ओणम आज, 10 दिनों का ये पर्व क्यों है खास, जानें हर दिन का महत्व और उपासना विधि
ओणम 2025 केरल और तमिलनाडु में बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, जो भगवान विष्णु के वामन अवतार और राजा महाबली के आगमन के लिए समर्पित है.

Onam 2025: केरल और तमिलनाडु में बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला ओणम दक्षिण भारत का प्रमुख त्योहार है. मलयालम कैलेंडर के पहले महीने चिंगम में आने वाला ये पर्व अगस्त-सितंबर के बीच पड़ता है और लगभग 10 दिनों तक चलता है. इसे मलयालम में थिरुवोणम भी कहते हैं और ये भगवान विष्णु के वामन अवतार को समर्पित माना जाता है. इस दौरान लोग अपने घरों को रंग-बिरंगे फूलों और तोरणों से सजाते हैं और खेतों में फसल की अच्छी उपज के लिए प्रार्थना करते हैं.
ओणम का त्योहार ना केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि ये परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियों और परंपराओं को मनाने का अवसर भी है. केरल में इस दौरान कथकली नृत्य, नौका दौड़ जैसी सांस्कृतिक गतिविधियां होती हैं और देश-विदेश से लोग इस महापर्व का आनंद लेने आते हैं.
ओणम 2025 शुभ मुहूर्त
थिरुवोणम नक्षत्र, जो श्रवण नक्षत्र के नाम से भी जाना जाता है, इस साल 4 सितंबर रात 11:44 बजे शुरू हुआ और 5 सितंबर रात 11:38 बजे तक रहेगा. यही नक्षत्र ओणम पर्व मनाने के लिए सबसे शुभ माना जाता है.
कैसे मनाया जाता है ओणम?
ओणम के दिन लोग राजा महाबली के धरती पर आगमन की खुशी में घरों और मंदिरों को सजाते हैं. कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर महाबली को ये वरदान दिया था कि वो साल में एक दिन अपनी प्रजा से मिलने धरती पर आ सकते हैं. इस अवसर पर घरों में रंगोली बनती है, फूलों से सजावट की जाती है और स्वादिष्ट पकवान जैसे खीर, पूरी और सब्जियां बनाई जाती हैं.
केरल में इस दौरान कथकली नृत्य, नौका दौड़ और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. लोग मिठाइयां बांटते हैं, उपहार देते हैं और पूरे उत्साह के साथ ओणम का जश्न मनाते हैं.
ओणम के 10 दिनों का महत्व
अथम (पहला दिन) – ओणम के पहले दिन लोग सुबह स्नान के बाद मंदिर में पूजा करते हैं और केले-पापड़ जैसे पारंपरिक व्यंजन खाते हैं. घरों में पुष्प सजावट या पकलम बनाना इस दिन की खास परंपरा है.
चिथिरा (दूसरा दिन) – महिलाएं नए फूलों से पुष्पकालीन सजावट करती हैं, जबकि पुरुष फूल लाते हैं.
चोडी (तीसरा दिन) – थिरुवोणम के लिए खरीदारी और एक-दूसरे को उपहार देना इस दिन की विशेषता है.
विषाकम (चौथा दिन) – फूलों के कालीन बनाने की प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं और अचार, आलू चिप्स जैसी तैयारी की जाती है.
अनिजाम (पांचवां दिन) – नौका दौड़ प्रतियोगिता (वल्लमकली) का आयोजन किया जाता है.
थिक्रेता (छठा दिन) – सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं और रिश्तेदारों को बधाई दी जाती है.
मूलम (सातवां दिन) – बाजार सजते हैं और घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं.
पूरादम (आठवां दिन) – मिट्टी से पीरामिड जैसी मूर्तियां बनाई जाती हैं और पुष्प अर्पित किए जाते हैं.
उथिरादम (नौवां दिन) – इसे प्रथम ओणम कहा जाता है और राजा महाबली के आगमन की प्रतीक्षा की जाती है.
थिरुवोणम (दसवां दिन) – ओणम का मुख्य दिन, जब राजा महाबली धरती पर आते हैं. पुष्प कालीन बनाई जाती है और थाली में विभिन्न पकवान सजाए जाते हैं. इसे दूसरा ओणम भी कहा जाता है.


