SIR के डर से पश्चिम बंगाल में दहशत, लोग कर रहे आत्महत्या, टीएमसी ने बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची संशोधन (SIR) को लेकर टीएमसी ने भाजपा और चुनाव आयोग पर साजिश का आरोप लगाया है. टीएमसी का दावा है कि लाखों मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे जनता में भय और आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ी हैं. विपक्ष ने निष्पक्ष जांच की मांग की.

कोलकाताः पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची संशोधन (SIR) प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि साजिश के तहत लाखों मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा रहे हैं.
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि भाजपा की अमानवीय राजनीति और चुनाव आयोग की निष्क्रियता के कारण राज्य में लोगों के बीच भय और असुरक्षा का माहौल पैदा हो गया है. उन्होंने दावा किया कि कुछ लोग डर और तनाव के कारण आत्महत्या तक कर रहे हैं, जो लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है.
उत्तर बंगाल में दहशत
कुणाल घोष ने बताया कि उत्तर बंगाल के कई जिलों में SIR प्रक्रिया को लेकर लोगों में गहरा भ्रम और घबराहट फैल गई है. कई नागरिकों को यह डर सता रहा है कि कहीं उनके नाम मतदाता सूची से हटा न दिए जाएं. उन्होंने कहा कि बीजेपी नेताओं के भड़काऊ और बेतुके बयानों ने जनता को डर के माहौल में धकेल दिया है. कुछ लोग अपनी नागरिकता को लेकर संशय में हैं और भय के कारण आत्मघाती कदम उठा रहे हैं. दुख की बात यह है कि भाजपा इन घटनाओं का मजाक बना रही है.
भाजपा नेताओं पर गंभीर आरोप
टीएमसी प्रवक्ता ने भाजपा के तीन शीर्ष नेताओं सुकांत मजूमदार, समिक भट्टाचार्य और शुभेंदु अधिकारी पर निशाना साधा. उन्होंने आरोप लगाया कि ये नेता लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जो लोगों के बीच असुरक्षा और डर को बढ़ा रहे हैं. कुणाल घोष के अनुसार, ये वही लोग हैं जो खुलेआम कहते हैं कि चुन-चुनकर बांग्लादेशियों को बाहर निकाल दिया जाएगा. ऐसे बयान आम नागरिकों को यह सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि क्या उनका नाम भी मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा.
जनता के मुद्दों से ध्यान भटका रही है बीजेपी
घोष ने आगे कहा कि भाजपा जानबूझकर बेरोजगारी, महंगाई और जनकल्याण जैसे असली मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए इस तरह के विवाद खड़े कर रही है. उन्होंने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से आग्रह किया कि वे इस पूरे मामले में संवेदनशीलता दिखाएं और स्थिति की गंभीरता को समझें. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक विवाद नहीं रहा, बल्कि यह अब एक मानवीय संकट का रूप ले चुका है. सरकार और चुनाव आयोग को यह समझना होगा कि इस तरह का भय लोकतंत्र की बुनियाद को कमजोर कर सकता है.
मतदाता सूची संशोधन प्रक्रिया क्या है?
हाल ही में चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल में स्पेशल समरी रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया शुरू की है. इस प्रक्रिया के तहत 2002 के मतदाता रिकॉर्ड के आधार पर नामों का सत्यापन किया जा रहा है. आयोग का दावा है कि इसका उद्देश्य मतदाता सूची को पारदर्शी और सटीक बनाना है. हालांकि, विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया का दुरुपयोग कर कई वैध नागरिकों को सूची से बाहर किया जा रहा है, जिससे सामाजिक और राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है.
आत्महत्याओं से बढ़ी चिंता
पिछले कुछ दिनों में उत्तर बंगाल के कई इलाकों में आत्महत्या और भय की घटनाएं सामने आई हैं. माना जा रहा है कि ये घटनाएं सीधे तौर पर मतदाता सूची से नाम कटने की आशंका से जुड़ी हैं. टीएमसी ने इन घटनाओं की स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए कहा है कि राज्य में फैले इस डर के माहौल के लिए भाजपा और चुनाव आयोग दोनों जिम्मेदार हैं.


