मुनीर आर्मी की खिसकी जमीन! बलूच लड़ाकों ने दिखाया दम, 'पाक' सेना से छीने 2 इलाके
भारत से बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान को अंदरूनी मोर्चे पर बड़ा झटका लगा है. बलूचिस्तान में आज़ादी की मांग कर रहे बलूच लड़ाकों ने सुनियोजित हमलों में केच और पंजगुर जिलों पर कब्जा कर लिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, लड़ाकों ने पहले नाकेबंदी की और फिर सरकारी दफ्तरों व थानों को आग के हवाले कर सेना को भागने पर मजबूर कर दिया.

भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान को अपने ही घर में करारा झटका लगा है. बलूचिस्तान में आजादी की मांग कर रहे बलूच लड़ाकों ने पाकिस्तान सेना को दो अहम इलाकों – केच और पंजगुर – से खदेड़ दिया है. इस हमले में पाकिस्तान की सेना को न केवल भारी नुकसान हुआ है, बल्कि उसे रणनीतिक तौर पर दो महत्वपूर्ण जिले भी गंवाने पड़े हैं.
पाकिस्तान सरकार ने हालात को काबू में लाने के लिए 150 से ज्यादा आंदोलनकारियों को रिहा करने का फैसला लिया है, लेकिन इसके बावजूद ज़मीन पर हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. बलूच लड़ाकों ने इसे अपने आंदोलन की बड़ी जीत बताया है, वहीं सुरक्षा एजेंसियां इस घटनाक्रम से पूरी तरह हिल गई हैं.
बलूच लड़ाकों ने की रणनीतिक घेराबंदी
'द बलूचिस्तान पोस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को बलूच विद्रोहियों ने केच, पंजगुर और लासबेला जिलों में सुनियोजित तरीके से हमला किया. पहले नाकेबंदी की गई, फिर सरकारी दफ्तरों और थानों को निशाना बनाया गया. केच जिले में पुलिस थाने और सरकारी इमारतों में आग लगा दी गई, जिससे अफसर और जवान जान बचाकर भाग निकले. इसके बाद लड़ाकों ने इलाके को अपने कब्जे में लेने का ऐलान कर दिया.
पंजगुर में भी दोहराया गया वही पैटर्न
पंजगुर जिले में भी पहले नाकेबंदी की गई और फिर जबरदस्त हमला बोला गया. स्थानीय सरकारी तंत्र को पूरी तरह पंगु बना दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार बलूच लड़ाकों ने प्रशासनिक केंद्रों पर कब्जा कर लिया और पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.
लासबेला में विरोधियों को मारी गोली
बलूचिस्तान के लासबेला जिले में भी स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई है. यहां बलूच लड़ाकों ने विरोध कर रहे तीन लोगों को गोली मार दी. इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि बलूच आंदोलन अब किसी भी तरह का विरोध सहन करने के मूड में नहीं है.
पिछले एक हफ्ते में पांच से अधिक हमले
पिछले सात दिनों में बलूच लड़ाकों ने बलूचिस्तान के पांच से ज्यादा इलाकों में हमले किए हैं. पाकिस्तान सरकार ने आंदोलनकारियों को शांत करने की कोशिश में 150 से ज्यादा बलूच कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया है, लेकिन इससे ज़मीनी हालात में कोई खास बदलाव नहीं आया है.
फजलुर रहमान का बयान
बलूचिस्तान में बिगड़ते हालात पर पूर्व गृह मंत्री फजलुर रहमान ने सरकार को चेताया है. उन्होंने कहा कि अगर सारी सेना भारत से लड़ने के लिए सीमा पर भेज दोगे, तो देश के अंदर जो आग लगी है, उसे कौन बुझाएगा? उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि खैबर, गिलगित-बाल्टिस्तान और बलूचिस्तान पहले से ही आंतरिक संघर्ष झेल रहे हैं, और इन इलाकों की उपेक्षा पाकिस्तान को भारी पड़ सकती है.
पाक सरकार की छवि पर असर
बलूच आंदोलन की ये हालिया घटनाएं पाकिस्तान सरकार और असीम मुनीर की सेना की कार्यक्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं. भारत से तनाव की स्थिति में जब सेना का ध्यान सीमा पर है, तब अंदरूनी विद्रोह का भड़कना पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती बन चुका है.