इंटरपोल की महासभा का औचित्य

भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर दिल्ली के प्रगति मैदान में 90वीं इंटरपोल महासभा का विशेष महत्व है। पिछली बार भारत में यह महासभा 1997 में हुई थी।

Janbhawana Times
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भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर दिल्ली के प्रगति मैदान में 90वीं इंटरपोल महासभा का विशेष महत्व है। पिछली बार भारत में यह महासभा 1997 में हुई थी। ऐसे में महासभा की बैठक 25 सालों के अंतराल के बाद हो रही है। इंटरपोल एक अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन है। इसकी स्थापना 1923 में हुई थी। भारत ने 1949 में इसकी सदस्यता ली थी। हमारे देश में इंटरपोल से तालमेल की जिम्मेदारी सीबीआई को दी गई है। सीबीआई, इंटरपोल और देश की अन्य जांच एजेंसियों के बीच नोडल एजेंसी के रूप में काम करती है। इंटरपोल महासभा 18 से 21 अक्टूबर तक चलेगी। इंटरपोल का मुख्यालय फ्रांस के लियोन में है। 195 देश के इसके सदस्य हैं। इसमें करीब 191 देशों के 1050 कर्मचारी हैं। सालाना बजट फिलहाल 142 मिलियन यूरो यानि 1149 करोड़ रुपये का है। हर साल जो इसकी सालाना आमसभा होती है, उसमें आगे की रणनीति, बजट, सोर्स, फैसलों, बदलाव, सहयोग और काम के तरीकों के साथ गतिविधियों पर विचार होता है और इस पर अंतिम मुहर लगाई जाती है।

इंटरपोल के 7 क्षेत्रीय कार्यालय हैं। इसकी एग्जीक्यूटिव असेंबली में 19 सदस्य होते हैं जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और डेलिगेट्स शामिल होते हैं। फिलहाल जर्मनी के जुर्गेन स्टाक इसके महासचिव हैं, जो लियोन में बैठकर इसके कामों को अंजाम देते हैं और समय समय पर जरूरी फैसले लेते हैं। जिस तरह दुनिया और तकनीक बदली है, उसी के हिसाब से इंटरपोल का काम भी बदला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महासभा में भाग लेने वाले 195 देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित किया। देश के साथ ही दुनियाभर में जिस तरह आपराधिक गठजोड़ मजबूत हो रहा है ऐसे में यह मीटिंग कई अर्थों में खास है। बैठक में दुनियाभर के देश अपने आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बनने वाले अपराधियों और ऐसे संगठनों के खिलाफ एक्शन को लेकर सामूहिक रणनीति को लेकर चर्चा चल रही। बैठक में वित्तीय अपराधों और भ्रष्टाचार के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की जाएगी। भारत चूंकि इसका मेजबान देश है तो उसे पूरी दुनिया को अपनी कानून और व्यवस्था प्रणाली में सर्वोत्तम प्रैक्टिस को दिखाने का मौका मिलेगा। महासभा इंटरपोल की सर्वोच्च शासी निकाय है। बैठक में इंटरपोल के कामकाज की समीक्षा की जाएगी। संगठन की तरफ से महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए साल में एक बार यह बैठक होती है। सभा में भाग लेने वाले सदस्यों के साथ दुनिया भर में हो रहे नए-नए अपराध के तरीकों और उनसे निपटने पर चर्चा की जाएगी। इंटरपोल का ध्यान साइबर अपराधियों, मादक पदार्थ के सौदागरों और बाल शोषण करने वालों पर अंकुश लगाने पर है। बाल शोषण करने वालों, बलात्कारियों, हत्यारों, अरबों पैसा कमाने की चाहत रखने वाले मादक पदार्थ सौदागरों और साइबर अपराधियों के खिलाफ इंटरपोल का मुख्य ध्यान है। दुनिया भर में ज्यादातर यही अपराध होते हैं। इसलिए इंटरपोल मौजूद है। ऐसे में जो क्रिमिनल नार्को टेररिज्म, इस तरह के अपराध कर विदेशों में बैठे हैं उनके लिए मुश्किल होने वाली है। इंटरपोल राज्य प्रायोजित आतंकवाद जैसी किसी भी गतिविधि को रोकने में अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन कोई भूमिका नहीं निभाता है।

यह भी सच है कि वैश्विक निकाय आतंकवाद का समर्थन करने वाले और आतंकवाद के आरोपियों को पनाह देने वाले देशों की कार्रवाई पर अंकुश लगाने में बहुत विशिष्ट और ठोस भूमिका नहीं निभा पा रहा है। इंटरपोल एक ऐसा प्लेटफार्म है जो अपने सदस्य देशों को जानकारी साझा करने की अनुमति देता है। इंटरपोल द्वारा जारी रेड नोटिस बारे में बहुत कुछ भ्रम है। रेड नोटिस कोई अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं है और इंटरपोल किसी भी सदस्य देश को रेड नोटिस से संबंधित किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर नहीं कर सकता। किसी मामले के गुण-दोष में जाना या राष्ट्रीय अदालतों द्वारा लिए गए निर्णय को सही-गलत मानना इंटरपोल का काम नहीं है। यह प्रत्येक देश में संप्रभु मामला होता है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि फिर इंटरपोल जैसे संगठन का औचित्य क्या है? विश्व को उम्मीद है इस महासभा से कुछ ठोस परिणाम सामने आएंगे ताकि अपराध को अंकुश लगाने में सरकारों को मदद मिल सके।

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18 October 2022, 09:26 PM IST

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