Chaiti Chhath 2023: इस साल कब मनाया जाएगा बिहार का महापर्व, जाने चैती छठ पूजा की संपूर्ण जानकारी
हिंदू पंचांग के के मुताबिक छठ पूजा साल में 2 बार मनाई जाती है, साल 2023 में चैती छठ 25 मार्च को मनाया जाएगा। पहला महापर्व छठ चैत्र मास में मनाया जाता है जो मार्च से अप्रैल के बीच में पड़ता है वही दूसरा छठ पर्व अक्टूबर से नवंबर के बीच में मनाया जाता है। दोनों छठ पर्व का बिहार में विशेष महत्व है।
Chaiti Chhath 2023: पंचाग के अनुसार चैत्र की छठ पूजा चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है इसे चैती छठ कहते हैं जिसे चैती छठ कहा जाता है, यह पर्व 4 दिनों तक चलता है छठ पर्व बिहार में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है छठ पर्व महिलाएं अपनी संतान के अच्छी स्वास्थ्य, उन्नति के लिए व्रत रखती है यह बहुत ही कठिन व्रत होता है, महिलाए इस वर्त में 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखती हैं वही इस पर्व की शुरुआत नहाए खाए से शुरू होती है। नहाए खाए के बाद खरना और उसके बाद डूबते हुए सुर्य को अर्घ्य देते हैं और उसके अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। तो आइए जानते हैं चैती छठ किस दिन को मनाया जाएगा।
चैती छठ चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है जबकि नहाय खाय के दिन कुष्मांड की पूजा होती है। खरना के दिन कुमार कार्तिकेय और संकंद माता की पूजा होती है। इसीलिए चैत्र नवरात्रि के दौरान जो भी श्रद्धालु चैती छठ का व्रत रखती है। उसे सुर्य देव क साथ-साथ माता रानी का भी आशिर्वाद मिलता है। छठ पर्व को समृद्धि और संतान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि बिहार का महापर्व छठ की परंपरा भगवान राम के द्वारा शुरू की गई थी, भगवान राम का जन्म सूर्यवंश में हुआ था, जब भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ था तब भगवान राम अपनी पत्नी सीता के साथ चैत्र शुक्ल की षष्ठी तिथि को अपने कुलदेवता सूर्य देव को सरयू नदी के किनारे जाकर अर्घ्य दिया था, और इसी दिन भगवान विष्णु ने अपना पहला मत्स्य रूप में अवतार लिया था। सूर्य भगवान की पूजा सृष्टि के आरांभ से ही करने की परंपरा है।
कब है नहाय खाय
छठ महापर्व का आरंभ नहाय खाय से प्ररांभ होता है। नहाय खाय के दिन महिलाएं स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान सूर्य की पूजा करती है उसके बाद बिना लहसुन प्याज के बनाए भोजन को ग्रहण करती हैं। चेती छठ का भी विशेष महत्व है हालांकि अधिकतर लोग कार्तिक मास की छठ पर्व को अधिक करते हैं। 2023 में नहाय खाय 25 मार्च को यानी शनीवार को मनाया जाएगा।
खरना कब है
नहाय खाय के बाद खरना मनाया जाता है, छठ पर्व में खरना का दिन बहुत ही खास होता है क्योंकि इसी दिन से महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास करने का संकल्प लेती है। और इसी दिन भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए प्रसाद भी बनाया जाता हैं। खरना के दिन शाम के समय मिट्टी या पीतल के बर्तन में गुड़ का खीर और रोटी बनाई जाती है।
छठ पर्व में बनाया गया प्रसाद आम की लकड़ी या नए चूल्हे पर बनाना चाहिए खरना का प्रसाद बनाने के बाद केले के पत्ते पर बनाए गए प्रसाद को रखकर सूर्य और चंद्रमा को भोग लगाती है। खरना की पूजा करने के बाद वर्ती प्रसाद को ग्रहण करती है। साल 2023 में चैती छठ का खरना 26 तारीख यानी रविवार को मनाया जाएगा।
कब डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा
छठ पर्व के तीसरे दिन यानी 2023 में 27 मार्च को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, डूबते हुए सूर्य यानी शाम के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
उगते हुए सूर्य को अर्घ देने की तारीख
इस साल 2023 में 28 मार्च को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा इसके साथ ही महापर्व छठ का समापन हो जाएगा और 36 घंटे की निर्जल व्रत समाप्त होने का बाद वर्ती व्रत का पारण कर लेती।