सम्पादकीय: परिणाम से सीखने की जरूरत

कुछ इंतजार के बाद शुक्रवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने पहले 12वीं और फिर 10वीं बोर्ड परीक्षा के नतीजे घोषित कर दिये। महामारी के कम से कम तीन चरम दौर के बाद आये ये नतीजे बहुत आशा जगाते हैं।

Janbhawana Times
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कुछ इंतजार के बाद शुक्रवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने पहले 12वीं और फिर 10वीं बोर्ड परीक्षा के नतीजे घोषित कर दिये। महामारी के कम से कम तीन चरम दौर के बाद आये ये नतीजे बहुत आशा जगाते हैं। बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को कामयाबी मिली है और इससे अन्य निचली कक्षाओं के विद्यार्थियों को भी बेहतर पढ़ाई व तैयारी के लिये प्रेरणा मिलेगी। कक्षा 12वीं उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थी 92.71 प्रतिशत, जबकि 10वीं पास करने वाले 94.40 प्रतिशत हैं। यह अच्छा है कि इस बार भी टॉपर घोषित नहीं किये गये हैं। टॉपर की सूची से समग्रता में लाभ कम और नुकसान ज्यादा होता है। किसी एक परीक्षा में नाकाम रहने वाले या कम अंक लाने वाले विद्यार्थियों की मन:स्थिति का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए और यह काम सीबीएसई अच्छी तरह से करने लगा है। कोई भी परीक्षा परिणाम अंतिम नहीं होता। एकाधिक परीक्षाओं में नाकाम हुए विद्यार्थी भी आगे चलकर कामयाब हस्तियों में शुमार हुए हैं। कोई भी परीक्षा परिणाम एक प्रेरणा या पड़ाव है, ताकि ज्यादा से ज्यादा विद्यार्थियों का प्रदर्शन अच्छा हो सके। कमियों से सीखा जा सके। कई बार 10वीं में कम अंक लाने वाले 12वीं में बहुत अंक लाते हैं और कई 12वीं में कम अंक लाने वाले कॉलेज में रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन कर गुजरते हैं। 

महामारी से प्रभावित पढ़ाई के बावजूद सीबीएसई कक्षा 10 में 64,908 या 3.10 प्रतिशत विद्यार्थियों को 95 प्रतिशत या उससे ज्यादा अंक मिले हैं। कुल 2,36,993 या 11.32 प्रतिशत विद्यार्थियों को 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक मिलना भी बहुत उत्साहजनक है। खास बात यह है कि दक्षिण भारत के विद्यार्थी और खासकर त्रिवेंद्रम क्षेत्र के विद्यार्थियों का प्रदर्शन 10वीं और 12वीं, दोनों में बहुत शानदार रहा है। 10वीं में दिल्ली क्षेत्र के परिणाम निराश करते हैं, इस क्षेत्र में सफलता प्रतिशत 87 भी नहीं है, जबकि 96 प्रतिशत से ज्यादा के साथ नोएडा, 94 प्रतिशत से ज्यादा परिणाम के साथ प्रयागराज क्षेत्र की कामयाबी प्रशंसनीय है। राष्ट्रीय राजधानी में परीक्षा परिणाम सुधारने के लिए हरसंभव प्रयास करने पड़ेंगे। बच्चों को केवल सुविधा दे देने से अच्छे परिणाम नहीं मिलेंगे। पूर्वोत्तर क्षेत्र पर भी ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। अब परंपरा-सी हो गई है, लड़कियों का उत्तीर्णता प्रतिशत हमेशा ही ज्यादा रह रहा है। लड़कियां जिस हठ और विशिष्टता के साथ स्कूल पास कर रही हैं, उसी उत्साह के साथ उन्हें उच्च शिक्षा में भी झंडे गाड़ने चाहिए। 

परीक्षा परिणामों का अध्ययन करते हुए यह देखना भी जरूरी है कि किन स्कूलों के विद्यार्थी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। क्या बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्कूलों का ही विस्तार नहीं करना चाहिए? क्या बेहतर पढ़ाने वाले स्कूलों के ढांचे या खासियत का व्यापक प्रचार नहीं करना चाहिए? ध्यान रहे, जवाहर नवोदय विद्यालय के विद्यार्थियों ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। इनकी बागडोर सरकार के ही हाथों में है, जहां बच्चों को हर तरह की सुविधा व गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल रही है, तो नतीजे दुनिया के सामने हैं। केंद्रीय विद्यालय भी लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। निजी स्कूलों का प्रदर्शन भी बहुत अच्छा है, लेकिन उनमें देखना चाहिए कि किन स्कूलों का प्रदर्शन सुधर नहीं रहा है। लगातार खराब प्रदर्शन कर रहे स्कूलों को क्यों चलना चाहिए? हमारी सरकारों को अन्य सरकारी और सरकार द्वारा अनुदानित स्कूलों के कमतर परिणामों पर भी अवश्य गौर करना चाहिए।

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25 July 2022, 06:53 PM IST

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