भाजपा ने पश्चिम बंगाल जैसे महत्वपूर्ण राज्य के लिए विप्लब देव को क्यों चुना? जानें इसके पीछे क्या है वजह
भाजपा ने बिप्लब देब को पश्चिम बंगाल में बड़ी जिम्मेदारी देकर एक रणनीतिक कदम उठाया है. त्रिपुरा में संगठन खड़ा कर सत्ता परिवर्तन कराने वाले देब ने लोकसभा और हरियाणा चुनावों में भी सफलता पाई है. अब पार्टी उन्हें बंगाल में वामपंथी विरासत को चुनौती देने वाले नेता के रूप में प्रस्तुत कर रही है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा बिप्लब कुमार देब को पश्चिम बंगाल में महत्वपूर्ण राजनीतिक जिम्मेदारी सौंपना एक सोचा-समझा निर्णय है. दिल्ली से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले देब न केवल त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बने बल्कि अब लोकसभा में सांसद के रूप में भी भाजपा का चेहरा हैं. उनका यह सफर संगठनात्मक क्षमता और मजबूत राजनीतिक समझ का प्रमाण है.
भाजपा के लिए बदलाव की शुरुआत
2015 में बिप्लब देब ने त्रिपुरा की राजनीति में कदम रखा, जब भाजपा वहां लगभग न के बराबर थी. राज्य में पार्टी का ढांचा बेहद कमजोर था. यहां तक कि ब्लॉक स्तर पर भी संगठन अस्तित्व में नहीं था. लेकिन मिस्ड कॉल अभियान के माध्यम से शुरू हुआ सदस्यता अभियान एक नई शुरुआत बना. इस अभियान में करीब डेढ़ लाख लोगों ने भाग लिया. देब ने व्यक्तिगत रूप से नए सदस्यों से मुलाकात की और कई मौकों पर माकपा से जुड़े परिवारों के घर भी पहुंचे, जिनके कुछ सदस्य भाजपा में शामिल हो चुके थे.
प्रदेश अध्यक्ष से मुख्यमंत्री तक का सफर
बिप्लब देब की मेहनत को देखते हुए 2016 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें त्रिपुरा भाजपा का अध्यक्ष नियुक्त किया. इसके दो साल बाद 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 60 में से 36 सीटें जीतीं और राज्य में 25 वर्षों से चल रहे वामपंथी शासन का अंत कर दिया. देब त्रिपुरा के पहले भाजपा मुख्यमंत्री बने और उनकी छवि एक ऐसे नेता की बनी जो जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करते हुए सत्ता में बदलाव ला सकता है.
लोकसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत
2024 के लोकसभा चुनावों में बिप्लब देब ने त्रिपुरा पश्चिम सीट से 8,81,341 वोट पाकर कांग्रेस के उम्मीदवार आशीष कुमार साहा को बड़े अंतर से पराजित किया. यह अंतर इस क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा था. इस विजय के बाद भाजपा ने उन्हें हरियाणा विधानसभा चुनावों का सह-प्रभारी बनाया. एक ऐसा राज्य जो सत्ता विरोधी लहर से जूझ रहा था.
हरियाणा में भी सफल प्रयोग
हरियाणा चुनावों को भाजपा के लिए अग्निपरीक्षा माना जा रहा था. धर्मेंद्र प्रधान के साथ मिलकर देब ने ऐसी रणनीति बनाई जिससे पार्टी राज्य में तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रही. इससे भाजपा के संगठनात्मक कौशल और देब के नेतृत्व पर पार्टी का भरोसा और भी मजबूत हुआ.
अब नजरें पश्चिम बंगाल पर
भाजपा अब बिप्लब देब को पश्चिम बंगाल में एक बड़ी भूमिका देना चाहती है. पार्टी सूत्रों का मानना है कि त्रिपुरा और बंगाल की राजनीतिक पृष्ठभूमि में काफी समानताएं हैं. दोनों राज्य लंबे समय तक वामपंथी प्रभाव में रहे हैं. भाजपा का मानना है कि ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस अब उसी सत्ता संरचना का हिस्सा बन चुकी है जिसका वह कभी विरोध करती थीं.
रणनीति और प्रतीक का मेल
बिप्लब देब केवल रणनीतिक रूप से नहीं, बल्कि एक प्रतीक के रूप में भी भाजपा की योजना का हिस्सा हैं. पार्टी बंगाल में यह संदेश देना चाहती है कि वह जमीनी ताकतों और जड़ों में बैठी राजनीतिक विचारधाराओं को चुनौती देने के लिए तैयार है. क्या यह दांव सफल होगा, यह तो समय बताएगा. लेकिन इतना तय है कि बिप्लब देब का चयन भाजपा की बड़ी योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा है.


