प्यार का जश्न | कैफ़ी आज़मी

प्यार का जश्न नई तरह मनाना होगा ग़म किसी दिल में सही ग़म को मिटाना होगा काँपते होंटों पे पैमान-ए-वफ़ा क्या कहना तुझ को लाई है कहाँ लग़्ज़िश-ए-पा क्या कहना

Janbhawana Times
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प्यार का जश्न नई तरह मनाना होगा 

ग़म किसी दिल में सही ग़म को मिटाना होगा


काँपते होंटों पे पैमान-ए-वफ़ा क्या कहना

तुझ को लाई है कहाँ लग़्ज़िश-ए-पा क्या कहना


मेरे घर में तिरे मुखड़े की ज़िया क्या कहना

आज हर घर का दिया मुझ को जलाना होगा


रूह चेहरों पे धुआँ देख के शरमाती है

झेंपी झेंपी सी मिरे लब पे हँसी आती है


तेरे मिलने की ख़ुशी दर्द बनी जाती है

हम को हँसना है तो औरों को हँसाना होगा


सोई सोई हुई आँखों में छलकते हुए जाम

खोई खोई हुई नज़रों में मोहब्बत का पयाम 


लब शीरीं पे मिरी तिश्ना-लबी का इनआम

जाने इनआम मिलेगा कि चुराना होगा


मेरी गर्दन में तिरी सन्दली बाहोँ का ये हार

अभी आँसू थे इन आँखों में अभी इतना ख़ुमार


मैं न कहता था मिरे घर में भी आएगी बहार

शर्त इतनी थी कि पहले तुझे आना होगा

calender
04 August 2022, 12:33 PM IST

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