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सैफ अली खान संपत्ति विवाद मामले में SC ने MP हाई कोर्ट के आदेश पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान की शाही संपत्ति से जुड़े विवाद में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाई है, जिसमें मामला निचली अदालत को दोबारा सुनवाई के लिए भेजा गया था. याचिका सैफ अली खान के परिजनों के खिलाफ उनके रिश्तेदारों ने दायर की थी. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि संपत्ति मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार सभी उत्तराधिकारियों में बांटी जानी चाहिए.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

उच्चतम न्यायालय ने भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खान की शाही संपत्ति से जुड़े पुराने मुकदमे में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है. उच्च न्यायालय ने इस बहुचर्चित संपत्ति विवाद को पुनः निचली अदालत में सुनवाई के लिए भेजा था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती के आधार पर स्थगित कर दिया. यह याचिका नवाब के बड़े भाई के वंशज उमर फारुक अली और राशिद अली ने दायर की थी.

संपत्ति पर उत्तराधिकार को लेकर पुराना विवाद

इस मामले की जड़ें 1999 में दाखिल उस दीवानी वाद में हैं, जिसमें नवाब के विस्तारित परिवार ने संपत्ति के न्यायसंगत बंटवारे की मांग की थी. इसमें नवाब की बेटी साजिदा सुल्तान और उनके पुत्र मंसूर अली खान पटौदी (पूर्व क्रिकेट कप्तान) के साथ-साथ सैफ अली खान, सोहा अली खान, सबा अली खान और शर्मिला टैगोर जैसे परिवार के चर्चित नाम शामिल हैं. निचली अदालत ने 2000 में साजिदा सुल्तान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए संपत्ति को मुस्लिम पर्सनल लॉ के अधीन नहीं माना और उन्हें वैध उत्तराधिकारी बताया.

संविधान और उत्तराधिकार का टकराव
वादियों का तर्क था कि नवाब की संपत्ति मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत सभी उत्तराधिकारियों में बंटनी चाहिए, जबकि प्रतिवादी पक्ष ने 1962 में भारत सरकार द्वारा जारी उस प्रमाण पत्र का हवाला दिया, जिसमें साजिदा सुल्तान को नवाब की उत्तराधिकारी और संपत्ति की मालिक घोषित किया गया था. यह प्रमाण पत्र अनुच्छेद 366(22) के तहत जारी हुआ था, जिससे उन्हें संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त थी.

उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए मामला वापस सुनवाई के लिए भेज दिया था. इसे याचिकाकर्ताओं ने सीपीसी के प्रावधानों के खिलाफ बताया और सुप्रीम कोर्ट से दखल देने की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने अब मामले की अगली सुनवाई तक हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिससे मामला फिर से कानूनी बहस का केंद्र बन गया है.

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08 August 2025, 10:27 PM IST

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