पीएम मोदी को बलूचिस्तान का सर्वोच्च सम्मान ‘बलूची दस्तार’ देने की घोषणा
बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार ने घोषणा की है कि वह वर्ष 2026 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘बलूची दस्तार’ से सम्मानित करेगी.

बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार ने घोषणा की है कि वह वर्ष 2026 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘बलूची दस्तार’ से सम्मानित करेगी. यह बड़ा ऐलान बलूच नेता मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर किया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि यह सम्मान भारत और बलूचिस्तान के बीच ऐतिहासिक मित्रता, एकजुटता और पारस्परिक सम्मान के प्रतीक के रूप में प्रदान किया जाएगा.
बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार के प्रतिनिधि ने इस सम्मान की योजना सार्वजनिक की है. इन नेताओं का यह भी कहना है कि पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान पर कब्जा किये हुए है और घोर उत्पीड़न कर रही है, जिसके कारण वे अपने मूल क्षेत्र को छोड़कर विदेशों में रहे हैं.
मीर यार बलूच ने जारी किया प्रेस रिलीज
मीर यार बलूच ने एक विस्तृत प्रेस रिलीज जारी करते हुए बताया कि इस सम्मान को प्रधानमंत्री मोदी को इसलिये दिया जा रहा है ताकि भारत और बलूचिस्तान के बीच सदियों पुरानी मित्रता, भाईचारा और पारस्परिक सम्मान को और अधिक सुदृढ़ किया जा सके. उन्होंने कहा कि यह सम्मान बलूची दस्तार केवल एक प्रतीकात्मक पुरस्कार नहीं है, बल्कि यह विश्वास, अटूट मित्रता और शाश्वत भाईचारे का पवित्र प्रतीक है, जो उन्हीं लोगों को प्रदान किया जाता है जिन्होंने बलूच नागरिकों के दुख और संघर्ष में स्थिर समर्थन दिखाया है.
बलूची दस्तार पारंपरिक पगड़ी का रूप है, जिसे सम्मान, गरिमा और गौरव के साथ बांधा जाता है. मीर यार बलूच का कहना है कि इस सम्मान के मिलने वाले व्यक्ति पर यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उस मित्रता के बंधन का पोषण करे और इसे आगे बढ़ाये, ताकि वह दिन भी देख सके जब बलूचिस्तान एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में अपना अस्तित्व स्थापित करेगा. उनके अनुसार बलूचिस्तान के लगभग छह करोड़ लोग उन देशों और मित्रों का सम्मान करते हैं जिन्होंने उनके संघर्ष को समझा और उसका समर्थन किया.
बलूच नेताओं ने भारत के लोगों के प्रति भी आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि भारत के 1.4 अरब नागरिकों और मीडिया का बलूचिस्तान के वैध उद्देश्यों के समर्थन में योगदान रहा है, जिससे बलूच आवाज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंची है. विशेष रूप से उन्होंने 15 अगस्त 2016 को लाल किले से प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने बलूच लोगों के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त की थीं और उनका धन्यवाद किया था, जिसे बलूच समुदाय ने बहुत महत्व दिया.
हालांकि, बलूच नेतृत्व यह भी स्वीकार करता है कि भारत ने अब तक उनके स्वतंत्रता आंदोलन को औपचारिक या भौतिक समर्थन नहीं दिया है, लेकिन वे आशा करते हैं कि 2026 दोनों पक्षों के बीच नए कूटनीतिक और आपसी संबंधों का आरंभ करेगा. इसके जरिए वे शांति, प्रगति, समृद्धि और सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करना चाहते हैं. इस दिशा में राजनीतिक, आर्थिक, रक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्रों में नए मार्ग खोजे जा सकेंगे.
प्रेस रिलीज में यह भी उल्लेख किया गया है कि रिपब्लिक ऑफ बलूचिस्तान इस सम्मान को ओमान में मोदी को दिए गए ‘ऑर्डर ऑफ ओमान’ से सकारात्मक रूप में जोड़ कर देखता है. भारत-ओमान द्विपक्षीय संबंधों की 70वीं वर्षगांठ पर यह सम्मान सुल्तान हैथम बिन तारिक द्वारा 18 दिसंबर 2025 को प्रदान किया गया था. बलूच समुदाय इसे मुस्लिम दुनिया में भारत की बढ़ती स्वीकृति का प्रतीक मानता है.
मीर यार बलूच ने क्या कहा?
मीर यार बलूच ने यह भी कहा कि ओमान में स्थित बलूची समुदाय लंबे समय से वहां निवास कर रहा है और सरकारी, नागरिक और सैन्य क्षेत्रों में प्रभावशाली पदों पर कार्यरत रहा है. उनका कहना है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बलूचिस्तान और ओमान दोनों के सच्चे मित्र मानते हैं और उनके स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए शुभकामनाएं भेजते हैं.
यह घोषणा एक ऐसे समय में आई है जब बलूचिस्तान के मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान बढ़ रहा है और बलूच नेताओं द्वारा स्वतंत्रता व मान्यता की मांग लगातार की जा रही है. बलूच नेतृत्व की यह पहल भविष्य में बलूचिस्तान-भारत संबंधों में नए राजनीतिक और कूटनीतिक आयाम जोड़ सकती है.


