रसन्न किया जा सकता है।
वर्ष में चार नवरात्रि आती है। इनमें से दो प्राकट्य और दो गुप्त नवरात्रि होती है। प्राकट्य नवरात्रि चैत्र और शारदीय होती है और इन दोनों नवरात्रियों में ही सामान्य लोगों के लिए देवी की पूजा अर्चना व दर्शन आदि करने का विधान शास्त्रोक्त रूप से बताया गया है जबकि गुप्त नवरात्रि माघ व आषाढ़ माह में आती है। ऐसा माना गया है कि गुप्त नवरात्रि में सिर्फ तंत्र व देवी साधक ही साधना कर सकते है फिर भी सामान्य श्रद्धालु भी सामान्य रूप से पूजा अर्चना कर दुर्गा माता या अपनी कुलदेवी का आशीर्वाद व कृपा प्राप्त कर सकते है।
ज्योतिषियों ने बताया कि वैसे तो गुप्त और प्राकट्य नवरात्रि में सामान्य पूजा अर्चना से ही देवी प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती है लेकिन इस गुप्त नवरात्रि में यदि हम किसी समस्या से मुक्ति या फिर सिद्धी चाहते है तो विशेष रूप से साधना करने का विधान है। समस्याओं का समाधान किसी खास मंत्रों के जाप से किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए न केवल किसी जानकार की सलाह ली जाना चाहिए वहीं यदि जाप किया जाता है तो नियमों का पालन करना भी अनिवार्य होता है, अन्यथा मंत्र जाप का फल नहीं मिलता है या फिर परिणाम विपरीत भी हो सकता है। देवी साधकों का यह कहना है कि सामान्य लोगों को गुप्त नवरात्रि में अपनी कुलदेवी की पूजा अर्चना करना चाहिए। सुबह जल्दी उठे और स्नान आदि से निवृत्त होकर अपने घर के मंदिर या उस स्थान पर जाएं जहां कुलदेवी विराजमान है। यदि घर से किसी दूर स्थान या शहर में कुलदेवी हो तो भी अपने पूजा स्थान पर कुलदेवी का स्मरण कर प्रार्थना की जा सकती है तथा उनके निमित्त घी का दीपक जलाया जा सकता है।