हरियाणा: मोरबी पुल टूटने से राजनीतिक सियासत तेज, सुरजेवाला ने भाजपा पर साधा निशाना

गुजरात के मोरबी में पुल टूटने से लगभग 141 लोगों की मौत पर सियासत होनी शुरू हो गई है। जिस पर सुरजेवाला ने ट्वीट कर भाजपा को निशाने पर लिया

Janbhawana Times
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संबाददाता- राजीव मेहता (हरियाणा)

हरियाणा। गुजरात के मोरबी में पुल टूटने से लगभग 141 लोगों की मौत पर सियासत होनी शुरू हो गई है। जिस पर सुरजेवाला ने ट्वीट कर भाजपा को निशाने पर लिया जिस पर अनिल विज ने पलटवार करते हुए कहा कि सुरजेवाला को इतने उतावले होने की जरूरत नही है। जांच चल रही है सुरजेवाला ऐसे राजनेता है जो मौतों पर भी सियासत करते है। और ऐसे राजनेता कभी सफल नहीं होते ।

गुजरात के मोरबी में केबल पुल टूटने से लगभग 141 लोगों की मरने की खबर आई है जिसके बाद इस पर सियासत भी गरमाने लगी है। जिस पर कांग्रेस के नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट करके भाजपा सरकार से सवाल पूछे कि फिटनेस सर्टिफिकेट के बगैर पुल को जनता के हवाले कैसे कर दिया। सुरजेवाला ने ट्वीट में कहा कि आचार संहिता लगने से कहीं आनन-फानन में तो ऐसा नही किया गया।

वहीं विज ने सुरजेवाला पर पलटवार करते हुए कहा कि रेस्क्यू कार्य किया जा रहा है और वही करना चाहिए। सुरजेवाला को तो मौका मिलना चाहिए लोगों की जो मौते हुईं हैं, उन पर भी राजनीति कर रहे है। ऐसे राजनेता कभी सफल नहीं होते है। पहले तो वहां रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है और इसमें कोई कमियां होंगी तो उसमें भी कार्रवाई की जाएगी। सुरजेवाला को इतना उतावला नहीं होना चाहिए।

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेटर जावेद मियांदाद ने बयान दिया कि भारत के लोग कायर है। जिस पर अनिल विज ने पलटवार करते हुए कहा कि पाकिस्तान को 1965, 1971 में धूल चटाई। कारगिल युद्ध में सब कुछ तोड़ दिया लेकिन अभी भी पाकिस्तान को शर्म नहीं आई। अभी भी उन्हें दिखाई नहीं दिया हिंदुस्तान की क्षमता और हिंदुस्तान की दिलेरी। इससे उन्हें सबक लेना चाहिए और इस तरह की अनर्गल बातें नही करनी चाहिए।

अनिल विज ने बीते रोज ट्वीट करके कहा कि साहित्यकारों को 2047 में भारत कैसा हो? इस पर किताब लिखनी चाहिए। जिस पर आज अनिल विज ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि अंबाला में विनय मल्होत्रा ने यूक्रेन पर किताब लिखी है। जो कि सबसे लेटेस्ट है और हिंदुस्तान में किसी ने नहीं लिखी है।

ऐसे ही ट्रांसजेंडर के मौलिक अधिकारों पर किताबें लिखी गई है। वही 1857 की क्रांति अंबाला छावनी से शुरू हुई है इस पर भी किताब लिखी गई है। इसके साथ ही अंबाला के साहित्यकारों ने कई और विषयों पर भी किताबें लिखी है। इसलिए विज ने अंबाला के साहित्यकारों को सुझाव दिया कि 2047 के भारत पर भी किताब लिखनी चाहिए।

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31 October 2022, 04:15 PM IST

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