ॐलोक आश्रम: 75 साल के बाद भी भारत इतना पीछे क्यों है? भाग-2
अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जो अपने बच्चे को पढ़ाता है, ह्यूमन रिसोर्स बनाता है। डॉक्टर बनाता है या इंजीनियर बनाता है ,पीएचडी कराता है, रिसर्च करवाता है, साइंसटिस्ट बनाता है तो ऐसा व्यक्ति समाज में बड़ा योगदान दे पाता है।
अगर कोई ऐसा व्यक्ति है जो अपने बच्चे को पढ़ाता है, ह्यूमन रिसोर्स बनाता है। डॉक्टर बनाता है या इंजीनियर बनाता है ,पीएचडी कराता है, रिसर्च करवाता है, साइंसटिस्ट बनाता है तो ऐसा व्यक्ति समाज में बड़ा योगदान दे पाता है। अर्थव्यवस्था को और आगे ले जा पाता है। हमारे यहां के जो बच्चे हैं, भारत का जो जेनेटिक पुल है बहुत रिच है। यहां की मेधा का यहां की बुद्धि का लोहा पूरी दुनिया मानती है। अगर आप पूरी दुनिया के सॉफ्टवेयर इंजीनियर को देखने चले जाओ, डॉक्टर्स को देखने चले जाओ। भारत के लोग जो आज विदेशों मे रह रहे हैं वहां सेटल हो गए हैं। वहां भारतवंशियों की स्थिति आप देखो तो आपको बहुत सुखद आश्चर्य होगा। आपको प्रसन्नता होगी कि किस तरह से उन्होंने अपने आप को समायोजित किया है। अपने स्तर को कितना ऊपर बढ़ाया है।
उस दूसरे देश के लोगों से ऊंचा स्तर भारत के रहने वाले लोगों का है। उसका कारण यह है कि भारत देश उन लोगों को वह व्यवस्था नहीं दे पाया, ऐसी व्यवस्था नहीं बन पाई कि उतनी प्रतिभाएं भारत में खप जाएं तो वो प्रतिभाएं बाहर चली गईं। नई-नई प्रतिभाएं जा रही हैं ये भी अच्छी बात है। भारत के लोग हर जगह जा रहे हैं और अपने देश का नाम ऊंचा कर रहे हैं। अपनी सभ्यता और संस्कृति का नाम ऊंचा कर रहे हैं लेकिन भारत को हम इस स्टेज से दुनिया के नंबर वन तक बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले हमें मूल्यों की बात करनी होगी। सबसे पहले हमें ये देखना होगा कि कौन सी ऐसी चीज है, कौन सा ऐसा मूल्य है, कौन सा ऐसा तत्व है जो किसी को आगे बढ़ाता है। ऐसा लगता है कि किसी के पास खनिज संपदा ज्यादा है तो वो बहुत प्रगतिशील होगा।
वहां प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है तो वह बहुत अमीर होगा। ऐसा नहीं है। आप झारखंड देखो वहां प्राकृतिक संसाधनों की बहुत प्रचुरता है लेकिन काफी पिछड़ा हुआ है। पंजाब में संसाधन कम हैं लेकिन फिर भी आगे है। ऐसे कई उदाहऱण भरे पड़े हैं। अगर महाद्वीप देखो तो अफ्रीका में बहुत सारे खनिज तत्व हैं लेकिन पीछे है। यूरोप में उस तुलना में खनिज नहीं हैं फिर भी वो आगे है। सबसे बड़ा उदाहरण है द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इजरायल को जो जमीन दी गई वो नितांत अनउपजाऊ भूमि थी, बंजर भूमि थी, खनिज भी नहीं था, पानी भी नहीं था। लोग सोच रहे थे कि लोगों का यहां सर्वाइव करना ही मुश्किल है और आज वो देश विकसित देशों की सूची में आकर खड़ा हो गया है।
ऐसी कौन सी चीज है जो किसी देश की सभ्यता को संस्कृति को, देश को विकसित बनाती है। विकसित देश दुनिया का नंबर वन देश कैसे बन सकता है। वह हैं आपके मूल्य आपकी संस्कृति आपकी सभ्यता जो आपको आगे लेकर जाती है। जो यह निश्चित करती है कि सभ्यता अगर नीचे से ऊपर तक सौ है तो आप कहां रहोगे। नीचे रहोगे, मध्य में रहोगे या टॉप पर रहोगे। यह सोच है। इजरायल के जो लोग थे वो यहूदी पूरी दुनिया में प्रताड़ित हुए, उत्पीड़ित हुए भारत के सिवा। और वे जाकर अलग-अलग देशों में रहने लगे। जो उसमें समर्थ थे वही दूसरे देशों में भागकर वहां रह पाए। जो बेचारे गरीब थे उन्होंने या तो इस्लाम ग्रहण कर लिया, क्रिश्चियनिटी को अपना लिया या फिर मारे गए। जो समर्थ थे वो अपने धर्म की रक्षा करते हुए अलग-अलग जगहों पर जाकर बस गए।
चूंकि उनके मूल्य उच्च थे, उनकी सोच उच्च थी तो जहां पर वह गए वहां पर उन्होंने प्रगति की और अंततोगत्वा उन्होंने अपने लिए एक देश के रूप में भूमि को चुना। उस अनउपजाऊ, बंजर भूमि को उन्होंने स्वर्ग की तरह बना दिया। उन्हें उर्वर बना दिया जिसने उनकी अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया। सारी विरोधी शक्तियों ने एक साथ मिलकर उनके ऊपर आक्रमण किया और उनको भी इजरायलियों ने यहूदियों ने हरा दिया। जो जिस जमीन में गए उससे ज्यादा उर्वर, उपजाऊ जमीन आसपास के लोगों की थी। आसपास के लोग संख्या में भी अधिक थे। उनके पास संसाधन भी अधिक थे। उनके पास पेट्रोलियम पदार्थ भी थे। इसके बावजूद भी वो उन्नति नहीं कर पाए। सारे अभावों के बावजूद इजरायली यहूदी उन्नति कर गए। इसका कारण ये था कि उनके पास सोच थी, उनके पास मूल्य था, उनके पास सभ्यता थी उनके पास संस्कृति थी।