'जा के अपने बाप के साथ ऑटो चला'... सिराज ने याद किए धोनी के वो शब्द, जिन्होंने बदल दी उनकी जिंदगी

Mohammed Siraj: भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज का जीवन कभी आसान नहीं रहा. कभी अपनी असफलताओं पर ट्रोलिंग झेलने वाले सिराज आज टीम इंडिया के अहम खिलाड़ी हैं. सिराज ने हाल ही में खुलासा किया कि कैसे एक वक्त पर कैसे एमएस धोनी की सलाह ने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाया.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Mohammed Siraj: भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज का जीवन कभी आसान नहीं रहा. कभी अपनी असफलताओं पर ट्रोलिंग झेलने वाले सिराज आज टीम इंडिया के अहम खिलाड़ी हैं. लेकिन उनकी यह सफलता रातों-रात नहीं मिली. सिराज ने हाल ही में खुलासा किया कि कैसे एक वक्त पर उन्हें सोशल मीडिया पर अपशब्द कहे गए और कैसे एमएस धोनी की सलाह ने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाया.

सिराज, जिन्हें आज जसप्रीत बुमराह के बाद भारत का दूसरा सबसे भरोसेमंद तेज गेंदबाज माना जाता है, ने अपने शुरुआती दिनों में कठिन दौर देखा. आईपीएल के खराब सीजन में उन्हें इतना ट्रोल किया गया कि उन्होंने खुद पर शक करना शुरू कर दिया था. मगर तभी धोनी के शब्दों ने उन्हें संभाल लिया.

धोनी की सीख बनी सिराज की ताकत

मोहम्मद सिराज ने बताया कि आईपीएल में खराब प्रदर्शन के बाद उन्हें बहुत बुरी तरह से ट्रोल किया गया. उन्होंने कहा,
"जब चीजें मेरे हिसाब से नहीं चलीं, तो लोगों ने बहुत बुरा कहा. एक दिन लोग बोलते हैं सिराज जैसा गेंदबाज कोई नहीं, और अगले दिन अगर मैं अच्छा प्रदर्शन नहीं करता, तो कहते हैं जा के अपने बाप के साथ ऑटो चला. इसका क्या मतलब?"

सिराज ने आगे कहा कि इस दौरान उन्होंने एमएस धोनी की दी गई एक सलाह को याद किया, जिसने उनका नजरिया बदल दिया. उन्होंने कहा, "जब मैं इंडिया टीम में शामिल हुआ था, तब धोनी भाई ने मुझसे कहा था, किसी की बातों में मत आना. जब तू अच्छा करेगा, तो पूरी दुनिया तेरे साथ रहेगी, और जब खराब करेगा, यही दुनिया तुझे गाली देगी."

सिराज ने कहा कि धोनी के ये शब्द उनके लिए जीवन का मंत्र बन गए.  उन्होंने कहा, "उस दिन के बाद मैंने तय कर लिया कि मुझे बाहरी तारीफों की जरूरत नहीं. मेरे लिए मायने रखता है कि मेरे साथी खिलाड़ी और मेरा परिवार मेरे बारे में क्या सोचते हैं."

संघर्षों से निकला एक चैंपियन

हैदराबाद के एक साधारण परिवार से आने वाले सिराज के लिए क्रिकेट कभी आसान सपना नहीं था. उनके पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे और मां घर चलाने के लिए कड़ी मेहनत करती थीं. सिराज ने बताया, "सच कहूं तो मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इंडिया के लिए खेलूंगा. हमारे पास पैसे नहीं थे. मैं टेनिस बॉल क्रिकेट से जो भी कमाता था, वो सब घर पर दे देता था."

पहली बार पहने स्पाइक्स

सिराज ने अपनी पहली बड़ी प्रतियोगिता जिला स्तर पर खेली, तब तक उन्होंने कभी लेदर बॉल से गेंदबाजी नहीं की थी. लेकिन एक मैच में विजय आनंद ग्राउंड पर उनकी गेंदबाजी देखकर चारमीनार क्रिकेट क्लब के मालिक ने उन्हें टीम में शामिल करने का प्रस्ताव दिया. सिराज ने बताया, "जब मैंने कहा कि मेरे पास पैसे नहीं हैं, तो उन्होंने कहा, ‘टेंशन मत ले, सब हम देंगे.’ वही मेरे करियर का टर्निंग पॉइंट था. मैंने पहली बार स्पाइक्स वहीं पहनें."

नेट बॉलर से टीम इंडिया तक का सफर

सिराज की तेज गेंदबाजी की चर्चा तेजी से फैलने लगी. एक बार रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर और सनराइजर्स हैदराबाद के मैच से पहले वे नेट बॉलर के रूप में विराट कोहली और केएल राहुल को गेंदबाजी कर रहे थे. वहीं पर तब के भारतीय बॉलिंग कोच भरत अरुण की नजर उन पर पड़ी.

हालांकि अगले सीजन में उन्हें रणजी टीम से बाहर कर दिया गया, लेकिन किस्मत ने फिर करवट ली. भरत अरुण, जो उस वक्त हैदराबाद टीम के कोच बन चुके थे, उन्होंने सिराज को वापस बुलाया. सिराज ने कहा, "अरुण सर ने पूछा, ‘वो लड़का कहां है जिसे मैंने देखा था?’ उन्होंने मुझे टीम में शामिल किया और उसी साल मैं रणजी ट्रॉफी का सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला गेंदबाज बना."

सिराज अपने संघर्ष को कभी नहीं भूलते. उनका मानना है कि उनकी मेहनत और माता-पिता की दुआओं ने ही उन्हें यहां तक पहुंचाया. सिराज ने कहा, "ऊपर वाले ने साथ दिया, मेरी मेहनत थी, मां-बाप की दुआ थी."

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07 October 2025, 03:05 PM IST

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