ISI एजेंट दानिश की चाल: यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को कैसे फंसाया?
यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा ने स्वीकार किया कि वह नवंबर 2023 से मार्च 2025 तक दानिश के संपर्क में रही थी. आखिर कैसे पाकिस्तान उच्चायोग के पूर्व कर्मचारी दानिश ने यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को निशाना बनाया?

यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा के खिलाफ जासूसी के आरोपों की जांच के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं. हरियाणा निवासी मल्होत्रा को हाल ही में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से संबंधों के चलते गिरफ्तार किया गया. पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि वह नवंबर 2023 से मार्च 2025 तक पाकिस्तानी उच्चायोग के पूर्व कर्मचारी एहसान-उर-रहीम उर्फ दानिश के संपर्क में थी. जांचकर्ताओं का मानना है कि दानिश उसे भारतीय खुफिया जानकारी जुटाने के लिए प्रेरित कर रहा था.
ISI में इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी
दानिश खुद को वीजा अधिकारी बताता था, लेकिन जांच में पता चला कि वह ISI में इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी था और शोएब नाम के एक वरिष्ठ ISI अधिकारी को रिपोर्ट करता था. उसका मकसद भारत में प्रभावशाली व्यक्तियों की पहचान करना और भारतीय सिम कार्ड की व्यवस्था करना था. वह 2022 में वीजा पर भारत आया था.
दिल्ली पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार, दानिश ने दिल्ली में उन व्यक्तियों से संपर्क साधने की कोशिश की, जो पाकिस्तान जाने के लिए वीजा के इच्छुक थे या उनके परिजन आवेदनकर्ता थे. पुलिस ने लगभग 25 लोगों से पूछताछ की, लेकिन कोई ठोस सबूत न मिलने पर उन्हें छोड़ दिया गया.
पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या
यह भी सामने आया है कि पाकिस्तान उच्चायोग पहले भी ऐसे मामलों में शामिल रहा है, जहां ISI एजेंटों को वीजा अधिकारियों के रूप में नियुक्त किया गया. 2016 में ISI अधिकारी महमूद अख्तर को और 2020 में आबिद हुसैन व ताहिर खान को जासूसी में लिप्त पाए जाने पर देश से निष्कासित किया गया था. इन घटनाओं के बाद भारत ने पाकिस्तान उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या 180 से घटाकर 90 कर दी थी.
ISI वीजा आवेदकों के माध्यम से भारतीय सुरक्षा बलों के कमजोर सदस्यों को चिन्हित कर वीजा प्राप्त करती है और फिर उन्हें संपर्क में लाया जाता है. इन माध्यमों से भारतीय सिम कार्ड हासिल किए जाते हैं, जिनका उपयोग संभावित भर्तियों से संपर्क के लिए होता है.
मामले की जांच जारी
फिलहाल, पुलिस का कहना है कि ज्योति मल्होत्रा के आतंकी संगठनों से किसी भी प्रकार के सीधे संबंधों के प्रमाण नहीं मिले हैं. वह उन 12 लोगों में शामिल है जिन्हें हाल ही में हरियाणा, पंजाब और यूपी में पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. मामले की जांच अभी जारी है.


