कहनी न थी जो बात वो | रवीन्द्र दास

कहनी न थी बात जो कहना पड़ा मुझे तेरे बगैर, कैसे कहूँ , खुश बहुत रहना पड़ा मुझे।

Janbhawana Times
Janbhawana Times

कहनी न थी बात जो

कहना पड़ा मुझे

तेरे बगैर कैसे कहूँ ,

खुश बहुत रहना पड़ा मुझे।

 

इन्सान जो इन्सान है

मजबूर है बहुत

इंसानियत का दर्द भी,

सहना पड़ा मुझे।

 

तेरे बगैर कैसे कहूँ,

खुश बहुत रहना पड़ा मुझे।

करते हैं लोग बाग,

यूँ बदनाम जब तुझे,

होगी कोई गलती मेरी,

कहना पड़ा मुझे ।

 

तेरे बगैर........

तुम थे कि हो मासूम,

मुझको पता है ये,

लेकिन से क्यों कहूँ,

सहना पड़ा मुझे।

 

तेरे बगैर जिन्दगी होती है

जानकर, आंसू के रास्ते ही,

चुप बहना पड़ा मुझे......... ।

calender
01 August 2022, 05:31 PM IST

जरुरी ख़बरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो