यूपी में बने हथियारों से चीन को खदेड़ रहे भारतीय जवान

नोएडा। अरुणाचल के तवांग में नौ दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों के झड़प हुई थी। इस झड़प में करीब 600 चीनी सैनिकों ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सेना ने कंटीले लाठी-डंडों से चीन को करारा जवाब दिया और दुश्मनों को खदेड़ दिया। इस झड़प में कई दर्जन चीनी सैनिक घायल हो गए।

Janbhawana Times
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नोएडा। अरुणाचल के तवांग में नौ दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों के झड़प हुई थी। इस झड़प में करीब 600 चीनी सैनिकों ने 17 हजार फीट की ऊंचाई पर घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सेना ने कंटीले लाठी-डंडों से चीन को करारा जवाब दिया और दुश्मनों को खदेड़ दिया। इस झड़प में कई दर्जन चीनी सैनिक घायल हो गए।

तवांग झड़प के बाद एक बार फिर त्रिशूल, वज्र, सैपर पंच, दंड और भद्र जैसे हथियार चर्चाओं में है। वजह है कि बिना किसी को जान से मारे यह हथियार दुशमनों को सबक सिखा सकते हैं। साल 1996 में हुए एक समझौते के तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के दो किलोमीटर के दायरे में कोई भी पक्ष यानी चीन और भारत गोलीबारी या विस्फोटकों से हमला नहीं करेगा।

जिन त्रिशूल, वज्र, सैपर पंच, दंड और भद्र जैसे हथियारों की चर्चा हो रही है। उन्हें नोएडा स्थित बेस्ड एपास्टेरॉन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बना रही है। व्रज स्टेलनेस स्टील से बना एक हथियार है। इसका 75 प्रतिशत हिस्सा करंट फ्लो करता है। झटका लगते ही दुश्मन शिथिल पड़ जाता है। एक घंटे चार्ज करने के बाद इसे आठ घंटे तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका वजन सिर्फ दो से ढाई किलो का है। ऐसे में भारतीय सैनिकों को इसे हाथ में पकड़कर इस्तेमाल काफी आसान है।

सैपर पंच आम दस्ताने या पंच की तरह अपने हाथ में पहना जाता है। अंगूठे और उंगली के बीच इसमें स्विच लगे हैं, जो मुट्ठी बांधने पर एक्टिवेट हो जाते हैं और जिसे भी पंच लगता है, उसको बिजली का तेज झटका लगता है। इस झटके से दुश्मन को संभलने का मौका नहीं मिलता और कुछ देर के लिए वह पैरालाइज हो जाता है। इसका वेट काफी कम है और इसे आसानी से पकड़ा जा सकता है।

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16 December 2022, 05:31 PM IST

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