ॐलोक आश्रम: आधुनिक जीवन में मनुष्य इतना व्यस्त हो गया है की उसके पास भगवद्भजन के लिए भी समय नहीं है
श्रीरामजी वनवास गए, वहां स्वर्ण मृग का वध किया। वैदेही यानी माता सीताजी का लंकापति रावण ने हरण कर लिया, रावण के हाथों गिद्धराज जटायु मारा गया। श्रीरामजी और सुग्रीव की मित्रता हुई। किसकिंधा नरेश बालि का वध किया। समुद्र पार किया।
एक श्लोकी रामायण आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
श्रीरामजी वनवास गए, वहां स्वर्ण मृग का वध किया। वैदेही यानी माता सीताजी का लंकापति रावण ने हरण कर लिया, रावण के हाथों गिद्धराज जटायु मारा गया। श्रीरामजी और सुग्रीव की मित्रता हुई। किसकिंधा नरेश बालि का वध किया। समुद्र पार किया। हनुमान जी ने लंकापुरी का दहन किया। इसके बाद रावण और कुंभकर्ण का वध किया। ये रामायण की संक्षिप्त कहानी है।
आधुनिक जीवन में मनुष्य इतना व्यस्त हो गया है की उसके पास भगवद्भजन के लिए भी समय नहीं है , फिर भी हमारे पूर्वज ऋषि मुनियों ने कुछ ऐसे मंत्र तैयार किए हैं जो आकार में छोटे है मगर उनके उच्चारण मात्र से मनुष्य का कल्याण हो सकता है , एक श्लोकि रामायण का पाठ मन को शांत करने वाला , मनोकामना पूर्ण करने वाला व प्रभु श्रीराम के भक्तों का कल्याण करने वाला मंत्र है । संक्षिप्त में पूरी रामायण को संजोया गया है , इसके नित्य पठन से श्रीराम जी कृपा से रामायण के पाठ के समान लाभ मिलता है ।
राम तो शब्द ही निराला है अद्भुत फलदायी है तभी तो तुलसीदास जी कहते हैं , “तुलसी मेरे राम को रीझ भजो या खीज । भौम पड़ा जामे सभी, उल्टा सीधा बीज॥
अर्थात् भूमि में जब बीज बोये जाते हैं तो यह नहीं देखा जाता कि बीज उल्टे पड़े हैं या सीधे पर फिर भी कालांतर में फसल बन जाती है, मेरे प्रभु श्री राम के नाम का सुमिरन कैसे भी किया जाये उसके सुमिरन का फल अवश्य ही मिलता है ॥
राम जैसा नगीना नहीं सारे जग की बजरिया में।
नील मणि ही सजाऊँगा नयनो की पुतलिया में ।
हे जगत के पालनहार , बसो मेरे मन में , आओ राम ॥
चिंतक 🙏
ॐलोक आश्रम