शंख बजाने से क्या संकेत मिलता है?

शंख क्यों महत्वपूर्ण है और शंख बजाने से क्या होता है और क्या संकेत मिलता है। शंख बजाना आसान काम नहीं है। शंख बतलाता है कि हमारे अंदर जीवनी शक्ति कितनी है।

Janbhawana Times
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शंख क्यों महत्वपूर्ण है और शंख बजाने से क्या होता है और क्या संकेत मिलता है। शंख बजाना आसान काम नहीं है। शंख बतलाता है कि हमारे अंदर जीवनी शक्ति कितनी है। शंख की आवाज और उसका ड्यूरेशन ये बताएगा कि आपके हृदय में आपके फेफड़ों में कितनी ताकत है। 

जब हम कठिनाई का जीवन व्यतीत करते हैं तो हमारा तन और मन दोनों दृढ़ हो जाता है। जीवन में जब समय हो और आगे संघर्ष हो तो हमें उस समय का सदुपयोग करना है। हम जितना ही सुख सुविधाओं में रहेंगे उतना ही हमारा जीवन शिथिल होता जाएगा। हम कमजोर होते जाएंगे। जितना भी हम विपरीत परिस्थितियों में रहेंगे, परिस्थितियों से टकराएंगे उसका सदुपयोग करेंगे, हम विजय के उतने ही करीब बढ़ेंगे। शांति की अवस्था में जितना आप पसीना बहाओगे, जितनी मेहनत करोगे, युद्ध में उतना ही कम खून आपका निकलेगा। हमारे जीवन पर यही लागू होता है और यही पांडवों ने किया। संघर्ष का समय मनुष्य के जीवन का होता है आरंभ के 25 साल, जब व्यक्ति स्टूडेंट होता है पढ़ रहा होता है या कोई नई शुरुआत कर रहा होता है उसे उसमें सबकुछ लगा देना है क्योंकि जब हमारे जीवन का युद्ध चालू हो तब हम तनावमुक्त हो सकें। 

जीवन को योजना बनाकर जीना बहुत जरूरी है। सौ फीसदी तो योजना नहीं बन सकती और न बनानी चाहिए लेकिन जीवन में मोटे-मोटे सिद्धांत, मोटे-मोटे माइलस्टोन हमें पहले तय करके रखना चाहिए। जब हम बच्चे होते हैं हमारी संघर्ष शक्ति बहुत प्रबल होती है। हमारी यादाश्त बहुत तगड़ी होती है। बच्चों को एक भाषा दो भाषा चार भाषा सीखने में कोई दिक्कत नहीं होती है वो अपने आप सीख लेते हैं लेकिन वही हम जब जवानी या बुढ़ापे में करें तो बड़ी मेहनत लगती है और हम कभी सीख भी नहीं पाते हैं। प्रकृति ने शक्ति दी है बचपन को। वह संघर्ष का समय है और उस समय को हमें जीना चाहिए। क्योंकि वो हमारे लिए युद्ध की तैयारी का समय है। 12-15 साल से लेकर 25 साल तक का समय हमारे लिए संघर्ष का समय है। हम अपनी प्रवृति के हिसाब से अपने करियर को अपने जीवन को देखें फिर आकलन करें हमारे सामने क्या चुनौतियां हैं और हमें अंदर कौन सी खूबियां पैदा करनी है ताकि हम उन चुनौतियें का मुकाबला कर सकें। 

उसके बाद समय आता है युद्ध के बिगुल बजाने का, शंख बजाने का। जब हमें कठिन परिश्रम करना है कि युद्ध के शंख में ध्वनि हो, ऐसी ध्वनि हो कि विरोधियों के हृद्य फट जाएं। यह ध्वनि तभी हम निकाल पाएंगे जब हमने शांति काल में परिश्रम काल में बहुत परिश्रम किया है। प्रकृति ने हमें इस तरह बनाया है कि बचपन हर तरह की विषमताओं को सहने के लिए बना है उस समय व्यक्ति गीली मिट्टी की तरह होता है अपने आप स्वरूप लेता है और उसी हिसाब से ढल जाता है। वो संघर्ष करने के लिए बना होता है वही संघर्ष आपको करना है युद्ध की तैयारी के लिए। शंख की एक महत्ता और भी है। जो लोग भी पूजा पाठ करते है उन्हें शंख बजाना चाहिए। शंख की ध्वनि का प्रभाव यह है कि वो अपने आसपास के क्षेत्र में जितनी दूर तक शंख की आवाज जाती है कई तरह के वायरस और विषाणु को शंख नष्ट कर देता है। 

शंख और हवन ये दो चीजें ऐसी हैं जो बहुत जरूरी हैं। हवन का धुआं एंटी पॉल्युटेंट है उसी तरह शंख भी है शंख जहां प्रतिदिन बजता वहां आसपास के सारे वायरस को वो खत्म कर देता है। एक कंपन उत्पन्न करता है आपके अंदर की नकारात्मकता खत्म कर देता है। इसलिए लोगों को शंख बजाना चाहिए। शंख बजाने का दूसरा फायदा हमारे शरीर को होता है वो ये कि ये हमारे फेफड़े को मजबूत करता है। शंख बजाने से हमारी क्षमताएं बढ़ती हैं फेफड़े की ताकत बढ़ती है। जब हमें समय मिले जब हमारे सामने चुनौतियां आने वाली हों तो उसके बीच का जो समय है उसका हमें सदुपयोग करना चाहिए और भरपूर श्रम करना चाहिए जितना हम कर सकें।

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19 June 2022, 01:50 PM IST

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