छापे पर सवाल का कोई मतलब नहीं

छापे पर सवाल का कोई मतलब नहीं

Janbhawana Times
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देश के विभिन्न राज्यों में पिछले तीन दिन से छापेमारी हो रही है तो इससे सिद्ध हो रहा है कि केंद्र सरकार एक्शन में है। इसमें कोई गलत भी नहीं है। जब तक गलत करने वालों पर शिकंजा नहीं कसा जाएगा जब तक भ्रष्टाचार का जड़ से उन्मूलन संभव ही नहीं है। हमारे राजनीतिक दलों के नेताओं की समझ और चिंतन इस दिशा में उतनी परिपक्व नहीं है कि वे देशहित के मसले पर राजनीति करने से बाज आए। विभिन्न पार्टी के नेता और प्रवक्ता सरकार की जांच एजेंसियों पर ही सवाल उठाने लगते है। ईडी, सीबीआई, आयकर विभाग और एनआईए सवतंत्र एजेंसियां हैं और वो अपना काम करती है। यह बात हमारे राजनेताओं को समझनी होगी।

आनन-फानन में विपक्षी दलों के नेताओं में होड़ लग जाती है कि कौन सबसे पहले और सबसे ज्यादा मुखर होकर जांच एजेंसियों पर हमला करने के लिए मीडिया के सामने आए अथवा सोशल मीडिया पर मसले को हवा दे। 6 सितंबर को ईडी के अधिकारियों ने आबकीरी नीति में कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 5 राज्यों की 30 लोकेशन पर छापे मारे थे। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना, समेत महाराष्ट्र में ईडी ने इस संदर्भ में कार्रवाई की है और छापेमारी में नामजद लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। दरअसल, ईडी ने सीबीआई की प्राथमिकी का संज्ञान लेकर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत मामले में जांच शुरू की है। वहीं 7 सितंबर को आयकर विभाग ने 7 राज्यों में छापेमारी की है। ये छापे चंदे की हेराफेरी करने वाले कुछ पंजीकृत गैर-मान्यता, प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) के खिलाफ की गई है। इस संदर्भ में छापे दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में करीब 110 जगहों पर डाले गए है।

सियासी चंदे के धंधे वाले दलों पर छापेमारी की गई है तो इसमे गलत क्या है? सियासत करने के नाम पर विभिन्न पार्टियां किस-किस संगठन से अथवा व्यक्ति विशेष से कितना और कैसे चंदा लेती है, यह जानने का हक देश को है। यह आयकर विभाग को भी अधिकार है कि वह पता करे कि चंदे के धंधे में जो उगाही हो रही है उस पर आयकर मिल रहा है अथवा नहीं। चंदे के नाम पर फर्जीवाड़ा एवं कर चोरी करने वाले गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों पर निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर शिकंजा कसा गया है तो इसे गलते कैसे ठहराया जा सकता है। दरअसल, निर्वाचन आयोग ने 198 ऐसे दलों को उसकी आरयूपीपी वाली सूची से हटाया है। इनमें मई में अमान्य घोषित किए गए 87 दल शामिल है। इन दलों ने फर्जी पते पर पंजीकरण कराया था और जांच में इनका सत्यापन भी नही हो सका। हैरानी की बात है कि इन दलों ने अपने चंदे की रिपोर्ट भी आयोग को नहीं सौंपी थी। सबसे गौर करने वाली बात यह है कि देश में 2800 गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं और इनमें से 2100 दलों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। सबसे चौकाने वाली बात यह है कि विभिन्न दलों ने 17 साल में 15,077 करोड़ का चंदा जुटाया।

देश के राष्ट्रीय दलों ने वित्त वर्ष 2004-05 से 2020-21 के बीच अज्ञात स्त्रोतों से 15,077 करोड़ रुपये से ज्यादा चंदा जुटाया। वहीं, 8 सिंतबर को बिहार के 9 जिलों में एनआईए ने छापेमारी की है। पटना के फुलवारी शरीफ से सामने आए पीएफआई कनेक्शन को लेकर एनआई की टीम ने दबिश दी है। 9 जिलों में 13 ठिकानों पर एनआईए की छापेमारी में पीएफआई के कनेक्शन की बात सामने आ रही है। इससे पहले 11 जुलाई 2022 को फुलवारी शरीफ के नया टोला से भी पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़े लोगों के अड्डे पर पटना पुलिस ने छापेमारी की थी। इन घटनाओं पर गौर करने से यह पता चलता है कि आतंकी गतिविधियों के माध्यम से भारत को अस्थिर करने का बड़ा षडयंत्र चल रहा है। ऐसे में जांच एजेंसियां मूकदर्भक बन कर कैसे रह सकती हैैं। राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मसले पर सभी दलों के नेताओं को बिना सोचे समझे कुछ भी बोलने से परहेज तो करना ही चाहिए।

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08 September 2022, 05:59 PM IST

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