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जैसलमेर में जुरासिक पार्क? जहां मिला 2 मीटर लंबा Phytosaur जीवाश्म

राजस्थान के जैसलमेर में मिले दो मीटर लंबे जीवाश्म को वैज्ञानिकों ने Phytosaur का माना है, जो भारत में इस प्रागैतिहासिक रेप्टाइल का पहला संरक्षित नमूना है.

Phytosaur fossil India: राजस्थान के जैसलमेर जिले के मेघा गांव के पास एक झील के किनारे ग्रामीणों ने पिछले हफ्ते जो जीवाश्म पाया, उसे अब वैज्ञानिकों ने Phytosaur का माना है. ये खोज भारत में प्रागैतिहासिक काल के इस रेप्टाइल का पहला अच्छी तरह संरक्षित नमूना साबित हुई है. लगभग दो मीटर लंबा ये जीवाश्म शुरुआती जांच में जुरासिक काल से संबंधित पाया गया है.

ग्रामीणों ने जैसे ही इस जीवाश्म की सूचना जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग को दी, वहीं विशेषज्ञों की टीम ने इसे सावधानीपूर्वक जांचा और इसकी पुष्टि की. वैज्ञानिकों का मानना है कि जीवाश्म के पास एक अंडे के अवशेष भी पाए गए हैं, जो संभवतः इसी प्राचीन जीव का हो सकता है.

Phytosaur की पहचान और विवरण

जोधपुर विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पैलियोन्टोलॉजिस्ट प्रोफेसर वीएस परिहार ने बताया कि Phytosaur देखने में मगरमच्छ जैसा लगता है और ये जीवाश्म 200 मिलियन साल पुराना है. यह मध्य आकार का Phytosaur था, जो संभवतः नदी के पास रहता था और मछली खाकर जीवित रहता था. Phytosaur के जीवाश्म 229 मिलियन साल पुराने माने जाते हैं और ये प्रारंभिक जुरासिक काल से भी संबंधित हो सकता है.

पिछले साल बिहार-मध्य प्रदेश सीमा पर Phytosaur के अवशेष मिले थे, लेकिन जैसलमेर की यह खोज भारत में पहली बार पूरी तरह संरक्षित Phytosaur का प्रमाण साबित हुई.

जुरासिक काल का जैसलमेर

भूवैज्ञानिक के अनुसार, लगभग 180 मिलियन साल पहले यह क्षेत्र जुरासिक काल में डायनासोर का निवास स्थल था. जैसलमेर का यह हिस्सा भूवैज्ञानिकों द्वारा 'लाठी फॉर्मेशन' के रूप में जाना जाता है. लाठी फॉर्मेशन पश्चिमी जैसलमेर के कोने में स्थित है, जिसकी लंबाई लगभग 100 किलोमीटर और चौड़ाई 40 किलोमीटर है. यहां की चट्टानों से मीठे पानी और समुद्री जीवन के प्रमाण मिलते हैं. इसलिए Phytosaur का जीवाश्म मिलना आश्चर्यजनक नहीं है. उस समय क्षेत्र में एक ओर नदी और दूसरी ओर समुद्र होने की संभावना थी.

भू-पर्यटन और संरक्षण की संभावना

फॉसिल विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि जैसलमेर को भू-पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है. भूवैज्ञानिक के अनुसार, यहां जड़ वाले फॉसिल, समुद्री जीवाश्म और डायनासोर के अवशेष हैं, जिन्हें वैज्ञानिक अध्ययन के लिए संरक्षित किया जाना चाहिए. पाकिस्तान सीमा के पास तनोट क्षेत्र के मिथिक सरस्वती जलमार्ग भूवैज्ञानिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. ये भूमिगत जल चैनल हैं, लेकिन वे लगभग 5,000 से 6,000 साल पुराने हैं, जो वैदिक काल से भी पहले के हैं.

Phytosaur और मगरमच्छ में अंतर

Phytosaur और आज के मगरमच्छ में दिखावट में समानता के बावजूद दोनों अलग-अलग जीव हैं. Phytosaur की लंबी नुकीली नाक पर नथुने आंखों के सामने उठी हुई थी, जबकि मगरमच्छ की नाक के अंत में होती है. इनके शरीर की बनावट में मजबूत कवच और लंबी पूंछ होती थी और ये मछली खाने वाले प्राणी थे.

जैसलमेर में फॉसिल की श्रृंखला

मेघा गांव के पास ये खोज संभवतः क्षेत्र में पांचवीं डायनासोर-संबंधित खोज है. पिछले सालों में थियाट में हड्डियों के फॉसिल, डायनासोर के पदचिह्न और 2023 में अच्छी तरह संरक्षित डायनासोर अंडा मिला है. ग्रामीणों ने खोज स्थल पर बड़ी संख्या में इकट्ठा होकर वीडियो और तस्वीरें साझा की.

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25 August 2025, 08:27 PM IST

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