चुनाव में कोई बड़ा या छोटा भाई नहीं... बिहार में BJP और जदयू बराबर सीटों पर लड़ेंगे विधानसभा चुनाव

Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए में सीटों का बंटवारा लगभग तय हो गया है, जिसमें बीजेपी और जेडीयू बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. छोटे सहयोगी दलों को सीमित सीटें दी जा रही हैं, जबकि चिराग पासवान सीटों और क्षेत्रों को लेकर अब भी बातचीत में हैं. चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे. महागठबंधन और आप जैसे दल भी मुकाबले को दिलचस्प बना रहे हैं.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Bihar Assembly Election 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की राजनीतिक सरगर्मियां तेज़ हो चुकी हैं. जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर बातचीत भी अंतिम दौर में पहुंच चुकी है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) मुख्य साझेदार हैं, ने आगामी चुनाव में बराबरी से सीटें लड़ने का निर्णय लिया है. सूत्रों के मुताबिक, कुल 243 विधानसभा सीटों में से 205 सीटें बीजेपी और जेडीयू आपस में बराबरी से साझा करेंगे. इसका मतलब है कि दोनों दल करीब-करीब 102 या 103 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेंगे.

छोटे दलों के लिए सीमित हिस्सेदारी

एनडीए की बाकी 38 सीटें छोटे घटक दलों के बीच बांटी जाएंगी, जिनमें लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा), हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) शामिल हैं. लोजपा प्रमुख चिराग पासवान को 25 सीटें देने का प्रस्ताव रखा गया है, जबकि जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' को 7 सीटें और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा को 6 सीटें दिए जाने की चर्चा है. हालांकि, चिराग पासवान अपनी पार्टी के प्रभाव वाले क्षेत्रों की सीटें मांग रहे हैं, जिससे बातचीत अभी पूरी तरह से निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है. अगर लोजपा को कुछ और सीटें मिलती हैं, तो संभव है कि मांझी और कुशवाहा के हिस्से में कटौती हो.

राजनीतिक संतुलन साधने की कोशिश
यदि छोटे दलों को उम्मीद के मुताबिक सीटें नहीं मिलती हैं, तो बीजेपी उन्हें संतुलित करने के लिए राज्यसभा या विधान परिषद की सदस्यता का प्रस्ताव दे सकती है. यह रणनीति एनडीए के अंदरूनी संतुलन को बनाए रखने की दिशा में एक कूटनीतिक प्रयास मानी जा रही है, ताकि कोई भी दल नाराज़ होकर गठबंधन से बाहर न जाए.

चुनाव कार्यक्रम और वोटिंग का चरणबद्ध ढांचा
भारत निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है. यह चुनाव दो चरणों में संपन्न होंगे. पहला चरण 6 नवंबर को होगा, जिसमें राज्य के 121 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान किया जाएगा. यह क्षेत्र मुख्यतः मध्य बिहार के ग्रामीण और बाढ़ प्रभावित इलाकों में फैले हुए हैं. वहीं, दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा, जिसमें 122 सीटों पर वोटिंग होगी. यह चरण मुख्य रूप से सीमावर्ती जिलों को कवर करता है. चुनाव के नतीजे 14 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है, इसलिए यह चुनाव सत्ता के निर्बाध हस्तांतरण के लिए बेहद अहम माना जा रहा है.

मतदाता आंकड़े और युवा शक्ति
इस बार बिहार में कुल 7.4 करोड़ से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इनमें से लगभग 14 लाख मतदाता पहली बार वोट डालेंगे. युवा वर्ग की यह भागीदारी चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है, खासकर उन सीटों पर जहां प्रत्याशियों की स्थिति बेहद नाजुक है.

मुकाबले की राजनीतिक तस्वीर
एनडीए की अगुवाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं, जो जेडीयू के मुखिया हैं और बीजेपी के साथ गठबंधन कर एक बार फिर सत्ता में वापसी की कोशिश में हैं. वहीं, विपक्षी महागठबंधन जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं, सत्ता परिवर्तन के लिए पूरी ताकत झोंक रहा है. इस बार आम आदमी पार्टी (आप) भी बिहार की राजनीति में पहली बार एंट्री कर रही है और सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का एलान कर चुकी है. इससे चुनावी मुकाबला और ज्यादा दिलचस्प हो गया है.

सामाजिक समीकरण और मुद्दे
इस चुनाव में सामाजिक समीकरण भी निर्णायक भूमिका निभाएंगे. अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC), जो राज्य की जनसंख्या का लगभग 33 प्रतिशत है, पारंपरिक रूप से एनडीए समर्थक रहा है, लेकिन इस बार विपक्ष भी इस वर्ग को साधने की पूरी कोशिश कर रहा है. इसके अलावा, महिला मतदाताओं की भागीदारी में लगातार हो रही वृद्धि, खासकर ग्रामीण इलाकों में, चुनाव परिणामों को अप्रत्याशित दिशा दे सकती है. उत्तर बिहार में हुए विकास कार्य, खासकर सड़क, पुल और बुनियादी सुविधाओं में सुधार ने भी इस बार के चुनाव क्षेत्रों के निर्धारण में अहम भूमिका निभाई है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 केवल सत्ता की दौड़ नहीं है, बल्कि यह सामाजिक, क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों की नई परख का समय भी है. एनडीए अपने पुराने गठजोड़ को मजबूत बनाए रखने की कोशिश में है, जबकि विपक्ष सत्ता परिवर्तन के लिए पूरी रणनीति के साथ मैदान में उतरा है. चुनावी नतीजे सिर्फ यह तय नहीं करेंगे कि अगली सरकार किसकी होगी, बल्कि यह भी बताएंगे कि बिहार की जनता विकास, सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व को किस दिशा में लेकर जाना चाहती है.

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07 October 2025, 03:27 PM IST

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