सोमवती अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

सोमवती और वट सावित्री अमावस्या के एक साथ होने के चलते गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का ऋषिकेश में शनिवार से ही आना प्रारंभ हो गया था। इसके कारण तीर्थ नगरी की तमाम धर्मशाला, आश्रम यात्रियों से खचाखच भरे हैं

Janbhawana Times
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लाखों की सख्या में आज  के दिन सोमवती और वट सावित्री अमावस्या के एक साथ होने के चलते सोमवार को देश के विभिन्न प्रांतों से आए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने जहां ऋषिकेश तीर्थ नगरी के त्रिवेणी घाट, राम झूला, लक्ष्मण झूला सहित तमाम घाटों पर गंगा में आस्था की डुबकी लगाई वहीं महिलाओं ने पति की दीर्घायु की कामना को लेकर वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा अर्चना भी की।

सोमवती और वट सावित्री अमावस्या के एक साथ होने के चलते गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं का ऋषिकेश में शनिवार से ही आना प्रारंभ हो गया था। इसके कारण तीर्थ नगरी की तमाम धर्मशाला, आश्रम यात्रियों से खचाखच भरे हैं। इतना ही नहीं नगर की यातायात व्यवस्था भी बड़ी संख्या में वाहनों के आने के कारण पूरी तरह लड़खड़ा गई है। इसे नियंत्रित करने के लिए ट्रैफिक पुलिस को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी। वाहनों का जाम हरिद्वार से लेकर ब्रह्मपुरी तक लगा है, जिससे वाहनों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए लाइन में लगकर सरक- सरक कर खिसकना पड़ा।

ट्रैफिक इंचार्ज हितेश शाह ने बताया कि ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए बैराज मार्ग और श्यामपुर से नटराज चौक की ओर ड्राइवर भी किया गया है। त्रिवेणी घाट पर गंगा स्नान और महिलाओं द्वारा वट सावित्री की पूजा करने के लिए भी घाट पर अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ी। शहर में चार धाम यात्रा के कारण भी काफी संख्या में लोग रुके हैं, जिन्होंने सोमवार की सुबह 4.00 बजे से ही गंगा स्नान करना प्रारंभ कर दिया था। गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर गरीबों और ब्राह्मणों को दान पुण्य भी किया।

इस दौरान नगर की धार्मिक व सामाजिक संस्थाओं ने जगह-जगह मीठे शरबत की छबीली लगाकर शरबत भी वितरित किया। पंडित वेद प्रकाश ने बताया कि अखंड सौभाग्य देने वाले वट सावित्री व्रत के दौरान इस दिन वट वृक्ष, सावित्री और सत्यवान की पूजा करते हैं। वट वृक्ष में कच्चा सूत लपेटा जाता है, और परिक्रमा की जाती है. पूजा के समय वट सावित्री व्रत कथा सुनते हैं। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, पुत्र और सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं। पूजा का समापन वट सावित्री व्रत की आरती से करनी चाहिए।

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30 May 2022, 12:23 PM IST

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