ॐलोक आश्रम: भक्ति मार्ग क्यों श्रेष्ठ है? भाग-2
हे प्रभु तूने मेरे साथ बड़ा अन्याय किया। एक बड़ा प्रसिद्ध टेनिस प्लेयर था। विश्व में नंबर एक रैंकिंग थी
हे प्रभु तूने मेरे साथ बड़ा अन्याय किया। एक बड़ा प्रसिद्ध टेनिस प्लेयर था। विश्व में नंबर एक रैंकिंग थी। उसको कैंसर हो गया। एक रिपोर्टर ने पूछा कि आपने ईश्वर से पूछा नहीं कि मुझे की क्यों कैंसर हुआ। मैं इतनी मेहनत करता हूं। मैं इतना काम इतनी दौड़-भाग करता हूं। मैं समर्पित हूं। मैं हमेशा अच्छे रास्ते पर चलता हूं। उस टेनिस प्लेयर ने कहा कि आज तक जब ईश्वर ने मुझे सफलताएं दीं। बिल्कुल गरीबी से उठाकर मुझे विश्व का नंबर वन प्लेयर बना दिया। तब मैंने ईश्वर ने ये नहीं पूछा कि मैं ही क्यों, मुझे ही क्यों बनाया। इतने सारे खेलने वाले लोग हैं। इतने सारे प्रैक्टिस करने वाले लोग हैं और मुझे एक बीमारी हो गई तो इसके लिए मैं उस ईश्वर को दोष दे दूं। यह जीवन को देखने के ढंग हैं जीवन को जीने के ढंग हैं।
जिस ढंग को आप लेकर चलेंगे वैसे ही परिणाम आपको प्राप्त होंगे। जो चीजें आप देखोगे जिसके अनुसार आप आचरण करोगे, परिणाम भी उसी तरह से आपको मिलेंगे। अगर आपने जीवन में सुचि देखनी चालू की, पवित्रता देखनी चालू की, सकारात्मकता देखनी चालू की तब आप प्रभु की कृपा के अधिकारी हैं। ऐसा भक्त भगवान को प्रिय है जो पवित्रता ही देखता है। जो सामर्थ्य देखता है ईश्वर की। जो अपने साथ होने वाले हर कार्य हर व्यवहार के लिए ईश्वर को धन्यवाद देता है कि हे प्रभु तूने यही किया, इतना मुझे दिया। जो दिया उसके लिए उसके लिए धन्यवाद। अगर मुझे कुछ नहीं मिला तो उस बात का भी धन्यवाद कि उसमें भी मेरी कुछ भलाई ही छिपी है।
एक कहानी है टाइटैनिक शिप से जुड़ी हुई। जब टाइटैनिक शिप चलने वाला था तो एक दंपति ने अपने सारी जिंदगी की कमाई टाइटैनिक के टिकट बुक कराने में लगा दी। परिवार में पति-पत्नी और बच्चे थे। जिस दिन टाइटैनिक जहाज रवाना होने वाला था उसके ठीक एक दिन पहले उसके एक बच्चे को उसके पालतू कुत्ते ने काट लिया। पत्नी ने कहा कि बच्चा जख्मी हो गया है मैं इसे छोड़कर तो नहीं जा सकती आप बाकी दो बच्चों के साथ चले जाओ। पति बड़ा असमंजस में पड गया। सारा पैसा लगा चुका था और उस पैसे की लौटने की भी कोई उम्मीद नहीं थी। वह पत्नी और एक बच्चे को छोड़कर उस ट्रिप पर जाना नहीं चाहता था। उधेड़बुन की इस स्थिति में उसने शिप पर न जाने का मन बनाया।
न जाने का फैसला तो उसने ले लिया लेकिन उसके बाद वो बहुत दुखी रहा, रोता-गाता रहा, भगवान को बार-बार कोसता रहा। इतने पैसे बचाए थे इतनी बड़ी ट्रिप थी लेकिन वो जा नहीं पाया और जैसे ही कुछ दिनों बाद टाइटैनिक के डूबने की खबर आई वह भगवान को धन्यवाद देने लगा कि हे प्रभु तूने बड़ा बढ़िया किया, इतना अच्छा किया। मुझे और मेरे परिवार को बचा लिया। जिस कुत्ते ने बच्चे को काटा था उससे भी उतना ही प्रेम किया ये सोचकर कि इस कुत्ते ने काट लिया हमें नहीं जाने दिया और हमारी जिंदगी बचा ली। ये जीवन को देखने के ढंग हैं। जिस चीज का हम समस्या समझते हैं कभी-कभी वही समाधान होता है।