साथ आना मुश्किल नहीं है...20 साल बाद फिर एक होगा ठाकरे परिवार?, जानें क्या हैं राज ठाकरे के बयान के मायने
महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर हलचल देखने को मिल रही है. मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ आने की चर्चाओं को हवा दे दी है. इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या एक बार फिर 20 साल बाद ठाकरे परिवार एकजुट हो सकता है. राज ठाकरे ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि साथ आना मुश्किल नहीं है.

मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने एक ऐसा बयान दिया जो महाराष्ट्र की राजनीति को पलट सकता है. राज ठाकरे ने कहा कि वह अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के साथ एकजुट होने के विचार के खिलाफ नहीं हैं. बदले में उद्धव ने भी कहा कि उनकी तरफ से कभी कोई विवाद नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि उद्धव के साथ मेरे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन अगर यह महाराष्ट्र के हित में है तो हमें एकजुट होना होगा.
यह मेरे स्वार्थ का भी मामला नहीं
राज ठाकरे ने कहा कि ठाकरे परिवार का झगड़ा महाराष्ट्र के हितों के सामने महत्वहीन है. बकौल राज ठाकरे, "महाराष्ट्र के हितों के सामने हमारे झगड़े कुछ भी नहीं हैं. महाराष्ट्र हमसे बड़ा है." उन्होंने कहा कि साथ आना मुश्किल नहीं है, यह इच्छाशक्ति का मामला है. उन्होंने कहा कि इन झगड़ों और विवादों की कीमत महाराष्ट्र और मराठी लोगों को चुकानी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हाथ मिलाने में कोई समस्या होनी चाहिए. सवाल इस कदम के प्रति झुकाव का है. यह सिर्फ मेरी चाहत का मामला नहीं है; यह मेरे स्वार्थ का भी मामला नहीं है. मुझे लगता है कि इसे बडे परिपेक्ष्य में देखना चाहिए. राज ठाकरे ने कहा कि मेरा मतलब यह है कि महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों के मराठी लोगों को एक साथ आना चाहिए और एक पार्टी बनानी चाहिए.’’
उद्धव ठाकरे ने क्या कहा?
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्होंने राज ठाकरे से लड़ने के बारे में कभी नहीं सोचा था. मेरी तरफ से कोई लड़ाई नहीं थी, जो भी था, उसे हम भूल चुके हैं. लेकिन क्या आप बीजेपी के साथ जाएंगे? या फिर राज्य के हित में काम करेंगे?" क्या आप शिवसेना और मेरे साथ आएंगे? इस पर उन्होंने कहा कि शिंदे के साथ नहीं...देशद्रोहियों के साथ नहीं...बिना शर्त के ऐसा करें. यह महाराष्ट्र का भी हित होना चाहिए...बाद में आप यह कहकर समय बर्बाद नहीं कर सकते कि 'यह मत करो, वह मत करो.' उद्धव ने आगे कहा कि वह छोटे-मोटे झगड़ों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं. लेकिन जब मैंने आपसे लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट होने को कहा था, तब अगर आपने मेरी बात मान ली होती, तो आज हम सरकार में होते.''
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच क्या हुआ?
2005 में राज ठाकरे के शिवसेना से बाहर निकलने से महाराष्ट्र के राजनीतिक क्षेत्र में हलचल मच गई थी. एक समय बाल ठाकरे की विरासत के स्वाभाविक उत्तराधिकारी माने जाने वाले राज का जाना सिर्फ़ राजनीतिक नहीं था; यह व्यक्तिगत भी था. कई सालों तक तनाव चुपचाप बना रहा, लेकिन सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब पार्टी के अंदरूनी सत्ता ढांचे में राज के बजाय उद्धव ठाकरे को तरजीह दी गई. खुद को अलग-थलग महसूस करते हुए राज ने अपने चाचा द्वारा बनाई गई पार्टी से किनारा कर लिया, क्योंकि नेतृत्व शैली और दूरदर्शिता पर मतभेद बढ़ रहे थे. मार्च 2006 में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की शुरुआत की और अपना खुद का रास्ता बनाया. तब से राज और उद्धव के बीच मतभेद चल रहे हैं. हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के साथ उनके रिश्ते में तल्खी है.


