Nepal Gen-Z Protest : नेपाल में जेन-Z प्रदर्शनकारियों को मिला कलाकारों का समर्थन, बोले- ये पीढ़ी चुप नहीं रहेगी
नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ चल रहे जन आंदोलन को अब देश के नामी कलाकारों का भी समर्थन मिल रहा है. वरिष्ठ अभिनेता हरि बंशा आचार्य, मदन कृष्ण श्रेष्ठ, केकी अधिकारी और कई गायक-कलाकारों ने युवाओं की आवाज़ को正 ठहराया है. उन्होंने भ्रष्टाचार, जवाबदेही और अभिव्यक्ति की आजादी पर सवाल उठाते हुए युवाओं से एकजुट रहने की अपील की है.

Nepal Youth Protest 2025 : नेपाल में सोशल मीडिया बैन के विरोध में शुरू हुआ युवाओं का आंदोलन अब केवल डिजिटल आजादी की मांग तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का प्रतीक बन गया है. इस आंदोलन का नेतृत्व जहां Gen-Z यानी 18 से 30 वर्ष के युवाओं के हाथ में है, वहीं अब देश की मनोरंजन और कला जगत की प्रमुख हस्तियां भी खुलकर समर्थन में सामने आई हैं.
कलाकारों ने युवाओं की आवाज को बताया जरूरी
सत्ता की भूख से खोखला हुआ राष्ट्र
मदन कृष्ण श्रेष्ठ ने अपने संदेश में बताया कि उन्होंने नेपाल के कई राजनीतिक दौर देखे हैं, लेकिन अब जो जनाक्रोश है, वह थक चुके नागरिकों और सपनों से वंचित युवाओं की पुकार है. उन्होंने कहा कि देश में जातिवाद, भाई-भतीजावाद और सत्ता की भूख ने राष्ट्र को भीतर से खोखला कर दिया है. उनकी बातों से साफ है कि यह आंदोलन एक युवा वर्ग का विद्रोह नहीं, बल्कि पूरे समाज की पीड़ा की अभिव्यक्ति है.
सिंगरों और एक्टर्स का भी मिला सहयोग
गायक और अभिनेता प्रकाश सपूत ने न सिर्फ नैतिक समर्थन दिया बल्कि अपनी यूट्यूब कमाई से दो युवाओं को 25,000 रुपये भेजे. उन्होंने उन्हें पानी पीते रहने, आराम करने और प्रदर्शन के दौरान संतुलन बनाए रखने की सलाह दी. इसी तरह प्रोड्यूसर और अभिनेता निश्चल बस्नेत ने टिकटॉक पर कहा कि यह प्रदर्शन किसी एक नेता के नेतृत्व में नहीं, बल्कि सभी जागरूक युवाओं की सामूहिक आवाज है. उन्होंने पुलिस से भी संयम बरतने की अपील की.
कविता और रचनात्मकता से उठी आवाज
केकी अधिकारी ने एक कविता पोस्ट के ज़रिए आंदोलन का समर्थन करते हुए लिखा— “कोई चूल्हा ठंडा न हो, आग जलाकर उठो, पसीना अपने मिट्टी को मजबूत करता है, मुट्ठी कसकर उठो.” यह कविता न केवल शब्दों का खेल थी, बल्कि जमीनी जुड़ाव और प्रेरणा का प्रतीक भी बनी. उन्होंने यह संदेश दिया कि यह आंदोलन हिंसा नहीं, बल्कि सृजनात्मकता और आत्मबल से लड़ा जा रहा है.
मनोरंजन जगत की और भी हस्तियां आईं समर्थन में
वर्षा राउत, अनमोल केसी, प्रदीप खड्का, भोलेराज सापकोटा, वर्षा शिवाकोटी जैसे कलाकारों ने सोशल मीडिया पर युवाओं को समर्थन देते हुए आंदोलन से जुड़ने का आग्रह किया. वहीं गायिका एलिना चौहान, रचना रिमाल और समीक्षा अधिकारी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए बताया कि यह आंदोलन सिर्फ डिजिटल अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि नेपाल के भविष्य की दिशा तय करने के लिए है.
ये केवल आंदोलन नहीं, एक पीढ़ी की चेतना
नेपाल का यह युवा आंदोलन अब केवल एक सोशल मीडिया प्रतिबंध की प्रतिक्रिया नहीं रह गया है. यह आंदोलन अब एक राष्ट्रीय आत्मा की पुकार बन चुका है, जिसमें कलाकारों, छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों की आवाज़ एक हो गई है. जब संस्कृति और सृजनशीलता के प्रतिनिधि भी जनता के साथ खड़े होते हैं, तो यह संकेत है कि बदलाव सिर्फ राजनीतिक मंच से नहीं, बल्कि समाज के हर कोने से उठ रहा है.


