भारत और अफगानिस्तान ने की 900 करोड़ की डील, पाकिस्तान की उड़ी नींद
अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को एक बड़ा झटका देते हुए भारत के साथ 900 करोड़ की डील की है. यह समझौता तालिबान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अजीजी की भारत यात्रा के तुरंत बाद हुआ.

अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को एक बड़ा झटका देते हुए भारत के साथ अपने आर्थिक सहयोग को और मजबूत किया है. हाल ही में भारत और अफगानिस्तान की प्रमुख दवा कंपनियों के बीच 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
दोनों देशों के व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देने पर जोर
यह समझौता तालिबान के उद्योग और वाणिज्य मंत्री अल्हाज नूरुद्दीन अजीजी की भारत यात्रा के तुरंत बाद हुआ, जिसमें उन्होंने दोनों देशों के व्यापार और निवेश संबंधों को बढ़ावा देने पर जोर दिया था. इस एमओयू पर अफगानिस्तान की रोफी इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ कंपनीज और भारत की जाइडस लाइफसाइंसेज ने दुबई में साइन किया. इस अवसर पर अफगान राजदूत और वरिष्ठ वाणिज्यिक अधिकारी भी मौजूद थे.
इस समझौते को अफगानिस्तान के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भारत की भागीदारी बढ़ाने और फार्मास्युटिकल क्षमता के पुनर्निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है. इस डील के अनुसार, जाइडस लाइफसाइंसेज शुरुआत में अफगानिस्तान को दवाएं निर्यात करेगी. इसके बाद कंपनी अफगानिस्तान में अपना प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित करेगी और स्थानीय स्तर पर दवा उत्पादन शुरू करेगी. अफगान अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इसके लिए तकनीकी डेटा और जानकारी का ट्रांसफर पहले ही शुरू कर दिया गया है.
समझौते की टाइमिंग बेहद खास
इस समझौते की टाइमिंग भी खास महत्व रखती है. तालिबान ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ व्यापार पर रोक लगा दी है और अफगान कंपनियों को तीन महीने के भीतर पाकिस्तानी सप्लायर्स के साथ दवा व्यापार संबंध समाप्त करने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में भारत-अफगानिस्तान के इस नए समझौते को पाकिस्तान के लिए एक सीधा झटका माना जा रहा है, क्योंकि परंपरागत रूप से पाकिस्तान अफगानिस्तान के लिए एक प्रमुख पारगमन और व्यापार केंद्र रहा है.
मंत्री अजीजी ने अपनी भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और राजनयिक सहयोग में विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया था. उन्होंने भारतीय कंपनियों और राजनयिकों को पूरी सुरक्षा का आश्वासन भी दिया. 100 मिलियन डॉलर का यह एमओयू अफगानिस्तान की नई रणनीति का पहला ठोस परिणाम है. इसका उद्देश्य न केवल व्यापार में विविधता लाना है, बल्कि भारत के साथ रणनीतिक संबंधों को गहरा करना और पाकिस्तानी व्यापार चैनलों पर निर्भरता को कम करना भी है. इस पहल से भारत-अफगानिस्तान आर्थिक और औद्योगिक सहयोग को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.


