ॐलोक आश्रम: शक्ति की उपासना क्यों करनी चाहिए? भाग -2

हमारे ऋषियों ने हमारे मुनियों ने ये देखा कि जब हम ईश्वर की शक्ति के साथ एकाकार होते हैं, ध्यान करते हैं तो उस ध्यान में उस शक्ति की साधना करते हैं तो हमारे अंदर की शक्तियां प्रस्फुटित होती हैं।

Saurabh Dwivedi
Saurabh Dwivedi

हमारे ऋषियों ने हमारे मुनियों ने ये देखा कि जब हम ईश्वर की शक्ति के साथ एकाकार होते हैं, ध्यान करते हैं तो उस ध्यान में उस शक्ति की साधना करते हैं तो हमारे अंदर की शक्तियां प्रस्फुटित होती हैं। तंत्र शास्त्र में हमारे शरीर के अंदर अनेकानेक चक्र माने गए हैं। जब हम शक्ति की अराधना करते हैं उसकी पूजा करते हैं तो हमारे मनस के अंदर हमारी सुषुप्त शक्तियां जागृत होना चालू करती हैं। जो प्रभाव योग उत्पन्न करता है। यौगिक विधियों के द्वारा कार्य किए जाने पर व्यक्ति की जो शक्तियां जागृत होती हैं वही प्रभाव उत्पन्न करती है शक्ति की अराधना। शक्ति की साधना। शक्ति की साधना से व्यक्ति के अंदर अनेकानेक सूक्ष्म शक्तियां जागृत हो जाती हैं उसके चक्रों के अंदर प्रस्फुटन चालू हो जाता है उसके चक्र जागरूक होना चालू हो जाते हैं।

उसका औरा बन जाता है औरा बढ़ता जाता है। अनायास ही वो विभिन्न सिद्धियों का स्वामी होता जाता है। यह शक्ति की अराधना जीवन में सफलता पाने का सरलतम तरीका है। जीवन में हम जैसे कहीं जाना चाहते हैं हम बस से भी जा सकते हैं हम ट्रेन से भी जा सकते हैं। हम प्लेन से भी जा सकते हैं या हम किसी को व्हाट्सअप कॉल भी डायरेक्ट कर सकते हैं। यह शक्ति एक व्हाट्सअप कॉल की तरह डायरेक्ट कनेक्ट होती है। जिनपर भी प्रभु की कृपा होती है, माता की कृपा होती है और वो अपने को उस शक्ति से कनेक्ट कर लेते हैं। शीघ्र अतिशीघ्र वो बहुत सारी शक्तियों के स्वामी हो जाते हैं। वो शक्तियां व्यक्ति के अंदर आ जाती हैं। भविष्य देखने की शक्ति, लोगों को सलाह देने की शक्ति। हित-अहित देख लेने की शक्ति। बहुत सारी ऐसी छोटी और बड़ी शक्तियां हैं जो देवी प्रसन्न होकर व्यक्ति के अंदर दे देती है। ये कहीं बाहर से नहीं आती है ये हमारे दिमाग में ही होती है।

जिस तरह हमारी पांच ज्ञानेन्द्रियां हैं हमारी आंखें हैं, कान हैं, नाक है। इसी तरह एक छठी है, सातवीं हैं, आठवीं है। बहुत सारी सुषुफ्त शक्तियां हैं हमारे मस्तिष्क के अंदर जो कि हमें ज्ञान दे देती हैं। जो सज्जन व्यक्ति होते हैं जो पुराने जमाने में त्रेता युग में द्वापर युग में जो लोग शगुन, अपशगुन की बातें करते थे। उनके अंग विशेष का फड़कना, उनको आकाशवाणी होना, उनको अनेकानेक चीजों की अपने आप ज्ञात होना। ऐसा हो जाता था क्योंकि चित्त निर्मल था। जब हम शक्ति की अराधना करते हैं हमारे अंदर की शक्ति प्रस्फुटित होती है। हमारे अंदर जो विकार हैं वो विकार बाहर निकलते हैं तो धीरे-धीरे हमारे अंदर की जो सोयी हुई शक्तियां हैं वो जागृत होती हैं। जैसे बाहर में अगर शक्ति है। तारों में बिजली दौड़ रही है और आपके पास एक मशीन रखी हुई है अगर आप उसको उस तार से कनेक्ट कर लो और विद्य़ुत का प्रवाह हो जाए तो बंद मशीन भी तुरंत चल उठेगी। इसी तरह शक्ति की उपासना है, शक्ति की अराधना है।

अगर आपका शक्ति से कनेक्शन हो जाए और आप कनेक्ट हो जाओ शक्ति से। शक्ति ने आपको योग्य मान लिया तो धीरे-धीरे बड़ी तेजी से आपने जीवन में चमात्कारिक परिवर्तन चालू होंगे और आपको अनायास ही सफलता मिलनी चालू हो जाएगी। इसलिए जीवन में शक्ति की अराधना का विशेष महत्व है और इसके लिए जो सबसे उपयुक्त समय है वह नवरात्रि के नौ दिनों का है जो साल में दो बार आता है। वैसे तो इसकी उपासना कभी भी की जा सकती है क्योंकि ईश्वरीय शक्तियां ये कुछ विशेष व्यक्तियों पर ही कृपा करती हैं। जैसा कि उपनिषदों में कहा गया है कि ये दिव्य शक्तियां जिस व्यक्ति को अपने अनुरूप पाती हैं, जिस व्यक्ति पर कृपा करना चाहती हैं ये उसी व्यक्ति पर कृपा करती हैं।

हर व्यक्ति यह चाहता है कि ईश्वरीय शक्ति मेरे ऊपर कृपा कर दें लेकिन यह आपके पूर्व जन्म के कर्तव्य होते हैं यह आपका समर्पण होता है और प्रभु की इच्छा होती है, माता की इच्छा होती है कि वह किस पर कृपा करेंगी लेकिन हमारा काम है कि हम अपने चित्त को निर्मल रखें, प्रभु की शरण में रहें, समग्र समर्पण करें। प्रभु के सामने कोई शर्त न रखें। प्रभु के सामने समर्पित रहें तो हमारे ऊपर भगवान की कृपा होती है और हम अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर पाते हैं कि किसलिए हम पैदा हुए हैं। हम जिसलिए पैदा हुए उसी दिशा में आगे बढ़ते हैं। हमारे अंदर जो दिव्यत्व है जो दैविक शक्तियां हैं उनका उन्नयन होता है। जो हमारे शरीर के अंदर पाशविक प्रवृतियां हैं धीरे-धीरे उसका दमन होने लगता है तो जीवन को इस तरह हम आगे ले जा सकते हैं शक्ति की उपासना के द्वारा। 

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26 December 2022, 04:41 PM IST

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