पीएम मोदी ने दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती समारोह का किया उद्घाटन
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम मंं महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर साल भर चलने वाले समारोह का उद्घाटन किया।
रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम मंम महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर साल भर चलने वाले समारोह का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने वहां पर आयोजित यज्ञ में शामिल हुए। पीएम मोदी ने समारोह के उद्घाटन के बाद सभा को संबोधित किया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि “यह अवसर ऐतिहासिक है और भविष्य के इतिहास को निर्मित करने का है। यह पूरे विश्व के मानवता के भविष्य के लिए प्रेरणा का फल है। स्वामी दयानंद जी और उनका आदर्श था हम पूरे विश्व को श्रेष्ठ बनाए।“
PM Modi inaugurates Dayanand Saraswati's 200th birth anniversary celebrations
— ANI Digital (@ani_digital) February 12, 2023
Read @ANI Story | https://t.co/wxbfEsay0g#PMModi #DayanandSaraswati #DayanandSaraswatibirthanniversary pic.twitter.com/3wpeskU9Uv
उन्होंने आगे कहा कि “जब महर्षि दयानंद का जन्म हुआ था, तब देश सदियों की गुलामी से कमजोर पड़ कर अपनी आभा, अपना तेज, अपना आत्मविश्वास सब कुछ खोता चला जा रहा था। प्रति क्षण हमारे संस्कार, आदर्श को चूर-चूर करने का प्रयास होता था” पीएम मोदी ने कहा कि “महर्षि दयानंद जी का मानना था कि हमें ही विश्व को विकास की ओर ले जाना चाहिए। महर्षि दयानंद सरस्वती के दिखाए रास्ते से करोड़ों लोगों में उम्मीद जगी है”
Delhi | Today the daughters of the country are also flying Rafale fighter planes. Uplifting the poor and marginalised has become the top priority: PM Modi pic.twitter.com/3DJ4V6nDjp
— ANI (@ANI) February 12, 2023
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि“जब महर्षि दयानंद सरस्वती भारत की महिला सशक्तिकरण की आवाज बने और सामाजिक भेदभाव, छुआछूत और ऐसी कई विकृतियों के खिलाफ एक मजबूत अभियान चलाया।”पीएम मोदी ने कहा कि“आज देश की बेटियां भी राफेल लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं। गरीबों और वंचितों का उत्थान सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया है।”
कौन थे स्वामी दयानंद
उनका जन्म 12 फरवरी, 1824 को गुजरात के टंकरा में हुआ था। स्वामी दयानंद एक समाज सुधारक थे, उन्होंने समाज के हित के लिए कई कार्य किए थे। दयानंद सरस्वती ने वर्ष 1857 में आर्य समाज की स्थापना की थी। आर्य समाज ने समाजिक सुधारों और शिक्षा पर ध्यान देकर भारत की संस्कृति और सामाजिक जागरूकता फैलाने में अहम भूमिका निभाई। स्वामी दयानंद का प्रारंभिक जीनव आराम से बिता। इसके बाद उनका ध्यान आगे चलकर वेद, शास्त्रों, संस्कृत, व धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन में लग गया।