मैं उसके पास उसे रख रही हूँ | अमृता भारती

मैं उसके पास उसे रख रही हूँ उसकी ही बातें उससे कर रही हूँ। मैंने अपनी सब बाहें फैला ली हैं उन पर दियों की पातें जला ली हैं

Janbhawana Times
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मैं उसके पास उसे रख रही हूँ

उसकी ही बातें उससे कर रही हूँ।


मैंने अपनी सब बाहें फैला ली हैं 

उन पर दियों की पातें जला ली हैं


देवताओं की आँखों की तरह

*मेरे दिये उठते हैं

नीचे के अंधेरों को

दीवट की तरह खड़ा करते हैं


अब सब जगह उसका चेहरा है 

हर सर्प के माथे पर सूरज और 

हर सूरज के नीचे

कृष्ण-व्रण गहरा है।

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03 August 2022, 12:35 PM IST

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