Explainer : लेन ड्राइविंग क्या होती है, क्या हैं इसके नियम? यहां जानिए इससे जुड़े हर सवाल का जवाब
1906 में सड़कों को सुरक्षित बनाने के प्रयास में वेन काउंटी, मिशिगन में पहले सड़क आयोग का गठन किया गया. हेनरी फोर्ड इस बोर्ड में थे. तब तक कंक्रीट की सड़कें नहीं होती थीं. 1909 में आयोग ने पहली कंक्रीट सड़क के निर्माण का आदेश दिया. 1911 में राजमार्गों के लिए लेन सड़कों की कल्पना की गई.
भारत में हिट एंड रन को लेकर किए नए कानून का देश भर में जमकर विरोध हो रहा है. इसके चलते ट्रक ड्राइवर हड़ताल पर चले गए हैं. भारत न्याय संहिता के तहत खराब ड्राइविंग से हादसों को लेकर तो कानून बन गया है लेकिन राजमार्गों पर जब आप अपनी कार या वाहन को ड्राइव कर रहे होते हैं तो आपको ये मालूम रहना चाहिए कि लेन ड्राइविंग कितनी जरूरी है और सुरक्षा के लिहाज से यह कितनी जरूरी है. भारतीय राजमार्ग दो लेन से लेकर 04 से 06 लेन के होते हैं. हालांकि देश के कुछ एक्सप्रेस हाईवे 08 लेन के भी हैं. अमेरिका के ह्यूस्टन में एक हाईवे 26 लेन का है और इसे दुनिया में सबसे ज्यादा लेन वाली सड़क कहा जाता है. दुनिया में बड़े हाईवे 15 लेन वाले हैं. तो आज हम लेन के बारे में समझेंगे.
सवाल – क्या होती है लेन की चौड़ाई और नंबर्स?
जवाब– इंडियन रोड कांग्रेस के अनुसार सिंगल लेन सड़क की न्यूनतम चौड़ाई 3.75 मीटर होती है, जबकि दो-लेन सड़क की चौड़ाई 7 मीटर है और ऊंचे किनारों के साथ यह 7.5 मीटर होती है. 06 लेन वाले एक्सप्रेस-वे की चौड़ाई 22.5 मीटर होनी चाहिए. राष्ट्रीय राजमार्ग के गलियारे की न्यूनतम चौड़ाई 5.7 मीटर होती है. एक लेन वाली सड़क दो-तरफा यात्रा की अनुमति देती है, लेकिन यह सड़क इतनी चौड़ी नहीं होती कि वाहन एक-दूसरे से गुजर सकें. दोहरी लेन सड़कों में प्रत्येक दिशा में दो लेन का यातायात होता है. बहु-लेन सड़कों में तीन या अधिक लेन हो सकती हैं.
सवाल – लेन पर ड्राइविंग करते समय किन नियमों का पालन करना जरूरी होता है?
जवाब– भारत में बायां लेन यानी सबसे किनारा वाला लेन धीमी गति से चलने वाले वाहनों और भारी वाहनों के लिए है. मध्य लेन मध्यम गति वाले वाहनों के लिए है और बाएं लेन में धीमी गति वाले वाहनों को ओवरटेक करने के लिए है. दाहिनी लेन तेज वाहनों और ओवरटेकिंग के लिए है. हमेशा मुड़ते समय वाहन सबसे बाईं लेन में होना चाहिए.
सवाल – वाहन को ओवरटेक करने का क्या नियम है?
जवाब– सबसे पहले तो व्यस्त ट्रैफिक में लेन बदलकर दूसरी कार को ओवरटेक न करें. हमेशा लेन बदलते समय दाईं ओर से ही सिग्नल दें और ओवरटेक करें.
सवाल – अगर आप 4थे लेन पर वाहन चला रहे हैं तब क्या नियम हैं?
जवाब– अगर आप चौथे लेन पर हैं तो बाईं ओर रहना चाहिए. सामने वाले वाहनों से आगे निकलने के लिए दाईं लेन का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर आप 06 लेन वाले राजमार्ग पर यात्रा कर रहे हैं, तो ड्राइविंग शैली बदल जाएगी (दोनों तरफ तीन लेन). बायां हिस्सा आमतौर पर ट्रकों और दोपहिया वाहनों जैसे धीमे वाहनों के लिए आरक्षित है. यदि आप कार चलाते हैं, तो मध्य लेन पर रहना सबसे अच्छा है. ओवरटेक के लिए दाहिनी लेन का इस्तेमाल करें.
सवाल – गलत तरीके से लेन बदलने से हादसे कैसे होते हैं?
जवाब– 06 लेन वाली सड़कों पर अधिकांश घटनाएं अनुचित लेन परिवर्तन या गलत लेन (यानी, सबसे दाहिनी लेन) में चलने वाली सुस्त कारों के चलते होती हैं. साथ ही लेन पर अचानक बाएं से दाएं और दाएं से बाएं टेढ़ा-मेढ़ा नहीं चलना चाहिए. भारत जैसे देश में हॉर्न बजाकर कार को ओवरटेक करना आम बात हो गई है. विदेशों में सबसे दाहिनी लेन एम्बुलेंस या फायर ट्रक जैसी आपातकालीन सेवाओं के लिए रखी जाती है.
सवाल – लेन ड्राइविंग नियमों की शुरुआत कैसे हुई?
जवाब– 20वीं सदी के पहले दो दशकों में ऑटोमोबाइल, ट्रक और बसें जब खूब उपयोग में लाई जाने लगीं तो उनमें आमने-सामने की टक्कर आम हो गई.
1906 में सड़कों को सुरक्षित बनाने के प्रयास में वेन काउंटी, मिशिगन में पहले सड़क आयोग का गठन किया गया. हेनरी फोर्ड इस बोर्ड में थे. तब तक कंक्रीट की सड़कें नहीं होती थीं. 1909 में आयोग ने पहली कंक्रीट सड़क के निर्माण का आदेश दिया. 1911 में राजमार्गों के लिए लेन सड़कों की कल्पना की गई. इसीलिए सड़क आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष एडवर्ड एन. हाइन्स को लेन सड़कों और इसके चिह्नों का आविष्कारक कहा जाता है. 1917 के आसपास सड़कों पर सफेद पेंट लेन को बांटने और चिन्हिंत करने का काम किया गया.