एकादशी का व्रत रखते हैं तो जान ले इसके नियम, वरना व्रत और पूजा हो जाएंगे निष्फल
पद्मपुराण में एकादशी को साल की सभी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ तिथि का दर्जा दिया गया है और इस दिन भगवान विष्णु का व्रत करने पर कई पीढ़ियां तर जाती हैं।
सनातन धर्म में एकादशी तिथि को पूजा पाठ और व्रत की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण कहा गया है। एकादशी तिथि के बारे में कहा जाता है कि उसका जन्म भगवान विष्णु से हुआ है और इसलिए ये तिथि भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तिथि कही जाती है. एकादशी को साल की सभी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ तिथि का दर्जा दिया गया है और इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है औऱ सांसारिक पापों से मनुष्य को मुक्ति मिलती है। इसलिए साल की 24 एकादशी तिथियों (अधिकमास के चलते कभी इनकी संख्या 26 भी हो जाती है) के दिन पूजा के साथ साथ भगवान विष्णु के लिए व्रत रखने का भी विधान है। लेकिन एकादशी तिथि के दिन कुछ नियम और संयम अपनाने जाने की बात पद्मपुराण में कही गई है।
चलिए जानते हैं कि अगर एकादशी तिथि का व्रत कर रहे हैं तो जातक को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
एकादशी तिथि के नियम एक दिन पहले यानी कि दशमी तिथि से ही आरंभ माने जाते हैं. इसलिए एकादशी का व्रत करने वाले व्रती को दशमी को भी सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दिन रात को पलंग की बजाय धरती पर ही बिस्तर लगाएं।
एकादशी तिथि को विधिवत तरीके से भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहनाएं और तुलसी दल चढ़ाकर उनकी पूजा करें.
इसके साथ ही मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए वरना मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त नहीं होती है.
इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ना निषेध होता है.
इस दिन चावल, बैंगन, मूली,सेम की सब्जी खाने की मनाही होती है.
इस दिन किसी के लिए अपशब्द नहीं बोलने चाहिए
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
इस दिन रात्रि और दिन में सोना नहीं चाहिए बल्कि प्रभु का स्मरण करना चाहिए.
इस दिन अन्न, जल, वस्त्र और जरूरत की चीजों का दान करना चाहिए।
इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए
इस दिन किसी से भोजन नहीं मांगना चाहिए.
एकादशी पर मांस, मदिरा या धूम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए।
इस दिन नाखून, बाल या दाढ़ी नहीं कटवाने के लिए शास्त्रों में मनाही की गई है।
इस दिन फलाहारी व्रत करना चाहिए।
एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी को करना चाहिए।