पहलगाम अटैक के गुनहगार निकले पुराने दरिंदे... जिन्होंने 2024 में 6 मजदूरों और डॉक्टर की भी हत्या की
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले में शामिल आतंकी वही लश्कर-ए-तैयबा मॉड्यूल था जिसने 2024 में गांदरबल के ज़-मोहर टनल पर हमला किया था. दोनों वारदातों में पाकिस्तान समर्थित नेटवर्क की पुष्टि हुई है.

जम्मू-कश्मीर में पहलगाम हमले को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने बड़ा खुलासा किया है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, इस हमले को अंजाम देने वाला आतंकी मॉड्यूल वही है जो 2024 में गांदरबल जिले में ज़-मोहर टनल प्रोजेक्ट पर हुए हमले में शामिल था, जिसमें 6 मजदूरों और एक डॉक्टर की जान गई थी. दोनों हमलों के पीछे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े आतंकियों का हाथ है. पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए नरसंहार में शामिल कुछ आतंकी पहले भी ज़-मोहर टनल हमले में सक्रिय रहे थे.
एक ही मॉड्यूल ने अंजाम दिए दोनों हमले
गांदरबल के सोनमार्ग क्षेत्र में स्थित ज़-मोहर टनल पर अक्टूबर 2024 में हुआ हमला अब पहलगाम हमले से सीधे तौर पर जुड़ता दिखाई दे रहा है. टनल प्रोजेक्ट पर काम कर रही निजी निर्माण कंपनी के कैंप पर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी, जिसमें 6 मजदूर और एक डॉक्टर की मौत हो गई थी. खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, दोनों हमलों में लश्कर का वही आतंकी नेटवर्क शामिल था, जिसका संचालन पाकिस्तान से हो रहा था.
पहचाना गया प्रमुख आतंकी: जहीर ‘सुलेमान’
टनल हमले के एक प्रमुख आतंकी जुनैद अहमद भट को दिसंबर 2024 में एक मुठभेड़ में ढेर किया गया था. इसके बाद इसी नेटवर्क से जुड़े दो और आतंकियों को भी मार गिराया गया. अब जांच एजेंसियों ने पुष्टि की है कि लश्कर आतंकी हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान ने भी दोनों हमलों की योजना में भूमिका निभाई थी. सुलेमान को पहलगाम हमले में मुख्य साजिशकर्ता बताया जा रहा है.
ज़-मोहर टनल: सामरिक दृष्टिकोण से बेहद अहम
6.5 किलोमीटर लंबी ज़-मोहर टनल, श्रीनगर को कारगिल से जोड़ती है. समुद्र तल से 8,562 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये टनल सालभर यातायात बनाए रखने में मदद करती है और सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस हमले में जान गंवाने वालों में डॉ. शहनवाज (बडगाम), गुरमीत सिंह (गुरदासपुर), मोहम्मद हनीफ, फहीम नासिर (सेफ्टी मैनेजर), कलीम (बिहार), अनिल कुमार शुक्ला (मध्य प्रदेश) और शशि अब्रोल (जम्मू) शामिल थे. आतंकियों ने मौके पर दो कंपनी वाहनों को आग के हवाले कर दिया और एक INSAS राइफल छोड़कर फरार हो गए.
22 अप्रैल 2025 को अनंतनाग जिले के बैसरान घाटी में हुए इस हमले में 25 पर्यटकों और एक स्थानीय पोनी चालक की जान गई थी. हमले में दो सुरक्षाकर्मी – एक नौसेना अधिकारी और एक इंटेलिजेंस ब्यूरो सदस्य – भी शहीद हुए. जांच में पता चला है कि लश्कर के आतंकियों ने 15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचकर चार पर्यटन स्थलों – बैसरान, आरू वैली, बेटाब वैली और एक स्थानीय एम्यूज़मेंट पार्क की रेकी की थी. सुरक्षा व्यवस्था सबसे कम होने के चलते बैसरान को टारगेट चुना गया.


