होली 2023: इस साल होली पर बन रहे हैं कई शुभ संयोग, जानिए होलिका दहन का शुभ मुहुर्त

इस बार सात मार्च को होलिका दहन का त्योहार मनाया जाएगा. एक साथ कई शुभ योग इस दिन लग रहे हैं जो कई राशियों को फायदा करवा सकते हैं।

Vineeta Vashisth
Vineeta Vashisth
साल का  सबसे रंग बिरंगा त्योहार होली है जिसपर सभी लोग गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे के गले लग जाते हैं. होली के रंगभरे त्योहार से एक दिन पहले होलिका दहन होता है. इस बार होलिका दहन का त्योहार 7 मार्च मंगलवार को मनाया जाएगा। शास्त्रों में होलिका दहन को अधर्म पर धर्म की विजय के तौर पर देखा जाता है। नारायण के भक्त प्रहलाद को मारने की कोशिश में होलिका जल कर भस्म हो गई लेकिन भक्त प्रहलाद को कुछ ना हुआ. उसी के प्रतीक में हर साल होलिका दहन किया जाता है और लोग भक्तिभाव से होलिका दहन करके सभी बुराइयों को स्वाहा कर देते हैं. 
 
होलिका दहन इस साल इसलिए भी खास होने वाला है क्योंकि इस साल ग्रहों की स्थितियों के चलते होलिका दहन पर कई शुभ संयोग एक साथ बन रहे हैं. होलिका दहन की पूर्णिमा तिथि इस बार 6 मार्च यानी सोमवार की शाम को 6 बजकर 17 मिनट पर आरंभ हो जाएगी और अगले दिन मंगलवार की शाम को 6 बजकर नौ मिनट पर समाप्त हो जाएगा. इसके बाद प्रदोष काल लग जाएगा.  यानी होलिका दहन प्रदोष काल में होलिका दहन किया जाएगा.
 
होलिका दहन का शुभ मुहुर्त इस बार 6 बजकर 31 मिनट से शुरू होगा और रात 8 बजकर 58 मिनट तक रहेगा. यानी इस काल के दौरान होलिका दहन किया जाएगा. इसके बाद शूल योग शुरू हो जाएगा.
 
होलिका दहन के दिन एक साथ कई शुभ  मुहुर्त निकल रहे हैं. सुबह 11.44 से 12.33 मिनट तकत अभिजीत मुहुर्त होगा. इस काल में होलिका की पूजा की जा सकती है. इसी दिन अमृत काल मुहुर्त भी लग रहा है जिसकी अवधि शाम को 7.22 मिनट से रात नौ बजकर सात मिनट तक रहेगी .
 
होलिका दहन की पूजा करते वक्त आपको शुभ मुहुर्त का ध्यान रखना होगा. आटे, गुड़ और घी से होलिका माता की पूजा की जाती है और कच्चे सूत से होलिका को बांधा जाता है. कच्चा सूत हाथ में लेकर परिवार के साथ होलिका माता के फेरे लगाने चाहिए. इस दिन होलिका माता को दूध मिश्रित जल चढ़ाना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन होलिका माता को दूध मिश्रित जल चढ़ाने से उनकी जलन वाली पीढ़ा शांत होती है. 
 
होलिका दहन के समय परिवार के साथ होलिका माता की पूजा के बाद होलिका में आग लगाई जाती है और नए गेंहू की बालियां भी भूनकर प्रसाद में बांटी जाती हैं. इसके बाद ही गुलाल का त्योहार शुरू हो जाता है. कुछ लोग रात को ही गुलाल का त्योहार खेलते हैं. होलिका की आग ठंडी होने पर इसकी थोड़ी सी भस्म को घर ले आना चाहिए। इससे बुरी नजर से बचाव होता है और जीवन की कई परेशानियों का अंत होता है.
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03 February 2023, 03:16 PM IST

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