Bihar Assembly Election 2025: प्रशांत किशोर का नया फॉर्मूला क्या मुस्लिम वोटों से महागठबंधन की रीढ़ तोड़ने की चाल है?
बिहार चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने बड़ा दांव खेला है। उन्होंने मुसलमानों से कहा कि वे गांधी और आंबेडकर की सोच वाले हिंदुओं से हाथ मिलाएं। सवाल उठ रहा है कि क्या यह कदम महागठबंधन के लिए खतरनाक साबित होगा।

Bihar News: बिहार की राजनीति में लंबे समय से मुस्लिम वोट महागठबंधन का सबसे मजबूत सहारा रहे हैं। आरजेडी से लेकर कांग्रेस तक हर दल इन्हीं वोटों पर टिके रहे हैं। लेकिन अब प्रशांत किशोर का नया फॉर्मूला इस भरोसे को हिलाने की कोशिश कर रहा है। उनका कहना है कि मुसलमान अगर आंबेडकर और गांधी की सोच वाले हिंदुओं से जुड़ें तो नया समीकरण बनेगा। यह समीकरण सीधे-सीधे महागठबंधन की रीढ़ पर चोट करता है। प्रशांत किशोर ने यह साफ कहा है कि देश में आधे हिंदू बीजेपी को वोट नहीं देते। इनमें वो लोग हैं जो गांधी, आंबेडकर, समाजवाद और बराबरी की बात मानते हैं। अगर ये लोग मुसलमानों से जुड़ जाएं तो बिहार में एक नया वोट बैंक तैयार हो सकता है। यह विचार कहीं न कहीं विपक्षी पार्टियों को कमजोर करने की रणनीति लग रहा है। किशनगंज में आयोजित एक मुस्लिम सम्मेलन में पीके ने ये बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अब तक बरगला कर अल्पसंख्यक बनाकर रखा गया। उनके नेताओं ने उन्हें डर दिखाया ताकि वे कभी चुनाव न लड़ें और सिर्फ वोटर बने रहें। उन्होंने मुसलमानों से कहा कि अब वक्त है कि वे इस डर से बाहर निकलें और नए गठबंधन की राह चुनें।
महागठबंधन के लिए खतरा
बिहार में मुस्लिम वोट का बड़ा हिस्सा आरजेडी को मिलता रहा है। यही वोट कांग्रेस और जेडीयू के लिए भी अहम रहे हैं। लेकिन पीके का फॉर्मूला अगर चल गया तो ये वोट बैंक सीधे टूट सकता है। विपक्षी खेमे की सबसे बड़ी ताकत कमजोर हो जाएगी। यही वजह है कि पीके की यह रणनीति विपक्ष के लिए चिंता का विषय बन चुकी है। अगर वोटों का यह समीकरण बदलता है तो महागठबंधन का पूरा ढांचा हिल सकता है। यही कारण है कि राजनीतिक पंडित इसे चुनाव से पहले का बड़ा झटका मान रहे हैं।
नया राजनीतिक समीकरण
बिहार की राजनीति मंडल और कमंडल की बहस के बीच घूमती रही है। लेकिन पीके ने तीसरी धुरी बनाने की बात की है। उनका कहना है कि मुसलमान और गांधी-आंबेडकर की सोच वाले हिंदू अगर साथ आते हैं तो बड़ी सियासी लड़ाई लड़ी जा सकती है। यह सोच एक नए राजनीतिक समीकरण की तरफ इशारा कर रही है। इस गठजोड़ से न सिर्फ विपक्ष बल्कि बीजेपी की रणनीति भी प्रभावित हो सकती है। राजनीति के जानकार इसे बिहार की सियासत में संभावित क्रांति बता रहे हैं।
विपक्षी पार्टियों में बेचैनी
पीके के इस बयान ने विपक्षी खेमे में हलचल मचा दी है। महागठबंधन को डर है कि उनका परंपरागत वोटर कहीं खिसक न जाए। कांग्रेस और आरजेडी इस बयान पर चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन अंदरखाने बेचैनी साफ दिख रही है। चुनावी मैदान में यह फॉर्मूला विपक्ष की मुश्किलें बढ़ा सकता है। आरजेडी खेमे को डर है कि अगर मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा खिसका तो उनकी राजनीतिक पकड़ कमजोर हो जाएगी। कांग्रेस भी यह समझ रही है कि बिहार की सियासत में उनका रोल और छोटा हो सकता है।
जनता क्या कहती है
बिहार की जनता अब इस बहस का हिस्सा बन चुकी है। खासकर मुस्लिम समाज में चर्चा है कि क्या पीके का फॉर्मूला उनके हक में जाएगा या फिर यह सिर्फ एक और चुनावी चाल है। आम मतदाता भी कह रहे हैं कि राजनीति में हर दिन नया खेल खेला जा रहा है। लेकिन क्या यह खेल विपक्ष की कमर तोड़ देगा, यह बड़ा सवाल है। कुछ लोग इसे बदलाव का मौका मान रहे हैं तो कुछ इसे सिर्फ चुनावी हवा समझते हैं। कुल मिलाकर जनता की राय बंटी हुई है और यही इसे और दिलचस्प बना रहा है।


