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दिल्ली के बाद हरियाणा में छिड़ा विवाद, कुत्तों की निगरानी के लिए अध्यापकों की ड्यूटी लगाने पर अनुराग ढांडा ने BJP पर साधा निशाना

हरियाणा में शिक्षकों को आवारा कुत्तों की निगरानी की ड्यूटी देने पर विवाद बढ़ गया है. शिक्षक धरने पर हैं और आम आदमी पार्टी ने इसे शिक्षा विरोधी फैसला बताते हुए सरकार से आदेश वापस लेने की मांग की है.

हरियाणा: दिल्ली के बाद अब हरियाणा में भी शिक्षकों को आवारा कुत्तों की गिनती और निगरानी की जिम्मेदारी दिए जाने को लेकर सियासी और सामाजिक विवाद तेज हो गया है. इस फैसले के विरोध में कैथल जिले में शिक्षक धरने पर बैठ गए हैं. शिक्षकों का साफ कहना है कि उनकी नियुक्ति बच्चों को पढ़ाने के लिए हुई है, न कि कुत्तों और अन्य जानवरों की देखरेख के लिए. उनका मानना है कि इस तरह के आदेश शिक्षा व्यवस्था की प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं.

शिक्षकों में नाराजगी, सड़कों पर उतरे

कैथल में शिक्षकों का गुस्सा खुलकर सामने आया है. प्रदर्शन कर रहे अध्यापकों का कहना है कि पहले ही उन पर पढ़ाई के अलावा कई गैर-शैक्षणिक काम थोपे जाते रहे हैं और अब कुत्तों की निगरानी जैसी जिम्मेदारी देकर सरकार ने हद पार कर दी है. उनका आरोप है कि इससे न सिर्फ शिक्षा का स्तर प्रभावित होगा, बल्कि शिक्षक पद की गरिमा भी कम होती है.

आम आदमी पार्टी का भाजपा सरकार पर हमला

इस मुद्दे पर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने हरियाणा की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले यह दिखाते हैं कि सरकार को न तो शिक्षा व्यवस्था की चिंता है और न ही शिक्षकों के सम्मान की. उनके मुताबिक, राज्य में शिक्षा पहले से ही संकट में है, लेकिन उसे सुधारने के बजाय शिक्षकों को गैर-जरूरी और असंबंधित कामों में लगाया जा रहा है.

आंकड़े बताते हैं शिक्षा व्यवस्था की हकीकत

अनुराग ढांडा ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि हरियाणा में लगभग 14 हजार सरकारी स्कूल हैं, लेकिन 30 हजार से ज्यादा शिक्षक पद खाली पड़े हैं. हालात यह हैं कि 85 से 90 प्रतिशत स्कूल बिना स्थायी हेडमास्टर के चल रहे हैं. कई जगह एक शिक्षक पर 400 से 500 बच्चों की जिम्मेदारी है. इसके बावजूद 24 दिसंबर 2025 को कैथल जिला शिक्षा अधिकारी ने आदेश जारी कर हर स्कूल में आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए.

विश्वविद्यालयों तक फैला आदेश

यह मामला सिर्फ स्कूलों तक सीमित नहीं है. रोहतक स्थित महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय में भी 24 दिसंबर 2025 को आदेश जारी कर प्रोफेसरों को परिसर में आवारा कुत्तों की निगरानी का जिम्मा सौंप दिया गया. इससे यह साफ होता है कि सरकार ने शिक्षा संस्थानों को पढ़ाई के केंद्र की बजाय निगरानी और प्रशासनिक कामों का स्थान बना दिया है.

सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल

अनुराग ढांडा ने यह भी सवाल उठाया कि जब 70 से 75 प्रतिशत सरकारी स्कूलों में स्थायी चौकीदार तक नहीं हैं, और कई जगह एक चौकीदार को दो-तीन स्कूलों की जिम्मेदारी दी जाती है, तब शिक्षकों पर यह अतिरिक्त बोझ क्यों डाला जा रहा है. उनका कहना है कि अगर सरकार को सच में आवारा कुत्तों और जानवरों की समस्या की चिंता है, तो इसके लिए अलग से एनिमल कंट्रोल या सुरक्षाकर्मियों की भर्ती की जानी चाहिए.

‘शिक्षक पढ़ाए या कुत्तों की निगरानी करे?’

आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से सीधे सवाल किया है कि आखिर सरकार यह तय करे कि हरियाणा में शिक्षक पढ़ाने का काम करेंगे या कुत्तों की निगरानी. पार्टी का आरोप है कि भाजपा सरकार ने शिक्षकों को बीएलओ, चौकीदार और अब जानवरों का रखवाला बनाकर उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई है. पार्टी ने चेतावनी दी कि यह केवल शिक्षकों का मुद्दा नहीं, बल्कि लाखों बच्चों के भविष्य से जुड़ा मामला है.

अलग भर्ती की मांग

आम आदमी पार्टी ने मांग की है कि कुत्तों और जानवरों की निगरानी के लिए अलग से सरकारी भर्ती निकाली जाए और शिक्षकों को इस तरह के कामों से मुक्त किया जाए. पार्टी का कहना है कि शिक्षा को बोझ और शिक्षकों को मजबूर मजदूर समझने वाली सोच को हरियाणा की जनता अब और स्वीकार नहीं करेगी.

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